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Deoghar: भगवान श्रीराम के लिए शबरी की भक्ति जगजाहिर है. ऐसी भक्ति या किसी के प्रति ऐसा स्नेह कम ही देखने को मिलता है. सालों बाद ऐसा समर्पण झारखंड में बाबाधाम की नगरी देवघर में देखने को मिला. यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश- विदेश में लाखों-करोड़ों चाहने वाले या कहे की फैन हैं. लेकिन कौशल्या देवी से ये लोग पीछे ही खड़े नजर आते हैं. इस पंक्ति में कौशल्या देवी ही अव्वल दिखती हैं. जिन्होंने समपर्ण की इस राह में अपने निजी जीवन का भी त्याग कर दिया.
एक भाषण ने बदल दी ज़िंदगी
ये बात साल 2003 की है, उस वक्त PM नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. टेलीविजन पर मोदी का भाषण चल रहा था, जिसे कौशल्या देवी बड़े चाव से सुन रही थी. उनके ससुरालवालों को ये पसंद नहीं था. दरअसल उनके परिजन किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी से जुड़े थे. कौशल्या देवी का मोदी से ये जुड़ाव उन्हें रास नहीं आया और उन्होंने उनकी पिटाई कर दी. कौशल्या तब 4 महीने की गर्भवती थी. मारपीट में वो बेहोश हो गई इतना ही नहीं उन्हें अपने बच्चे की जान भी गंवानी पड़ी. इस घटना के बाद भी उनका सपोर्ट मोदी के लिए कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता चला गया.
तपस्या के तप ने दिखाया तेज
ससुराल में तिरस्कार के बाद कौशल्या देवी घर छोड़कर देवघर आ गई. यहां उन्होंने मोदी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर तप शुरू किया. 2003 से 2014 तक वो बिना अन्न और नमक खाएं रही. सिर्फ फल खाकर उन्होंने इतने वर्ष जीवन यापन किया. अपनी कामना को लेकर वो अंगारों पर चली. जिसके निशान आज भी उनके पैरों में हैं. इसके अलावा दिन-रात बाबा मंदिर में पूजा-अर्चना करती रहीं. सैकड़ों बार महामृत्युंजय जाप और महारुद्राभिषेक किया.
2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के आसन पर विराजमान हुए तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उनकी दुआ का दौर आज भी बिना बाधा के जारी है. बस फर्क इतना है कि अब वो पीएम के स्वस्थ स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर प्रार्थना करती हैं. इतनी बरसों की तपस्या में कौशल्या देवी की एक ही इच्छा है कि प्रधानमंत्री उनसे एक बार जरूरी मिले. फिर बेशक ये मुलाकात मात्र 5 मिनट की ही क्यों ना हो.
बाबा धाम में बीता रही हैं जीवन
बाबा धाम के पुरोहित लंबोदर पंडा बताते हैं कि रसीद कटवा कर कौशल्या देवी प्रधानमंत्री के लिए हमेशा पूजा-पाठ कराती हैं. ये सिलसिला कई वर्षों से चलता आ रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि बाबा बैद्यनाथ धाम में सबकी मनोकामना पूरी होती है. कौशल्या देवी ने भी सच्चे दिल से दुआ की तो उनकी मनोकामना भी पूरी हुई.
कष्टों को काटकर बढ़ी आगे
कौशल्या देवी की ज़िंदगी को देखकर प्रधानमंत्री के प्रति उनके समपर्ण भाव को समझा जा सकता है. उन्होंने बिना जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपना तय किया रास्ता नहीं छोड़ा. आज के परिवेश में इस तरह के उदाहण ना के बराबर ही हैं. अब देखना ये है कि देवघर दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनकी त्याग और विश्वास की आवाज पहुंच पाती है या नहीं.