Explainer: आखिर कैसे प्रदूषण कम करता है Smog Tower ? इसे लगाने में सरकार को कितना खर्च आता है
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Explainer: आखिर कैसे प्रदूषण कम करता है Smog Tower ? इसे लगाने में सरकार को कितना खर्च आता है

Smog Tower: स्मॉग टावर्स का इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर में जगह-जगह पर किया जा रहा है, आपको इसके काम करने के तरीके और इसे लगाने की लागत के बारे में जानकर बेहद हैरानी होगी. 

Explainer: आखिर कैसे प्रदूषण कम करता है Smog Tower ? इसे लगाने में सरकार को कितना खर्च आता है

Smog Tower: स्मॉग टॉवर एक बड़ा एयर प्यूरीफायर होता है जो प्रदूषित हवा को साफ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह आमतौर पर 20 से 30 मीटर ऊंचा होता है और इसमें कई परतें होती हैं जो हवा से प्रदूषण के कणों को छानती हैं. स्मॉग टावर को दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इस्तेमाल किया जाता है जिसका मकसद प्रदूषण पर लगाम लगाना है. अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसका स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बताने जा रहे हैं. 

किस तरह करता है काम 

स्मॉग टॉवर काम करने के लिए, प्रदूषित हवा को टॉवर के ऊपरी हिस्से में पंखों द्वारा खींचा जाता है. हवा तब टॉवर के अंदर से गुजरती है, जहां इसे कई परतों से गुजारा जाता है। ये परतें आमतौर पर हेपा फिल्टर, आयनीकरण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं का उपयोग करके प्रदूषण के कणों को हटाती हैं.

स्मॉग टॉवर की क्षमता हवा को साफ करने की उसकी ऊंचाई, फिल्टर की गुणवत्ता और प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर 1 किलोमीटर के दायरे में हवा को साफ कर सकता है.

भारत में, स्मॉग टॉवर का उपयोग दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और अन्य शहरों में किया जा रहा है. इन शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है और स्मॉग टॉवर हवा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर रहे हैं.

स्मॉग टॉवर के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं:

यह बड़े पैमाने पर हवा को साफ करने में सक्षम है.
यह प्रदूषण के कणों को हटाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सकता है.
यह वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है.
हालांकि, स्मॉग टॉवर के कुछ नुकसान भी हैं.

ये दिक्कतें हो सकते हैं 

यह महंगा हो सकता है.
इसे बनाए रखना और संचालित करना मुश्किल हो सकता है.
यह प्रदूषण के मूल कारणों को दूर नहीं करता है.
कुल मिलाकर, स्मॉग टॉवर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक प्रभावी उपकरण हो सकता है. हालांकि, इसे अन्य उपायों के साथ जोड़कर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जैसे कि वाहनों से प्रदूषण को कम करना और औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करना.

स्मॉग टावर लगाने में कितना खर्च आता है 

स्मॉग टावर लगाने की लागत टावर के आकार, क्षमता और स्थान पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर लगाने में 20 से 30 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

दिल्ली में लगाए गए स्मॉग टावरों की लागत निम्नलिखित है:

लाजपत नगर: 14.2 करोड़ रुपये
आनंद विहार: 18.53 करोड़ रुपये
आईटीओ: 15.8 करोड़ रुपये

स्मॉग टावर लगाने की लागत निम्नलिखित घटकों से बनती है:

टावर का निर्माण
फिल्टर
बिजली की खपत
रखरखाव और संचालन

टावर के निर्माण की लागत टावर के आकार और सामग्री पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर के निर्माण में 10 से 15 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

फिल्टर की लागत टावर की क्षमता और फिल्टर की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर के लिए फिल्टर की लागत 5 से 10 करोड़ रुपये होती है.

बिजली की खपत टावर की क्षमता और प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर की बिजली की खपत प्रति माह 10 से 20 लाख रुपये होती है.

रखरखाव और संचालन की लागत टावर की क्षमता और प्रदूषण के स्तर पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक स्मॉग टॉवर के रखरखाव और संचालन की लागत प्रति माह 5 से 10 लाख रुपये होती है.

कुल मिलाकर, स्मॉग टॉवर लगाने की लागत एक बड़ी राशि है. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्मॉग टॉवर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ हो सकते हैं.

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