Bollywood Legends: फिल्म थी रंगीन रातें; नहीं बचा कोई रोल, तब एक्ट्रेस ने दिग्गज डायरेक्टर से कहा...
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Bollywood Legends: फिल्म थी रंगीन रातें; नहीं बचा कोई रोल, तब एक्ट्रेस ने दिग्गज डायरेक्टर से कहा...

Bollywood Actress: कई बार हीरोइनें नकली दाढ़ी-मूंछ लगाकर पर्दे पर कॉमेडी करती दिखी हैं. लेकिन दिग्गज निर्देशक केदार शर्मा की शम्मी कपूर और माला सिन्हा स्टारर फिल्म रंगीन रातें में गीता बाली का मामला जरा अलग ही है. ऐसा न पहले हुआ था और बाद में हो पाया. जानिए...

 

Bollywood Legends: फिल्म थी रंगीन रातें; नहीं बचा कोई रोल, तब एक्ट्रेस ने दिग्गज डायरेक्टर से कहा...

Geeta Bali: सिनेमा के शुरुआती दिनों में पुरुष एक्टर महिलाओं के किरदार निभाते थे. कपिल शर्मा (Kapil Sharma) के कॉमेडी शो में आज भी यह चल रहा है. कई बार ऐसा भी हुआ कि महिला एक्टरों ने कहानी की डिमांड के मुताबिक पर्दे पर मूंछें-दाढ़ी लगाकर पुरुषों का भेस धरा. लेकिन एक वाकया ऐसा भी हुआ है, जब एक अभिनेत्री ने फिल्म में सचमुच ही पुरुष का किरदार निभाया. जी हां, 1956 में आई फिल्म रंगीन रातें में कुछ ऐसा ही हुआ था. फिल्म में शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) और माला सिन्हा (Mala Sinha) लीड रोल में थे. निर्देशक थे, केदार शर्मा. फिल्म में प्रसिद्ध एक्ट्रेस गीता बाली भी थीं. लेकिन उन्होंने रंगीन रातें में किसी महिला का किरदार नहीं बल्कि नकली मूंछें लगाकर एक हीरोइन के भाई का रोल निभाया था.

बचा सिर्फ एक रोल
रंगीन रातें शम्मी कपूर और माला सिन्हा के शुरुआती दौर की फिल्म थी. साल था, 1954. निर्देशक केदार शर्मा फिल्म शुरू करना चाहते थे. इससे पहले केदार शर्मा फिल्म सुहाग रात और बावरे नैन में गीता बाली को क्रमशः भारत भूषण और राज कपूर की हीरोइन बना चुके थे. रंगीन रातें में उन्हें ऐसी हीरोइन चाहिए थी, जो नई हो. लोकप्रिय न हो. तब माला सिन्हा नई थीं और गीता बाली से उनका परिचय हो चुका था. गीता बाली ने उन्हें केदार शर्मा से मिलाया. माला सिन्हा रंगीन रातें की हीरोइन बन गई. शूटिंग शुरू हुई. पहला शेड्यूल पूरा भी नहीं हुआ कि गीता बाली ने केदार शर्मा से जिद पकड़ ली कि उन्हें भी इस फिल्म में काम करना है. केदार शर्मा ने कहा कि उनके लायक कोई रोल नहीं है. सिर्फ एक रोल बचा है, माला सिन्हा के भाई का.

ऐसा कभी नहीं
किसी को अंदाजा नहीं था कि गीता बाली इसके लिए हां कह देंगी. गीता बाली ने कहा कि वह पुरुष का कैरेक्टर कर लेंगी. सबने उन्हें समझाया कि यह कैसे होगा, पर वह नहीं मानीं. गीता बाली ने पूरी फिल्म में नकली मूछें लगाकर पुरुष की भूमिका निभाई. वह पर्दे पर हीरोइन के भाई के रूप में आईं. सिनेमा में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. यह जरूर है कि पुराने दौर में मधुबाला, कल्पना कार्तिक, सायरा बानो, बबीता और तनूजा से लेकर नए जमाने में श्रीदेवी, रानी मुखर्जी, विद्या बालन और आलिया भट्ट ने पर्दे पर पुरुषों के भेस धरे हैं. लेकिन कहानी में वह महिला पात्र ही रही हैं. गीता बाली जैसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता.

 

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