Top Ki Flop: मुगल-ए-आजम के बाद थी सबसे बड़ी पीरियड फिल्म, लोगों ने कहा डायरेक्टर ने लिया धर्मेंद्र से बदला
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Top Ki Flop: मुगल-ए-आजम के बाद थी सबसे बड़ी पीरियड फिल्म, लोगों ने कहा डायरेक्टर ने लिया धर्मेंद्र से बदला

Woman Ruler Of Delhi Sultanat: ऐतिहासिक और बायोपिक फिल्में बनाना हमेशा बड़ी चुनौती रहा है. लेकिन फिल्मकारों ने इन चुनौतियों का बार-बार स्वीकार किया. कभी वे सफल हुए तो कभी बुरी तरह से नाकाम. पाकीजा जैसी फिल्म के लिए याद किए जाने वाले कमाल अमरोही रजिया सुल्तान बना कर फ्लॉप साबित हुए.

Top Ki Flop: मुगल-ए-आजम के बाद थी सबसे बड़ी पीरियड फिल्म, लोगों ने कहा डायरेक्टर ने लिया धर्मेंद्र से बदला

Kamal Amrohi Film Razia Sultan: पाकीजा (1972) की अपार सफलता के लगभग 11 साल बाद निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही ने फिल्म रजिया सुल्तान बनाई थी. इस फिल्म के रिसर्च वर्क में उन्हें लंबा टाइम लगा. धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, परवीन बाबी और सोहराब मोदी जैसे बड़े सितारों के बावजूद फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप रही. 1983 में आई इस फिल्म को बनाने में कमाल अमरोही को लगभग 8 साल लगे. उन दिनों जब फिल्मों का बजट लाखों में होता था, अनुमान लगाया जाता है कि इसका बजट चार से 10 करोड़ रुपये के बीच था. पहले फिल्म के प्रोड्यूसर खुद अमरोही साहब थे लेकिन बाद में ए.के. मिश्रा ने इसे प्रोड्यूस किया. फिल्म के रिचर्स के दौरान रजिया सुल्तान से जुड़े फैक्ट्स कलेक्ट करने के लिए अमरोही ने पेरिस, फ्रांस के एक म्यूजियम तक की यात्रा की.

कड़ी तैयारी, जबर्दस्त मेहनत
कमाल अमरोही का मानना था कि मुगल-ए-आजम के बाद रजिया सुल्तान सबसे बड़ी पीरियड फिल्म साबित होगी. फिल्म में स्पेशल इफेक्ट्स डालने के लिए वह हॉलीवुड गए, जो उस समय बड़ी बात थी. फिल्म के एक-एक सीन पर काफी मेहनत की गई, पानी की तरह पैसे बहाए गए. शाही दावत के एक सीन को वास्तविक लुक देने के लिए 45 तरह की भेड़ों के व्यंजन बनाए गए, 251 तरह की मछलियां पकाई गईं, 455 तरह के चिकन और लगभग आधा टन बिरयानी तैयार की गई. इतना सब करने के बावजूद दर्शकों ने फिल्म के साथ घर की मुर्गी दाल बराबर जैसा बर्ताव किया. बॉक्स ऑफिस पर यह बुरी तरह फ्लॉप रही. हालांकि कमाल अमरोही ने कभी नहीं माना कि फिल्म फ्लॉप है.

कहां हुई गड़बड़
यह फिल्म मध्यकालीन भारतीय इतिहास में दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर बैठने वाली एकमात्र महिला रजिया सुल्तान (1205-1240) के जीवन और उसके कथित प्रेमी अबसिनियाई गुलाम याकूत की प्रेम कहानी थी. फिल्म फ्लॉप होने कई कारण थे, जिनमें एक था खराब स्क्रीनप्ले. फिल्म की रफ्तार बहुत धीमी थी. संवाद इतनी कठिन उर्दू में थे कि दर्शक समझ नहीं पाए. फिल्म के एक गाने, ख्वाब बन कर कोई आएगा में दर्शकों को लगा हेमा मालिनी और परवीन बाबी गाने के दौरान एक दूसरे को ‘किस’ कर रही हैं. यह बात किसी के गले नहीं उतरी. धर्मेंद्र-हेमा मालिनी की उस समय हॉट कहलाने वाली जोड़ी भी दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाई. फिल्म में पहले अमिताभ बच्चन को लेने की बात चली थी. लेकिन बाद में कमाल ने धर्मेंद्र को लिया.

अटकलें तरह-तरह की
फिल्म में धर्मेंद्र की एंट्री पर तब लोग हैरान थे क्योंकि सब जानते थे, कमाल अमरोही उन्हें पसंद नहीं करते. एक दौर में कमाल अमरोही की पत्नी मीना कुमारी से धर्मेंद्र का प्रेम संबंध था. कहा जाता है कि पाकीजा में अमरोही ने इसी नाराजगी में धर्मेंद्र के रोल पर कैंची चला दी थी. हालांकि रजिया सुल्तान के समय कमाल अमरोही ने कहा कि धर्मेंद्र अच्छे कलाकार हैं और उर्दू पर उनकी अच्छी कमांड होने के कारण उन्हें फिल्म में लिया गया है. बाद में यह बात आई कि धर्मेंद्र अपने रोल से खुश नहीं थे. उन्हें कई बार अपने डायलॉग ही समझ नहीं आते थे. फिल्म में धर्मेंद्र को अफ्रीकी मूल का बताने के लिए उनके चेहरे और बदन को लगभग काला रंग दिया गया था. यह देख कर ऐसी भी चर्चाएं हुईं कि कमाल अमरोही ने उन्हें जानबूझ कर फिल्म में लेकर इस तरह से दिखाया क्योंकि वह मीना कुमारी से धर्मेंद्र के अफेयर का बदला लेने के लिए उनके मुंह पर कालिख पोतना चाहते थे. इस फिल्म में धर्मेंद्र को लेकर उन्होंने एक तरह से अपना बदला पूरा किया.

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