Makar Sankranti: मकर संक्रांति का त्यौहार आज, 600 साल बाद दुर्लभ संयोग में उत्तरायण पर्व
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Makar Sankranti: मकर संक्रांति का त्यौहार आज, 600 साल बाद दुर्लभ संयोग में उत्तरायण पर्व

देशभर में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. 600 साल बाद आज के दिन ये दुर्लभ संयोग बना है. आज के दिन स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. वहीं बांका के बौसी प्रखंड स्थित पौराणिक देवासुर संग्राम के समुद्र मंथन मंदार पर्वत की तलहटी में अवस्थित पापहरणी सरोवर में मकर संक्रांति को लेकर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई.

Makar Sankranti: मकर संक्रांति का त्यौहार आज, 600 साल बाद दुर्लभ संयोग में उत्तरायण पर्व

बांका: देशभर में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. 600 साल बाद आज के दिन ये दुर्लभ संयोग बना है. आज के दिन स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. वहीं बांका के बौसी प्रखंड स्थित पौराणिक देवासुर संग्राम के समुद्र मंथन मंदार पर्वत की तलहटी में अवस्थित पापहरणी सरोवर में मकर संक्रांति को लेकर कल और आज दोनों दिन ही काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. हालांकि पापहरणी सरोवर में सुरक्षा को देखते हुए तालाब में बैरिकेडिंग के साथ-साथ 4 मोटर बोट और 18 सदस्यीय एस डी आर एफ की टीम लगाई गई है. ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो.

पापहरणी सरोवर में स्नान
कहते हैं गौतम ऋषि के श्राप से देवराज इंद्र इसी पापहरणी सरोवर में स्नान कर पश्चात श्राप मुक्त हुए थे. चोल वंश के राजा को भी इसी सरोवर में स्नान करने से कुष्ठ जैसे रोग से निवारण हुआ मिला था. लोग पापहरणी सरोवर को कष्टहरणी के नाम से भी जानते हैं. राजा चोल के व्याधि मुक्त होने पर उनकी पत्नी रानी कोणती ने पापहरणी सरोवर की खुदाई कर बनवाई हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ने लगते हैं.  

श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
मकर संक्रांति को लेकर पापहरणी सरोवर में श्रद्धालुओं ने अपना शारीरिक कष्ट हरने आस्था की डुबकी लगाई. सरोवर मध्य अष्ट कमल लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की. राज्य के विभिन्न जिलों के साथ बिहार सहित कई प्रदेश से  धर्मावलंबी पहुंच रहे हैं. सरोवर में स्नान कर पूजा-अर्चना कीर्तन भजन कर रहे हैं. मंदार शिखर जैन मंदिर में जहां जैन संप्रदाय के लोग 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य के खड़गासन प्रतिमा का दर्शन करते हैं. वहीं सनातन हिंदू संप्रदाय के लोग पर्वत शीर्ष के राम झरोखा, विष्णुपद और काशी विश्वनाथ का दर्शन करते हैं. 
इनपुट- बीरेंद्र बांका

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