Mumbai Sea Bridge: मुंबई के लिए अटल सेतु किसी वरदान से कम नहीं है. अटल सेतु को 20 हज़ार करोड़ रुपये की लागत और दस देशों के विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है.
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Atal Setu Mumbai: मुंबई के लिए शुक्रवार का दिन बेहद खास रहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रैफिक जाम से जूझती मुंबई को अटल सेतु का तोहफा दिया. अटल सेतु भारत का सबसे बड़ा समुद्री पुल है. जिसकी कुल लंबाई 22 किलोमीटर है. अटल सेतु बनने में सात वर्ष का समय लगा है. इस पुल के निर्माण कार्य में 5 हज़ार से ज्यादा श्रमिकों ने दिन रात काम किया. अटल सेतु के निर्माण पर करीब 18 हज़ार करोड़ रुपये लागत आई है.
उद्धघाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी फोटो गैलरी गए, यहां पुल के निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों और इंजीनियर्स के काम को देखा. इसके बाद में प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अजीत पवार के साथ अटल सेतु पर गए. अटल सेतु का साढ़े 16 किलोमीटर का हिस्सा समंदर से होकर गुजरता है, जबकि बाकी साढ़े 5 किलोमीटर का हिस्सा जमीन पर है. पहले समंदर पर बने इस पुल को Mumbai Trans harbour Link नाम दिया गया था, जिसे अब अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु नाम दिया गया है.
Eiffel tower से 17 गुना ज्यादा Steel का इस्तेमाल
अटल सेतु के निर्माण में करीब 1 लाख 77 हज़ार 900 Metric Ton Steel और 5 लाख 4 हज़ार 250 Metric Ton सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है. अटल सेतु के निर्माण में Eiffel tower से 17 गुना ज्यादा Steel का इस्तेमाल हुआ है, जबकि कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से 4 गुना ज्यादा Steel लगा है. अटल सेतु इतना मजबूत है कि इसपर भूकंप, समंदर से उठने वाली ऊंची लहरों और तेज हवाओं के दबाव का कोई असर नहीं होगा. पुल का निर्माण समंदर 15 मीटर ऊंचाई पर किया गया है, इसके लिए इंजीनियर और श्रमिकों को समंदर में 47 मीटर तक खुदाई करनी पड़ी.
100 वर्ष तक टिकाऊ रहेगा
अटल सेतु पर भारी वाहन, Bike, Auto Rishaw और ट्रैक्टर चलाने की इजाजत नहीं होगी. मुंबई के लिए अटल सेतु किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि नौकरीपेशा लोगों का काफी समय जाम की वजह से बर्बाद हो जाता था. अटल सेतु का निर्माण इस तरह से किया गया है, कि अगले 100 वर्ष तक ये पुल टिकाऊ रहेगा. अटल सेतु के खुलने से मुंबई के लोगों को ट्रैफिक जाम से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, इस पुल को मुंबई के लोगों के लिए वरदान माना जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक
- जाम की वजह से दक्षिण मुंबई से नवी मुंबई तक 2 घंटे में होने वाला सफर, अब 20 से 25 मिनट में पूरा होगा.
- अटल सेतु पर सफर से सालाना 1 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी.
- सालाना Carbon Dioxide का उत्सर्जन 25 हज़ार मीट्रिक टन कम किया जा सकेगा.
- काफी हद तक जाम की समस्या से निजात मिलेगी और प्रदूषण के स्तर में सुधार होगा.
सुरक्षा और सुविधाओं का पूरा ख्याल
अटल सेतु के निर्माण में भले ही 7 साल का वक्त लगा, लेकिन मुंबई के विकास की दिशा में ये पुल अहम साबित होने वाला है. 6 लेन के अटल सेतु पर दोनों तरफ तीन-तीन लेन होगी. साथ ही वाहन चालकों की सुरक्षा और सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा गया है. वाहन चालकों पर निगरानी के लिए साढ़े तीन सौ से ज्यादा कैमरों से नज़र रखी जायेगी.
अटल सेतु पर वाहन चालकों के लिए सफर कितना आरामदायक और सुविधाजनक होने वाला है, इसे जानने के लिए Zee News की टीम ने 22 किलोमीटर लंबे अटल सेतु पर सफर किया. ये जाना कि अगर बीच रास्ते में कोई समस्या आ जाती है, तो किस तरह मदद पहुंचेगी. कैसे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जायेगा. इसी पर हमने Ground Report तैयार की है.
अटल सेतु को 20 हज़ार करोड़ रुपये की लागत और दस देशों के विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है. जो मुंबई के लोगों का समय और पैसा दोनों बचाएगा. दक्षिण मुंबई से नवी मुंबई के बीच पहले डेढ से दो घंटे लगते थे. अब अटल सेतु के रास्ते ये सफर महज 20 मिनट में तय किया जा सकेगा.
6 लेन का सफर आसान
कुल 6 लेन का अटल सेतु लोगों का सफर आसान बनाएगा, साथ ही इससे जुड़े क्षेत्रों में आर्थिक विकास को रफ्तार भी मिलेगी. क्योंकि अटल सेतु
- मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे
- मुंबई-गोवा हाईवे
- और नवी मंबई के प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़ेगा.
समंदर में इस पुल को OSD तकनीक यानी Orthotropic Steel Deck से तैयार किया गया है, ताकि आसानी से पुल के पिलर को जंग ना लगे. अटल सेतु अगले 100 वर्ष के लिए टिकाऊ रहेगा. समंदर पर बने साढ़े 16 किमी पुल में से 6 किमी हिस्से की ऊंचाई सामान्य से ज्यादा रखी गई है, क्योंकि अटल सेतु जवाहरलाल नेहरू पोर्ट के करीब है. यहां से व्यवसायिक जहाज़ों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया है. समंदर पर बने इस पुल पर दोनों तरफ तीन-तीन लेन हैं. लेकिन अलग से चौथी रेस्क्यू लेने बनाई गई है.
अटल सेतु से रोजाना 70 हज़ार से ज्यादा वाहनों की आवाजाही की उम्मीद है. यहां स्पीड लिमिट 80 से 100 किमी के बीच तय की गई है. फिर भी अगर कोई ट्रैफिक नियम तोड़ता है तो इसका बिना देरी के अलर्ट मिलेगा. 22 किमी लंबे इस रूट को 350 से ज्यादा कैमरों से लैस किया गया है. इनमें सीसीटीवी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट वीडियो सर्विलांस कैमरे शामिल हैं.
- पुल पर 130 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं
- पुल के निचले हिस्से की 36 कैमरों से निगरानी होगी
- वाहनों की स्पीड पर नज़र रखने के लिए 12 स्पीड कैमरे लगे हैं
- 190 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड वीडियो कैमरे हैं.
अटल सेतु से 22 किलोमीटर का सफर करने के लिए वाहन चालकों को एक तरफ का 250 रुपये टोल भी चुकाना होगा.
Mumbai में Traffic जाम की समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि जाम से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के 10 शहरों में मुंबई तीसरे नंबर पर है. मुंबई में Congestion Level 53 फीसदी है.
मुंबई में ट्रैफिक जाम से ना सिर्फ लोगों के समय की बर्बादी होती है बल्कि उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. Observer Research Foundation की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक
- मुंबई को जाम की वजह से सालाना 410 बिलियन यानी 41 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान होता है.
- मुंबई में प्रति व्यक्ति 121 घंटे यानी एक वर्ष में करीब 5 दिन सिर्फ जाम में फंसने की वजह से बर्बाद हो जाते हैं.
- मुंबई में जाम की सबसे बड़ी वजह यहां वाहनों की संख्या है, इस समय मुंबई में करीब 41 लाख वाहन मौजूद हैं.
- मुंबई में प्रति एक किलोमीटर के दायरे में 600 कारें सड़क पर दौड़ती हैं, इस मामले में मुंबई देश में पहले नंबर पर है.
कार के अलावा बस, बाइक, स्कूटर और ऑटो का दबाव मुंबई की सड़कों पर अलग से रहता है. जाम से ना सिर्फ लोगों का समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. देशभर में ट्रैफिक जाम पर नज़र रखने वाली Website Tom-Tom की रिपोर्ट के मुताबिक
- मुंबई में Peak Hour यानी शाम 6 से 7 बजे के बीच सबसे ज्यादा जाम रहता है.
- Peak Hour में 10 Km का सफर तय करने में औसतन 30 मिनट लगते हैं.
- इस दौरान मुंबई में वाहनों की Speed 20Km/घंटे के आसपास ही रहती है.
- अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन कार से 20Km का सफर तय करता है, तो सालाना 396 घंटे Driving करता है. इसमें से 184 घंटे सिर्फ जाम की वजह से बर्बाद हो जाते हैं.
- 20Km रोजाना Driving से साल में 2009Kg Carbon Dioxide का उत्सर्जन होता है. इसमें से 625Kg Carbon Dioxide सिर्फ जाम की वजह से उत्सर्जित होती है.
- इतनी Carbon Dioxide को Absorb करने के लिए सालाना 201 पेड़ों की आवश्यता होती है.
- रिपोर्ट के मुताबिक अगर 20Km प्रतिदिन Driving करके जाने वाला व्यक्ति अगर Week में एक दिन Work From Home करता है. तो इससे सालाना 80 घंटे समय की बचत होगी. साथ ही 400KG Carbon Dioxide के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा.
मुंबई की तरह दिल्ली भी ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रही है. दिल्ली में सालाना प्रति व्यक्ति 110 घंटे जाम की वजह से बर्बाद हो जाते हैं. लेकिन दोनों शहरों की भौगोलिक स्थिति अलग होनी की वजह से मुंबई ज्यादा प्रभावित है.
- मुंबई अरब सागर के किनारे बसा शहर है. जिसकी भौगोलिक स्थिति Linear है.
- यहां एक से दूसरे जगह पहुंचने के लिए मुख्य तौर पर दो एक्सप्रेस हाईवे हैं.
- ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे और दूसरा वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे.
- इन दोनों एक्सप्रेस हाईवे के अलावा कोई मुख्य रास्ता नहीं है.
मुंबई के मुकाबले दिल्ली की भौगोलिक स्थिति अलग है. कुछ हद तक दिल्ली गोलाकार है. दिल्ली में Inner और Outer Ring Road हैं. जिस वजह से एक से दूसरे स्थान पर जाने के लिए लोगों को एक से ज्यादा रास्ते मिलते हैं. जबकि मुंबई में ऐसा नहीं है.
भारत के लिए गर्व की बात है, कि समंदर पर सबसे बड़ा पुल बनाने में कामयाबी हासिल की है. लेकिन अब हम आपको दुनिया के तीन सबसे लंबे समुद्री पुल के बारे में बताते हैं.
- दुनिया का सबसे लंबा और पहले नंबर पर समुद्री पुल अमेरिका का ओवरसीज हाइवे है, जिसकी कुल लंबाई करीब 182 किलोमीटर है.
- लंबाई के मामले में दूसरे नंबर पर चीन का Qingdao bridge है, जिसकी कुल लंबाई 42.6 किलोमीटर है.
- दुनिया का तीसरा सबसे लंबा समुद्री पुल चीन का ही Hangzhou Bay Bridge (हांग्जो बे ब्रिज) है. जिसकी कुल लंबाई 35 किलोमीटर से ज्यादा है.
मुंबई को ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाने के लिए अटल सेतु की शुरूआत हो चुकी है, अभी कई और Project पर मुंबई में काम चल रहा है. जिनके इसी वर्ष पूरा होने की उम्मीद है. (DNA)