Goa: क्या खत्म हो रहा है पार्टी का क्रेज? गोवा आने वाले विदेशी पर्यटकों में क्यों आ रही गिरावट, जानिए वजह
Advertisement
trendingNow12506532

Goa: क्या खत्म हो रहा है पार्टी का क्रेज? गोवा आने वाले विदेशी पर्यटकों में क्यों आ रही गिरावट, जानिए वजह

Goa Tourism Sector Struggles: भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के बीच लंबे समय से पसंदीदा छुट्टी मनाने की जगह गोवा में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन में भारी गिरावट देखी गई है. स्थानीय दैनिक ओहेराल्डो की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के वर्षों में समुद्र तटीय राज्य में विदेशी पर्यटकों के आगमन में भारी गिरावट आई है, जिससे कभी चहल-पहल वाले तटों पर काफ़ी शांति छा गई है और स्थानीय कारोबारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

Goa: क्या खत्म हो रहा है पार्टी का क्रेज? गोवा आने वाले विदेशी पर्यटकों में क्यों आ रही गिरावट, जानिए वजह

Foreign Tourism Decline In Goa: देश के पश्चिम तटीय राज्य गोवा में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. इससे कभी बेहद चहल-पहल से भरे रहने वाले समुद्री तटों पर काफी शांति छा गई है. इसके साथ ही स्थानीय कारोबारी अपने व्यवसाय के भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं.

गोवा में रमणीय समुद्र तटों के साथ ही अनूठा सांस्कृतिक मिश्रण

रमणीय समुद्र तटों से लेकर अपने यूनिक सांस्कृतिक मिश्रण तक गोवा दशकों से भारत आने वाले विदेशी टूरिस्टों के लिए छुट्टियों में जरूर घूमने जाने वाली पसंदीदा जगहों में से एक रहा है. इस भारतीय समुद्र तटीय स्वर्ग ने साल-दर-साल दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित किया है, लेकिन इन दिनों यह समुद्र तट वाले राज्य में पर्यटन उद्योग खतरे की चपेट में दिख रहा है. क्योंकि, पर्यटन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. 

चार साल में आधे से भी ज्यादा घटे गोवा आने वाले विदेशी पर्यटक

स्थानीय दैनिक ओहेराल्डो की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में, गोवा ने लगभग 9.4 लाख विदेशी पर्यटकों का स्वागत किया था, लेकिन साल 2023 के नवंबर तक यह आंकड़ा आधे से भी ज्यादा घटकर सिर्फ़ 4.03 लाख रह गया. हालांकि, गोवा सरकार ने बाद में इस आंकड़े को मनगढ़ंत करार दिया है. गोवा में आमदनी वाला पर्यटन क्षेत्र गहन चुनौतियों के साथ अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों पर बहुत अधिक हद तक निर्भर है.

गोवा में पर्यटन में गिरावट, आखिर क्या-क्या हैं इसकी बड़ी वजहें

गोवा के एक स्थानीय कारोबारी रामानुज मुखर्जी ने विदेशी पर्यटकों में खतरनाक गिरावट को दर्शाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "विदेशी पर्यटकों ने पहले ही राज्य को छोड़ दिया है. रूसी और ब्रिटिश जो सालाना आते थे, उन्होंने इसके बजाय श्रीलंका को चुना है. " उनकी पोस्ट को 2 मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया है. मामले के तूल पकड़ने के बाद गोवा सरकार ने इन दावों को बेबुनियाद बताया है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर विदेशी पर्यटक गोवा से क्यों दूर जा रहे हैं? इसकी बड़ी वजहें क्या- क्या हो सकती हैं?

गोवा में कुख्यात 'टैक्सी माफिया' का उदय, लड़ाई-झगड़े का आरोप

गोवा के पर्यटन उद्योग को स्थानीय लोगों द्वारा 'टैक्सी माफिया' कहे जाने वाले समूह से अप्रत्याशित चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. यह एक शक्तिशाली समूह है, जो अक्सर पर्यटकों और निवासियों दोनों की कीमत पर राज्य की टैक्सी सेवाओं पर हावी रहता है. इन टैक्सी ऑपरेटरों ने अपने बढ़े हुए किराए, मीटर वाली सेवाओं की कमी और सरकारी नियमों की अवहेलना के लिए बहुत बदनामी हासिल की है.

गोवा आने वाले कई पर्यटकों, विशेष रूप से विदेशियों को इसके चलते कई बार घटिया लेवल की लड़ाई का सामना करना पड़ता है. इससे उन्हें लगता है कि उनसे अधिक पैसे लिए जा रहे हैं और उनका फ़ायदा उठाया जा रहा है. एक्स के एक यूजर ने टूरिस्ट के बीच बढ़ती निराशा को बताते हुए कहा, "गोवा स्थानीय टैक्सी माफिया और प्रशासन के गठबंधन के कारण बर्बाद हो गया है." 

किराया तय करते वक्त टूरिस्ट से मारपीट और धमकी की वारदात

गोवा आने वाले कई पर्यटकों ने किराए पर बातचीत करते समय या उचित कीमत के लिए नेगोशिएट करते समय भी टैक्सी चालकों की ओर से धमकी और लड़ाई का सामना किया है. टैक्सी चालक कभी-कभी अपनी बेहद ऊंची मांगों को पूरा न किए जाने पर सर्विस देने से ही इनकार कर देते हैं. एक्स पर एक यूजर ने आपबीती में बताया कि कैसे उसे एक पॉपुलर बीच से अपने जर्मन दोस्त को ले जाने के लिए 10 से ज्यादा टैक्सी ड्राइवर्स के साथ दुश्मनी मोल लेनी पड़ी.

टैक्सी माफिया के कारण गोवा का पर्यटन पर उठ रहे कई सवाल 
 
उन्होंने लिखा कि बेनाउलिम में उनके जर्मन साथी को 37 किलोमीटर की सवारी के लिए 1,800 रुपये का भुगतान करना पड़ा. बहस करने पर 10 से ज्यादा टैक्सी चालक उसे पीटने के लिए सामने आ गए. जबकि उसका एक लोकल दोस्त भी साथ था. फिटनेस इन्फ्लुएंसर चिराग बड़जात्या ने भी इसी तरह की एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, "एक बार गोवा में, हमने अपनी कार में एक विदेशी पर्यटक को लिफ्ट दी. कुछ टैक्सी वालों ने हमें रोका और कहा कि उसे नीचे उतार दें, नहीं तो वे कार तोड़ देंगे. टैक्सी माफिया के व्यवहार के कारण गोवा का पर्यटन काफी हद तक विवादित हो गया है." 

ओला और उबर ऑनलाइन राइड-हेलिंग सेवाओं की गैरमौजूदगी

भारत के अधिकांश प्रमुख पर्यटक शहरों में संचालित होने वाली ओला और उबर जैसी ऑनलाइन राइड-हेलिंग सेवाओं की गैरमौजूदगी से यह स्थिति  और भी बदतर हो गई है. जब ओला ने 2014 में गोवा में लॉन्च करने का प्रयास किया, तो टैक्सी यूनियनों ने हड़ताल कर दी, जिससे सरकार पर ऐप को ब्लॉक करने का दबाव पड़ा. सीमित परिवहन विकल्पों के चलते गोवा में पर्यटकों के पास अक्सर ऊंची दरों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है, जिससे निगेटिव रिव्यू, निराशा और असंतोष बढ़ता है.

क्या हैं भूराजनीतिक कारक (What is the geopolitical factor)

ओ हेराल्डो की रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन संघर्ष और इजरायल तथा फिलिस्तीन के बीच अशांति के कारण इन क्षेत्रों से गोवा आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है. द गोअन एवरीडे ने रिपोर्ट किया कि इससे पहले, गोवा में रूस से प्रतिदिन लगभग पांच चार्टर उड़ानें आती थीं, लेकिन अब सप्ताह में केवल कुछ उड़ानें ही आ पाती हैं. इसी तरह, इजरायली पर्यटक, जो कभी अक्सर गोवा आते थे, अब पश्चिम एशिया में राजनीतिक अस्थिरता के कारण दूरी बरत रहे हैं. इसके कारण इजरायल से चार्टर उड़ानें निलंबित हैं.

इजरायल की विभिन्न मोर्चों पर सैन्य कार्रवाइयों का भी बड़ा असर

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में एक इजरायली नागरिक ने कहा, "केवल कुछ उड़ानें उपलब्ध हैं, लेकिन टिकट बहुत महंगे हो गए हैं. मैं एक महीने के वीजा पर यहां आया था, जो जल्द ही समाप्त हो जाएगा. हम पांच लोगों के समूह के साथ यहां आए थे. उनमें से तीन पहले ही सेना में स्वयंसेवक के रूप में लौट गए हैं. मैंने फिलहाल अन्य शहरों की यात्रा करने की योजना रद्द कर दी है. इस हिंसा के बीच, अगर मैं समुद्र तट पर जाता हूं तो मुझे गिल्ट महसूस होता है. इसलिए, हम यहां एकजुटता के लिए और अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करने जुटते हैं."

गोवा के प्रमुख व्यवसायों पर भी कम होते विदेशी पर्यटकों का असर

विदेशी पर्यटकों की कम संख्या का असर गोवा के प्रमुख व्यवसायों पर भी पड़ रहा है. शेक वेलफेयर ओनर्स सोसाइटी (एसडब्ल्यूओएस) के अध्यक्ष क्रूज़ कार्डोज़ो ने अप्रैल में ओहेरालाडो से कहा था, "विदेशी पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है. यहां तक ​​कि भारतीय पर्यटक भी शेक में कम आते हैं. स्थिति ऐसी है कि कुछ कमरे लगातार खाली रही हैं, क्योंकि वे अपने रोजाना के खर्चों का भी प्रबंधन नहीं कर पा रहे हैं."

यूके नागरिकों के लिए ई-वीज़ा प्रक्रिया में होने वाली देरी का भी मामला

इन भू-राजनीतिक चुनौतियों से अलग यूके नागरिकों के लिए ई-वीज़ा प्रक्रिया में भारत सरकार की ओर से होने वाली देरी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. इससे भी यूरोपीय पर्यटकों की संख्या कम हो गई है और गोवा में अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों का फ्लो लगातार प्रभावित हुआ है. हालांकि, भारतीय पर्यटक गोवा आना जारी रखते हैं, लेकिन अन्य दक्षिण एशियाई मंजिलों के मुकाबले में राज्य की उच्च कीमतों और घटते बुनियादी ढांचे के कारण कई लोग पुनर्विचार कर सकते हैं.

क्या गोवा में है ओवर-टूरिज्म? थाईलैंड और हनोई को बेहतर बता रहे लोग

एक टूरिस्ट ने अपने बढ़ते असंतोष को जाहिर करते हुए एक्स पर लिखा, “लोगों का मानना ​​है कि गोवा अति-पर्यटन से ग्रस्त है. इस बीच, दक्षिण पूर्व एशिया और तटीय स्पेन बेहतर परिवहन, उच्च जीवन स्तर और अच्छी तरह से संरक्षित पर्यावरण के साथ कम लागत पर बहुत अधिक आगंतुकों का स्वागत करते हैं. हम गोवा को नाकाम कर रहे हैं." वहीं, दूसरे ने कहा कि गोवा ने बजट-अनुकूल विकल्प के रूप में अपनी अपील खो दी है. 

उन्होंने कहा, "गोवा में मेरे द्वारा देखे गए किसी भी अंतरराष्ट्रीय समुद्र तट गंतव्य की तुलना में सबसे खराब बुनियादी ढांचा है. वहीं, थाईलैंड का फुकेत गोवा से कम खर्चे पर उससे कहीं बेहतर सुविधाएं प्रदान करता है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में एक फंड मैनेजर विजय मेहता ने पहले बताया था कि गोवा में बढ़ती लागत इसकी प्रतिस्पर्धी बढ़त को खत्म कर रही है. उन्होंने कहा, "गोवा की तुलना में हनोई जाना सस्ता है. वियतनाम नए थाईलैंड की तरह है, जहां बड़े पैमाने पर किफ़ायती पर्यटन, सीधी उड़ानें और पैसे की अच्छी कीमत है."

ये भी पढ़ें - Demonetisation: 8 नवंबर को 8 बजे के 8 साल, नोटबंदी से कितनी बदली सियासी तस्वीर- कितना सुधरा अर्थव्यवस्था का हाल?

सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताओं के बारे में गोवा पर्यटन ने क्या- क्या कहा? 

गोवा पर्यटन ने सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताओं का जवाब देते हुए एक बयान जारी किया. बयान में कहा गया, "किसी भी अन्य गंतव्य की तरह, गोवा भी बाजार की ताकतों के अधीन है. कई बार, यात्रा और आवास पर लागत इसे महंगा बना सकती है, जिससे कुछ लोग विकल्प तलाशने लगते हैं. हालांकि, गोवा लगातार ऐसी चुनौतियों का सामना करता रहा है फिर भी यह तमाम तरह के यात्रियों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बना रहेगा.

इस बीच, नवंबर से मार्च तक के पीक सीज़न के शुरू होने के साथ, सभी की निगाहें गोवा पर टिकी हैं कि राज्य कैसे इन चुनौतियों का समाधान करता है और टूरिस्ट के लिए अपनी अपील को बनाए रख पाता है.

ये भी पढ़ें - LK Advani: पहले चुनाव से आज तक राजनीति को कैसे प्रभावित कर रहे आडवाणी? आजादी के बाद क्यों शिक्षक-पत्रकार से नेता बने

तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!

Trending news