Acharya Pramod Krishnam History: आचार्य प्रमोद कृष्णम देखने में भले धर्मगुरु लगें लेकिन सियासत से भी गहरा जुड़ाव है. कांग्रेस से चुनाव लड़े लेकिन राम मंदिर बना तो पीएम मोदी की तारीफ करने लगे. अब मोदी से मिले तो सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई.
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Pramod Krishnam PM Narendra Modi: लंबी सफेद दाढ़ी, मस्तक पर लाल टीका, तन पर सफेद कपड़ा, हाथ में कलावा पहनने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम नेता कम धर्मगुरु ज्यादा दिखाई देते हैं. कांग्रेस से लंबा जुड़ाव है लेकिन पिछले दिनों अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ तो अपनी ही पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाने लगे. कांग्रेस को चुभने वाले उनके बयान सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों पर काफी चर्चा में रहे. कुछ घंटे पहले उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की एक तस्वीर शेयर की तो सोशल मीडिया पर 'फेक न्यूज' शेयर होने लगी कि कांग्रेस ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि आचार्य प्रमोद कौन हैं और कांग्रेस को उनकी एक तस्वीर क्यों चुभ रही होगी.
श्री हरि विष्णु के “दशम”
और अंतिम अवतार भगवान श्री कल्कि नारायण की अवतरण स्थली संभल की पावन धरा पर आपका स्वागत है प्रभु. https://t.co/Q9pSKLwRAY— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) February 1, 2024
आचार्य प्रमोद सोशल मीडिया पर खुद को आध्यात्मिक गुरु बताते हैं और यूपी के संभल में कल्कि धाम के पीठाधीश्वर भी हैं. उन्होंने पीएम मोदी को श्री कल्कि धाम के शिलान्यास समारोह का निमंत्रण दिया है. पीएम ने उनके ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि इस पावन अवसर का हिस्सा बनना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. निमंत्रण के लिए आपका हृदय से आभार. यह तो बात हुई उस तस्वीर की. अब समझते हैं कि आचार्य का कांग्रेस से कितना गहरा नाता है.
राजनाथ के खिलाफ लड़े
2019 के लोकसभा चुनाव में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लखनऊ सीट पर कांग्रेस की तरफ से राजनाथ सिंह को चुनौती दी थी. हालांकि 1.78 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस ने उन्हें संभल से टिकट दिया था पर वह हार गए.
मंदिर बना तो सुर बदला
करीब 60 साल के आचार्य प्रमोद टीवी डिबेट में कांग्रेस का स्टैंड रखते रहे हैं लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बना तो बोले, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं इसीलिए मंदिर बन सका. उन्होंने मंदिर के कार्यक्रम से कांग्रेस नेताओं के दूरी बनाने का भी विरोध किया. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन वह खुद अयोध्या गए थे. ब्राह्मण परिवार में जन्मे आचार्य प्रमोद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह भजन और शायरी भी लिखते हैं. धार्मिक कार्यक्रम और मुशायरे में बराबर उत्साह से भाग लेते हैं. वह कहते हैं कि मेरा धर्म शांति है और जो कोई भी इसे बाधित करने की कोशिश करता है, वह मेरा प्रतिद्वंद्वी है.
तब बीजेपी पर बरसते थे
पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, यहां तक कि नोटबंदी की भी बात कर रहे हैं लेकिन पार्टी राम को भूल गई. उन्होंने यह भी कहा था, 'मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर अधिक बात की और कार्रवाई कम की. वे एससी/एसटी (अधिनियम) और तीन तलाक पर अध्यादेश लाए लेकिन राम मंदिर को भूल गए.' तब वह कहते थे कि जो राम का ना हुआ, वो देश का क्या होगा. हालांकि जैसे ही अयोध्या में राम मंदिर बना, आचार्य के सुर बदल गए.
2018 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उनका नाम 'नकली धर्मगुरुओं' की सूची में शामिल किया था. तब आचार्य ने दो टूक कहा था, 'मुझे किसी संगठन के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा. अखाड़ा परिषद ने कहा था कि उन्हें समूह से बाहर कर दिया गया है क्योंकि वह 'संत परंपरा' का पालन नहीं करते हैं और न ही उन्होंने अपना घर- परिवार छोड़ा है, जो सभी सच्चे संत करते हैं.
कांग्रेस की नाराजगी के कारण तमाम
अब चर्चा हो रही है कि राम लहर से गदगद भाजपा कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम को 2024 लोकसभा चुनाव का टिकट भी दे सकती है. सोशल मीडिया पर 'आचार्य प्रमोद' ट्रेंड कर रहा है. हजारों लोग उनकी पीएम के साथ वाली तस्वीर शेयर कर रहे हैं. एक लेटर भी शेयर हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है जबकि कांग्रेस के एक्स हैंडल पर ऐसी कोई जानकारी नहीं है. इस बात की पूरी संभावना है कि पीएम मोदी 19 फरवरी को कल्कि धाम जा भी सकते हैं. ऐसे में ये चर्चा चलती रहेगी.