Bokaro News: स्कूल भवन जर्जर, शिक्षा विभाग की लापरवाही की मार झेल रहे बच्चे, पंचायत भवन में चल रहा विद्यालय
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Bokaro News: स्कूल भवन जर्जर, शिक्षा विभाग की लापरवाही की मार झेल रहे बच्चे, पंचायत भवन में चल रहा विद्यालय

Bokaro School: बोकारो के कोठवारी गांव में स्कूल भवन जर्जर होने के वजह से पंचायत भवन में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. दो किलोमीटर की दूरी को तय कर बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है. नन्हे-नन्हे बच्चे को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. 

Bokaro News: स्कूल भवन जर्जर, शिक्षा विभाग की लापरवाही की मार झेल रहे बच्चे, पंचायत भवन में चल रहा विद्यालय

बोकारो: Bokaro News: झारखंड के बोकारो में गांव का एक ऐसा स्कूल जहां भवन नहीं होने के चलते पंचायत भवन में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. दो किलोमीटर की दूरी को तय कर बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है. नन्हे-नन्हे बच्चे को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यह मामला बोकारो जिले के चास प्रखंड अंतर्गत पिंडरा जोरा के कटवारी गांव का है. जहां लगभग 200 बच्चे अभी फिलहाल प्राथमिक शिक्षा पाने के लिए 2 किलोमीटर दूर गांव से बाहर निकलकर उलगोड़ा पंचायत भवन जाते हैं. 

स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि कोठवारी गांव में प्राथमिक विद्यालय काफी जर्जर हो गई थी. जिसे ध्वस्त कर नए विद्यालय की मांग की गई थी. मगर आज तक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो सका. 7 साल पत्राचार करने के बावजूद भी विभागीय कोई भी पहल अभी तक नहीं हो सकी. जिस कारण बच्चों की शिक्षा जारी रहे, इसलिए मजबूरी में पंचायत भवन में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने को मजबूर हैं. 

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सुविधाओं का घोर अभाव होने के कारण गांव के बच्चे अब बाहर पढ़ने जा रहे हैं, लेकिन कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनके अभिभावक बाहर पढ़ने में असमर्थ होने के कारण सरकारी विद्यालय में नामांकन करते हैं. मगर सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. 

वहीं अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को भविष्य अंधकार में है, क्योंकि बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने की कोई व्यवस्था इस गांव में नहीं हैं. पुराना विद्यालय ध्वस्त होने के बाद ना ही सरकार और ना ही विभाग ने इस पर कोई ध्यान दिया है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा नहीं रुकनी चाहिए. इसकी चिंता करते हुए पंचायत भवन का सहारा लेना पड़ रहा है. मगर वह भी गांव से काफी दूर होने के कारण बच्चों को पैदल 2 किलोमीटर स्कूल जाना पड़ता है. चाहे गर्मी हो या बरसात आने-जाने में काफी बच्चों को दिक्कत होती है. 

यही नहीं बच्चों ने भी अपना दर्द बयां करते हुए गांव से पंचायत भवन आने में होने वाले कठिनाइयों को बताते हैं. जिससे उसकी प्राथमिक शिक्षक पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में हम कर सकते हैं कि बच्चों का जो सुनहरा भविष्य है, वह अंधकार में है. यदि सरकार या विभाग इस पर पहल नहीं करती है तो ऐसे बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के दावे या सरकार की सर्व शिक्षा अभियान की योजनाएं किसी काम के नहीं, वह धरातल पर दम तोड़ रही है.
इनपुट- मृत्युंजय मिश्रा

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