Director Mehboob Khan Film: अंदाज, आन और मदर इंडिया जैसी फिल्मों से हिंदी सिनेमा को ऊंचाई देने वाले निर्देशक महबूब खान की आखिरी और महत्वाकांक्षी फिल्म सन ऑफ इंडिया बुरी तरह फ्लॉप हुई थी. फिल्म से उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ.
Trending Photos
Son of India, 1962: भारतीय सिनेमा के इतिहास में निर्माता-निर्देशक महबूब खान फिल्म मदर इंडिया के लिए अमर हैं. 1957 में आई यह फिल्म न केवल अपने समय की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी, बल्कि भारत सरकार की तरफ से इसे ऑस्कर के लिए बेस्ट फॉरेन फिल्म कैटेगरी में भेजा गया था. फिल्म ऑस्कर की अंतिम पांच की सूची में नॉमिनेट हुई, लेकिन पुरस्कार जीतने से केवल एक वोट से चूक गई. मदर इंडिया के बाद महबूब खान ने दो फिल्में बनाई, लेकिन इतिहास नहीं दोहरा सके. महबूब खान ने 1959 में अ हेंडफुल ऑफ ग्रेन बनाई. इस फिल्म की कुछ ज्यादा जानकारी नहीं मिलती. सिर्फ इतनी ही कि यह फिल्म मोनो साउंड के साथ रिलीज हुई थी और जिसकी अवधि सिर्फ 92 मिनट की थी.
बेटे को बनाया सन ऑफ इंडिया
महबूब खान ने अपने जीवन में आखिरी फिल्म बनाई, सन ऑफ इंडिया. वह इसे मदर इंडिया से बड़ा बनाना चाहते थे. उन्होंने यह फिल्म अपने बेटे साजिद खान को ध्यान में रखकर बनाई थी. यह वही साजिद खान थे, जिन्होंने मदर इंडिया में छोटे बिरजू का किरदार निभाया था. शूटिंग के दौरान साजिद खान, महबूब खान को इतने पसंद आए कि उन्होंने इस बच्चे को गोद लेने का फैसला ले लिया. जब साजिद थोड़े बड़े हुए तो महबूब ने उन्हें लेकर सन ऑफ इंडिया बनाई, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई. 1962 में आई सन ऑफ इंडिया की नाकामी के बाद महबूब खान ने कोई फिल्म नहीं बनाई. वह तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू और उनके विचारों से बहुत प्रभावित थे. कहा जाता है कि नेहरू की मृत्यु की खबर का सदमा वह बर्दाश्त नहीं कर सके और कुछ ही घंटों बाद हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
नन्हा मुन्ना राही हूं
सन ऑफ इंडिया में साजिद खान, कमलजीत, सिमी ग्रेवाल, कुमकुम और जयंत की मुख्य भूमिकाएं थी. सन ऑफ इंडिया ऐसे किशोरवय लड़के की कहानी थी, जिसके पिता घर छोड़ कर जा चुके हैं. यह लड़का पिता की तलाश में निकला है. कठिन से कठिन हालात में भी वह झूठ नहीं बोलता और सत्य पर अडिग रहता है. ईश्वर में उसका बहुत विश्वास होता है. सन ऑफ इंडिया हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म थी, जिसमें अंडरवर्ल्ड दिखाया गया. फिल्म फ्लॉप रही. महबूब को बहुत नुकसान उठाना पड़ा. उन पर तब लगभग 28 लाख रुपये का कर्ज हो गया था, जो उस वक्त बहुत बड़ी रकम थी. जब तक वह रहे, कर्ज चुकाते रहे. बाकी कर्ज बाद में परिवार ने चुकाया. फिल्म के लिए संगीतकार नौशाद की फीस 17 लाख रुपये थी, जिसे परिवार ने अलग-अलग किस्तों में 12 साल में चुकाया. सन ऑफ इंडिया भले ही बुरी तरह फ्लॉप हुई और लोग इसे भूल गए, मगर इसका एक गाना हर स्वतंत्रता दिवस पर आप जरूर कहीं न कहीं सुनते होंगे, ‘नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं बोलो मेरे संग जय हिंद जय हिंद.’
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर