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India Thailand Relations: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत के थाइलैंड के साथ समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंध अगले स्तर पर पहुंचने वाले हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था के क्रियान्वयन तथा प्रगति में थाइलैंड की सक्रिय साझेदारी के लिए भारत उसके साथ काम करने को आशान्वित है.
दोनों देशों के 75 साल
यहां के प्रतिष्ठित चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय में ‘हिंद-प्रशांत का भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर अपने व्याख्यान में जयशंकर ने कहा कि रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र अत्यंत विविधता वाला है, लेकिन उसका विशिष्ट गतिविज्ञान है. बता दें कि भारत और थाइलैंड कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं.
इस दौरान जयशंकर ने कहा, ‘हमारे समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंध अगले स्तर पर बढ़ने को तैयार हैं. हम अपने कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं. थाइलैंड हमारे स्वतंत्र कालखंड के शुरुआती साझेदारों में से एक है.’
विदेश मंत्री ने कही ये बात
उन्होंने कहा कि भारत एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र की परिकल्पना करता है जो नियम आधारित व्यवस्था, टिकाऊ तथा पारदर्शी अवसंरचना निवेश पर आधारित हो. उन्होंने संप्रभुता के लिए आपसी सम्मान पर भी जोर दिया.
क्षेत्र में चीन के प्रभुत्ववादी व्यवहार की पृष्ठभूमि में जयशंकर ने कहा, ‘भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे दृष्टिकोण के क्रियान्वयन और प्रगति में थाइलैंड की सक्रिय भागीदारी के लिए उसके साथ मिलकर काम करने को उत्सुक है.’ चीन पूरे दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का दावा करता है. वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलिपीन, ब्रूनेई और ताइवान के विपरीत दावे हैं. थाइलैंड को एक सभ्यतागत तथा रणनीतिक पड़ोसी बताते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण एवं एजेंडे के अनुरूप हैं.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-म्यांमा-थाइलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (आईएमटीटी) में एशिया में आर्थिक गतिविधि का नया केंद्रबिंदु सृजित करने की क्षमता है.
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