Lata Mangeshkar: 25 जून को अगले साल मदन मोहन (Madan Mohan) की जन्म शताब्दी होगी. हिंदी फिल्मों के वह अनूठे संगीतकार रहे हैं. उनके म्यूजिक की सादगी आज भी सुनने वालों का मन मोह लेती है. वह एक बड़े और रसूखदार पिता की संतान थे. जानिए जब उन्होंने लता मंगेशकर से अपने म्यूजिक में गीत गवाना चाहा, तो क्या हुआ...
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Madan Mohan: हिंदी फिल्म संगीत के स्वर्णकाल में मदन मोहन (Composer Madan Mohan) का नाम जरूर आता है. वह एक संपन्न परिवार में पैदा हुए और उनके पिता को राय बहादुर का खिताब मिला हुआ था. मदन मोहन कॉलेज की पढ़ाई के बाद अंग्रेजों की फौज में भी दो साल सेवा दे चुके थे. लेकिन उनका मन संगीत में रमता था और वह आर्मी छोड़कर आकाशवाणी लखनऊ (Lucknow) में लग गए. परंतु जब यहां भी उनका दिल नहीं लगा तो वह फिल्मों में संगीत तैयार करने के लिए मुंबई (Mumbai) आ गए. यहां उन्हें पहला मौका मिला फिल्म आंखें (1950) में. उन दिनों लता मंगेशकर स्थापित गायिका थी और मदन मोहन उनके प्रशंसक थे. वह चाहते थे कि लता उनके संगीत पर तैयार गीत गाएं. जब उन्होंने लता मंगेशकर से बात की, तो उन्होंने साफ मना कर दिया.
कर दिया इंकार
लता ने मदन मोहन के संगीत में गाने से भले मना कर दिया हो, परंतु मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi) ने जरूर उनके साथ गाया. हम इश्क में बर्बाद हैं, बर्बाद रहेंगे. राजा मेहदी अली खान ने गाना लिखा था. गाना बेहद पसंद किया गया. लता के इंकार के बावजूद मदन मोहन ने हार नहीं मानी और जब उन्हें दूसरी फिल्म में म्यूजिक तैयार करने का काम मिला तो वह फिर इस महान गायिका के पास पहुंचे. 1951 में फिल्म आई थी मदहोश. फिल्म के लिए लता ने मदन मोहन के संगीत में तैयार गीत गाया, मेरे दिल की नगरिया में आना. कोई भी इस बात से आश्चर्यचकित हो सकता है कि एक फिल्म पहले जिस महान गायिका ने नए म्यूजिक डायरेक्टर के साथ गाने से इंकार कर दिया था, वह दूसरी फिल्म में कैसे तैयार हो गई.
आपकी नजरों ने समझा
हुआ यह कि फिल्म आंखें के गाने सुनने के बाद लता मंगेशकर मदन मोहन की संगीत प्रतिभा समझ गईं. वह खुद बाद में मदन मोहन से मिलने के लिए आईं और बड़प्पन दिखाते हुए खुलकर अपने दिल की बात बताई. लता मंगेशकर ने मदन मोहन से कहा कि जब मुझे पता चला कि तुम एक बड़े रईस बाप के बेटे हो, तो मैंने सोचा कि बाप की वजह से यह फिल्म मिल गई है. यह आदमी संगीत के बारे में क्या जानता होगा. परंतु मेरी सोच गलत निकली. ऐसा सोचने के लिए लता मंगेशकर ने मदन मोहन से माफी मांगी और उसके लिए गाया. यही नहीं, लता मंगेशकर ने मदन मोहन को अपना भाई माना और आजीवन उस रिश्ते को निभाती रहीं. मदन मोहन के संगीत में लता ने 100 से ज्यादा गाने गाए. लग जा गले..., आपकी नजरों ने समझा..., माई री..., नैना बरसे... से लेकर यूं हसरतों के दाग... आप सुन कर अंदाजा लगा सकते हैं कि जोड़ी के रूप में दोनों ने कैसा कमाल किया है.