India Alliance: कांग्रेस ने एक ऐसा फैसला ले लिया जिसकी वजह से इंडिया गठबंधन का ताना-बाना उखड़ने लगा और समाजवादी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया. अगर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अपनी बात पर अडिग रहे तो यूपी में इंडिया गठबंधन का बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा. क्या ऐसा होगा या कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करेगी?
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Akhilesh Yadav: दुष्यंत कुमार का एक शेर है, कहां तो तय था चरागां हर एक घर के लिए.. कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए. भारतीय राजनीति में बड़े ही जोर-शोर से पिछले दिनों बने इंडिया गठबंधन की दशा कुछ इसी शेर की तरह दिख रही है. गठबंधन बनाया ही इसीलिए गया था कि विपक्षी पार्टियां मिलकर बीजेपी का सामना करेंगी लेकिन यहां तो कांग्रेस ने ही सपा के साथ खेल कर दिया. हुआ यह कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का ऐलान करते समय कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की एक ना सुनी और उन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया जहां से पिछली बार सपा विजयी हुई थी या जहां काफी मजबूत थी. बस इसी बात पर सपा सुप्रीमो भड़क गए और उन्होंने एक ऐसा अल्टीमेटम दे दिया जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में तेज है. अखिलेश ने अगर वैसा कर दिया तो देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में इंडिया गठबंधन भरभराकर गिर जाएगा, और कांग्रेस के सपने टूट जाएंगे.
'कांग्रेस ने धोखा दिया'
असल में उधर कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया और इधर अखिलेश यादव को लग गया कि कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया है. उन्होंने साफ कह दिया कि कांग्रेस मध्य प्रदेश स्तर पर गठबंधन नहीं करती है, तो भविष्य में भी यही होगा और उत्तर प्रदेश स्तर में भी गठबंधन नहीं होगा. एक नजरिए से देखा जाए तो कांग्रेस के ऊपर जो आरोप सपा सुप्रीमो लगा रहे हैं वो सही हैं. कायदे से गठबंधन धर्म तो यही होना था कि कि एमपी में समाजवादी पार्टी को सीट देनी चाहिए थी. यहां तक कि प्रेस के कैमरों से घिरे अखिलेश यादव नाराजगी में तो यहां तक कह गए कि यदि मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठजोड़ नहीं होगा तो हमारी पार्टी के नेता बैठकों में नहीं जाते. हमने उन्हें सूची नहीं दी होती कि सपा मध्य प्रदेश में किन-किन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और न ही हम उनका फोन उठाते.
यूपी केंद्र की सत्ता का बड़ा गलियारा
इसके अलावा यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी के चुनाव लड़ने की तैयारी को लेकर अखिलेश ने कहा कि आप किस नेता की बात कर रहे हैं? प्रदेश अध्यक्ष की कोई हैसियत नहीं है. ना वह पटना की इंडिया गठबंधन की बैठक में थे, ना वह मुंबई की बैठक में थे. वह ‘इंडिया’ गठबंधन के बारे में क्या जानते हैं. उन्होंने आगे कहा कि गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उसपर विचार किया जाएगा. इसका मतलब साफ़ है कि यूपी में अखिलेश वही करेंगे जो एमपी में कांग्रेस ने किया. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं और यही वो सूबा है जो केंद्र की सत्ता का सबसे बड़ा गलियारा है. समाजवादी पार्टी इसी सूबे की पार्टी है. यहां विधानसभा में उसकी सरकारें रह चुकी हैं. फिलहाल वह सबसे बड़े विपक्ष के रूप में है. ऐसे में अगर अखिलेश ने जो कहा है उस पर अडिग रहेंगे तो कांग्रेस और इंडिया गठबंधन दोनों को नुकसान होना तय है.
डैमेज कंट्रोल का कोई मैसेज नहीं
फिलहाल अभी तक कांग्रेस की तरफ से इस डैमेज कंट्रोल का कोई मैसेज नहीं आया है. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय जरूर बयानबाजी कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उनकी पार्टी अकेले के दम पर भी यूपी में मजबूत है. लेकिन शायद वे यह भूल रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की मीटिंग्स में क्या-क्या वादे और दावे देश को दिखाए गए हैं. इस पूरे मामले का पटाक्षेप होता नहीं दिख रहा है. यह क्लियर है कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. यह सब कैसे हुआ यह भी साफ है. कमलनाथ और कांग्रेस के एक फैसले ने सपा को नाराज किया और इंडिया गठबंधन की साइकिल पंचर कर दी, अब इसका प्रभाव भी दिखेगा.