क्या है रुद्राक्ष, कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष और इसे क्यों करना चाहिए धारण
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क्या है रुद्राक्ष, कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष और इसे क्यों करना चाहिए धारण

Rudraksha Benefits:रुद्राक्ष दो शब्दों रूद्र और अक्ष को जोड़कर बना है. जिसका मतलब है रूद्र के आंसुओं से उत्पन्न. मतलब एक ऐसी शक्तिपूंज जिसमें रूद्र की शक्तियां समाहित हो. आदिकाल से रुद्राक्ष का प्रयोग ग्रहों की शांति के लिए अध्यात्मिक लाभ के लिए और अपनी सुरक्षा के लिए किया जाता रहा है.

 (फाइल फोटो)

पटनाः रुद्राक्ष दो शब्दों रूद्र और अक्ष को जोड़कर बना है. जिसका मतलब है रूद्र के आंसुओं से उत्पन्न. मतलब एक ऐसी शक्तिपूंज जिसमें रूद्र की शक्तियां समाहित हो. आदिकाल से रुद्राक्ष का प्रयोग ग्रहों की शांति के लिए अध्यात्मिक लाभ के लिए और अपनी सुरक्षा के लिए किया जाता रहा है. रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि यह 21 मुखी तक होता है. इनमें से 11 प्रकार के रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं. हालांकि हर रुद्राक्ष की अपनी एक अलग महिमा और इनका अलग देवताओं के साथ संबंध है. 

रुद्राक्ष कैसे आया
पुराणों में एक कथा के अनुसार कहते हैं एक बार तपस्या के दौरान जब भगवान भोलेनाथ अत्यंत क्षुब्‍द यानी भावुक हो गए तो उनके नेत्रों से कुछ आंसू की बूंदें धरती पर गिरी जिनसे रुद्राक्ष की उत्‍पत्ति हुई.   

रुद्राक्ष का प्रयोग क्यों करें
मान्यताओं के अनुसार शिव अर्थात रूद्र साक्षात रुद्राक्ष में बसते हैं. ऐसे में रुद्राक्ष धारण करनेवाले पर साक्षात रूद्र की कृपा बनी रहती है. इसका प्रभाव ऐसा कि इसे धारण करनवाले के पास नकारात्मक शक्तियां या ऊर्जा फटकती तक नहीं है. 

एक पेड़ का फल है यह अनमोल रुद्राक्ष 
रुद्राक्ष का पेड़ पहाड़ी इलाकों में पाया जता है. नेपाल,  बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में यह पेड़ बहुतायत में पाया जाता है. इसी पेड़ का बीज रुद्राक्ष कहलाता है. हालांकि भारत में भी कई पहाड़ी इलाकों में एक विशेष ऊंचाई पर यह पेड़ पाया जाता है. 

राशियों के अनुसार दी जाती है रुद्राक्ष धारण करने की सलाह
जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखते हुए ज्योतिष इससे संबंधित देवताओं को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए रुद्राक्ष पहनने की सलाह देते हैं. अलग-अलग मुख वाले रुद्राक्ष अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं. ऐसे में उस देवता को जिसकी कृपा आपको चाहिए उसके अनुसार उतने ही मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की सलाह दी जाती है. जबकि पांच मुखी रुद्राक्ष को कोई भी धारण कर सकता है. 

एक से 14 मुखी तक रुद्राक्ष को माना जाता है किसका प्रतीक 
एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर, 2 मुखी रुद्राक्ष अर्द्धनारीश्वर, 3 मुखी रुद्राक्ष अग्नि का स्वरूप, चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मस्वरूप, 5 मुखी कालाग्नि स्वरूप, छह मुखी रुद्राक्ष कार्तिकेय, 7 मुखी रुद्राक्ष कामदेव, 8 मुखी रुद्राक्ष को गणेश और भगवान भैरव का, 9 मुखी रुद्राक्ष मां देवी भगवती और शक्ति का, 10 मुखी रुद्राक्ष दशों दिशाओं और यम का, 11 मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान रुद्र, 12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य, अग्नि और तेज का, 13 मुखी रूद्राक्ष को विजय और सफलता का एवं चौदह मुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर स्वरूप माना जाता है.

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