Buniyaad: इस सीरियल बयां किया था विभाजन के बाद का दर्द, पॉपुलैरिटी में 'शोले' फिल्म से भी आगे था शो
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Buniyaad: इस सीरियल बयां किया था विभाजन के बाद का दर्द, पॉपुलैरिटी में 'शोले' फिल्म से भी आगे था शो

Tv Show Buniyaad: 80-90 के दौर में दूरदर्शन पर 'रामायण' से लेकर 'महाभारत' तक कई सीरियल्स आए, जिन्होंने दर्शकों के दिलों पर खूब राज किया. ऐसा ही एक सीरियल 80 के दशक में भी आया था, जिसमें आम लोगों के इमोशन को बखूबी दर्शकों के सामने रखा और इतनी पॉपुलैरिटी हासिल कर ली कि अच्छी-अच्छी फिल्में भी उसके आगे फीकी पड़ गई. 

 इस सीरियल ने बयां किया था विभाजन के बाद का दर्द, पॉपुलैरिटी में 'शोले' फिल्म से भी आगे था शो

Tv Show Buniyaad: 80-90 के दशक में दर्शकों का सबसे ज्यादा मनोरंजन दूरदर्शन ने किया था. इस एक चैनल पर कई जबरदस्त सीरियल्स आया करते थे, जिनमें 'रामायण' से लेकर 'महाभारत' जैसे कई और नाम शामिल हैं, जिनकी यादें आज भी दर्शकों के दिलों में ताजा है. ऐसा ही एक शो 1986 में आया था, जिसमें अपनी कहानी और किरदारों से इतनी पॉपुलैरिटी हासिल कर ली थी कि उसके सामने उस दौर की बड़ी-बड़ी हिट फिल्में भी पॉपुलैरिटी फीकी पड़ गई थी. 

इस शो का नाम 'बुनियाद' था, जिसमें विभाजन के बाद के दर्द बयां किया गया था. इतना ही नहीं, इस शो के साथ लोगों के इमोशन्स भी जुड़ने लगे थे. शो को दर्शकों का बेहद प्यार मिला था. इस शो की कहानी 1916 से 1978 के बीच के समय पर आधारित थी. इस शो की कहानी हवेलीराम और उसके परिवार की जिंदगी के ईद-गिर्द घूमती थी. शो में आलोक नाथ मुख्य भूमिका में नजर आए थे, जिन्होंने मास्टर हवेलीराम के किरदार निभाया था. आज भी उनके किरदार को याद किया जाता है. 

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शो में नजर आने वाले किरदार 

इतना ही नहीं, इस शो में अनिता कंवर ने लाजवंती का किरदार निभाया था, जो एक 70 साल की बुजुर्ग महिला थी, लेकिन उस समय वो असल जिंदगी में बेहद ही कम उम्र की थी. इसके अलावा शो में सतबीर, दलीप ताहिल, किरण जुनेजा, विजयेंद्र घाटगे और सोनी राजदान जैसे कई बड़े सितारे भी इस धारावाहिक का हिस्सा बने थे, जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया था. इस शो का डायरेक्शन रमेश सिप्पी द्वारा किया गया था. ये शो 1987 तक चला था. 

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क्या थी शो की कहानी? 

वहीं, अगर इस शो की कहानी के बारे में बात करें तो उसमें एक ऐसे परिवार की कहानी को दिखाया गया था, जो लाहौर के बिच्छू वाली गली में रहा करता था और भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद ये परिवार भारत आ जाता है. यहां इस परिवार को पाकिस्तान में उसकी संपत्ति के आधार पर लाजपत नगर में एक घर मिलता है. नया देश, नए लोग और नए घर में ये परिवार कैसे दिन गुजारता है और खुद को इन लोगों के बीच एडजस्ट करने की कोशिश करता है. ये सब ही इस शो में दिखाया गया था. 

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