समस्तीपुर मामले में हरकत में आया प्रशासन, पीड़ित परिवार को मिली कबीर अंत्येष्टि अनुदान राशि
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समस्तीपुर मामले में हरकत में आया प्रशासन, पीड़ित परिवार को मिली कबीर अंत्येष्टि अनुदान राशि

पोस्टमार्टम के लिए रुपये मांगे जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है हर दिन पोस्टमार्टम के नाम पर रुपये की मांग की जाती है. वहीं उन्होंने इस मामले पर दोषी अधिकारी और कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है. वही स्थानीय मोरवा विधायक विजय साहू ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की बात कही. 

समस्तीपुर मामले में हरकत में आया प्रशासन, पीड़ित परिवार को मिली कबीर अंत्येष्टि अनुदान राशि

समस्तीपुर: समस्तीपुर सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कर्मी के द्वारा शव देने के लिए 50 हजार रुपये की मांग का मामला हर ओर चर्चा का विषय बन गया है. जी मीडिया ने प्रमुखता से मां-बाप की लाचारी को लोगों के सामने रखा, जिसके बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया. आनन-फानन में प्रशासन के द्वारा कल देर शाम पीड़ित परिवार को शव सौंपा गया जिसके बाद परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार किया. मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की हर तरफ निंदा की जा रही है. 

लोग बोले- सरकारी ऑफिसों में चरम पर भ्रष्टाचार
जानकारी के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने इस लाचार पिता की मदद के लिए मीडिया के प्रयास की सराहना की. लोगों ने कहा कि जी मीडिया के कारण ही आज इस बेबस लाचार पिता को इंसाफ मिल सका है. वही पोस्टमार्टम कर्मी के द्वारा 50 हजार मांगे जाने और पीड़ित परिवार के भिक्षाटन की घटना पर समस्तीपुर नगर विधायक और आरजेडी प्रवक्ता अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम पर है. बिना रुपये दिए कहीं कोई काम नहीं होता है. 

विधानसभा में मुद्दा उठाने की मांग
पोस्टमार्टम के लिए रुपये मांगे जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है हर दिन पोस्टमार्टम के नाम पर रुपये की मांग की जाती है. वहीं उन्होंने इस मामले पर दोषी अधिकारी और कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है. वही स्थानीय मोरवा विधायक विजय साहू ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने की बात कही. वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन अपनी नाकामियों को छुपाने में जुटा है. जिला प्रशासन का कहना है कर्मी के द्वारा 50000 की मांग नहीं की गई थी. ऐसे में अब देखना है इस पूरे मामले पर सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से क्या कार्रवाई की जाती है. 

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