Films Banned In India: सेंसर बोर्ड ने बैन कर दी थी यह फिल्म, सुपरस्टार कैसे कर सकता है ऐसा 'गंदा काम'
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Films Banned In India: सेंसर बोर्ड ने बैन कर दी थी यह फिल्म, सुपरस्टार कैसे कर सकता है ऐसा 'गंदा काम'

Rajesh Khanna Film: राजेश खन्ना की एक-एक अदा पर दर्शक फिदा थे. लेकिन फिल्म रेड रोज में उनका ऐसा रूप दर्शकों के सामने आया, जो किसी ने पसंद नहीं किया. सेंसर बोर्ड को भी फिल्म देख कर लगा था कि यह आम जनता के देखने लायक नहीं है.

Films Banned In India: सेंसर बोर्ड ने बैन कर दी थी यह फिल्म, सुपरस्टार कैसे कर सकता है ऐसा 'गंदा काम'

Serial Killer Raman Raghav: आप उस आनंद को जरूर जानते होंगे, जो ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म में कैंसर का रूप धर कर आ रही मौत की आंखों में आंखें डाल कर कहता है, ‘आनंद मरा नहीं, आनंद मरते नहीं.’ फिल्म आनंद (1971) में राजेश खन्ना का यह रूप जीवन भर उनके साथ रहा. यही वजह है कि एक और फिल्म जिसमें वह आनंद ही बने थे, इस फिल्म से ठीक उल्टे किरदार की वजह से दर्शकों ने ठुकरा दी. फिल्म थी, रेड रोज. 1980 में आई यह फिल्म राजेश खन्ना के फैन्स को हैरान कर गई क्योंकि उन्होंने कल्पना नहीं की थी जिस सितारे को वह उसके रोमांटिक अंदाज के लिए प्यार करते हैं, वह किसी फिल्म में सीरियल किलर बन कर एक के बाद एक लड़कियों का खून भी कर सकता है.

सबसे बड़ा जोखिम
इस फिल्म ने तब के सेंसर बोर्ड को भी चौंका दिया था. बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणपत्र देने से इंकार करते हुए इस पर बैन लगा दिया था. रेड रोज तमिल फिल्म सिगाप्पु रोजाक्कल का हिंदी रीमेक थी. तमिल फिल्म में कमल हासन और श्रीदेवी थे. दोनों फिल्मों के लेखक-निर्देशक भारतीराजा थे. मोटे तौर पर यह 1960 के दशक के सीरीयल किलर रमन राघव के किरदार से प्रेरित थी. राजेश खन्ना उन दिनों अपने करियर में पुरानी चमक खो चुके थे और परेशानी में हर तरह का प्रयोग करने को तैयार थे. रेड रोज वह फिल्म थी, जिसमें उन्होंने अपनी रोमांटिक इमेज से ठीक विपरीत जाते हुए सबसे बड़ा जोखिम उठाया.

सेंसर ने कहा ना
फिल्म की कहानी मानसिक रूप से बीमार मगर खूबसूरत और रईस बिजनेसमैन आनंद की कहानी थी, जो बिंदास जीवन जीने वाली लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाता और उनका कत्ल कर देता है. एक दिन आनंद को खूबसूरत शारदा (पूनम ढिल्लन) नजर आती हैं. अपनी बातों और अंदाज से वह उसे रिझा तो लेता है लेकिन शारदा शादी से पहले उससे संबंध बनाने से इंकार कर देती है. दोनों शादी करते हैं और कुछ ही समय बाद शारदा पर आनंद का राज खुल जाता है. बॉलीवुड के लिए तब यह बेहद बोल्ड विषय था. निर्माता ने सेंसर बोर्ड में ए सेर्टिफिकेट मांगा था. मगर सेंसर ने फिल्म को प्रदर्शन योग्य ही नहीं माना और बैन कर दिया. रिवाइजिंग कमेटी ने भी फिल्म पर रोक जारी रखी. तब निर्माता ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया. तब उसे फिल्म रिलीज करने की इजाजत मिली.

सवाल लाल गुलाब का
सेंसर ने एक तो फिल्म को समाज के लिए नैतिक रूप से गलत माना था और दूसरी वजह थी, रेड रोज यानी लाल गुलाब. फिल्म में आनंद अपने कोट में हमेशा लाल गुलाब लगाए रहता है और तब देश पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की छवि सबके सामने थी. वह भी अपने कोट में लाल गुलाब लगाए रखने के लिए जाने जाते थे. सेंसर के सदस्यों को रेड रोज में आनंद की यह बात जम नहीं रही थी. आखिरकार फिल्म महीने दो महीने के संघर्ष के बाद रिलीज हुई, मगर दर्शकों को राजेश खन्ना का सीरियल किलर अवतार पसंद नहीं आया. कमल हासन तमिल के बाद हिंदी में भी काम करना चाहते थे लेकिन उनकी हिंदी अच्छी नहीं थी. उन्हें हिंदी रीमेक अच्छा नहीं लगा. राजेश खन्ना से पहले यह रोल संजीव कुमार के पास गया था, मगर निर्माताओं ने अंततः राजेश खन्ना को फाइनल किया. पूनम ढिल्लन फिल्म के निर्माताओं से तब नाराज हो गईं, जब फिल्म से अलग एक बाथटब में खिंचवाई उनकी तस्वीरों को निर्माता ने पोस्टर पर इस्तेमाल किया. रेड रोज भारत की पहली फिल्म थी, जिसके ट्रेलर को भी सेंसर बोर्ड ने ए सेर्टिफिकेट दिया था.

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