Agniveer Reservation: अग्निवीरों के लिए केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान, दे दी 10% आरक्षण की सौगात
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Agniveer Reservation: अग्निवीरों के लिए केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान, दे दी 10% आरक्षण की सौगात

Agniveer Recruitment: अग्निवीरों (Agniveer) के लिए बड़ी खुशखबरी है. केंद्र सरकार ने अग्निवीरों के लिए बड़ा ऐलान किया है. अब से बीएसएफ (BSF) की भर्ती में अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा.

Agniveer Reservation: अग्निवीरों के लिए केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान, दे दी 10% आरक्षण की सौगात

Reservation For Agniveer: केंद्र सरकार ने अग्निवीरों (Agniveer) के लिए बड़ी घोषणा की है. बीएसएफ (BSF) की भर्ती में अग्निवीरों को 10% आरक्षण मिलेगा. इतना ही नहीं उन्हें बीएसएफ की भर्ती के दौरान उम्र सीमा में भी छूट दी जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीएसएफ में अग्निवीरों के लिए आरक्षण से जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, पहले बैच के Ex-अग्निवीरों को बीएसएफ की भर्ती के दौरान उम्र सीमा में 5 साल तक की छूट मिलेगी. फिर इसके बाद वाले बैच के Ex-अग्निवीरों को उम्र सीमा में 3 साल तक की छूट दी जाएगी.

क्या है अग्निपथ स्कीम?

जान लें कि केंद्र सरकार ने 14 जून, 2022 को अग्निपथ स्कीम शुरू की थी. इसके तहत सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए नियम तय किए गए हैं. अग्निपथ स्कीम के तहत, सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए साढ़े 17 से 21 साल की उम्र के युवा आवेदन करने के पात्र हैं. उन्हें 4 साल के लिए सशस्त्र बलों में रिक्रूट किया जाएगा. 4 साल के बाद इनमें से 25 फीसदी को सशस्त्र बलों में ही नौकरी दी जाएगी.

योजना को लेकर क्यों हुए थे प्रदर्शन?

गौरतलब है कि अग्निपथ स्कीम के ऐलान के बाद कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. हालांकि, बाद में केंद्र सरकार ने साल 2022 के लिए रिक्रूटमेंट की अधिकतम उम्र सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी थी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और केंद्र सरकार के वकील हरीश वैद्यनाथन ने बताया कि अग्निपथ स्कीम सशस्त्र बलों के लिए रिक्रूटमेंट में सबसे बड़े पॉलिसी चेंज में से एक है.

कोर्ट ने बताई राष्ट्र हित की योजना

बता दें कि हाल ही में अग्निपथ स्कीम को दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रहित की स्कीम बताया था और इसे अदालत में चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा था कि इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है.

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