Bollywood Legends: वह आदमी अपने बच्चों को बगीचे में छोड़ कर न जाता, तो नहीं बनती यह सुपर हिट फिल्म
Advertisement
trendingNow11315781

Bollywood Legends: वह आदमी अपने बच्चों को बगीचे में छोड़ कर न जाता, तो नहीं बनती यह सुपर हिट फिल्म

Bollywood All Time Hit Films: फिल्में जिंदगी से आती हैं. छोटी-छोटी घटनाएं पर्दे पर लार्जर दैन लाइफ आकार लेती हैं. निर्माता-निर्देशक और लेखक कभी अखबारों, कभी पत्रिकाओं और कभी टीवी पर आने वाली खबरों से कहानी लिखने के लिए प्रेरित होते रहे हैं. यह सुपर हिट फिल्म एक अखबार में छपी खबर से इंस्पायर हुई.

 

Bollywood Legends: वह आदमी अपने बच्चों को बगीचे में छोड़ कर न जाता, तो नहीं बनती यह सुपर हिट फिल्म

Bollwood Trends: फिल्म का आइडिया कहीं से भी आ सकता है. टीवी में न्यूज देखकर या फिर अखबार में छपी कोई घटना से भी. 1977 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर और मल्टीस्टारर फिल्म अमर अकबर एंथोनी की कहानी का आइडिया प्रोड्यूसर-डायरेक्टर मनमोहन देसाई को अखबार में एक न्यूज देख कर आया. न्यूज थी कि एक शराबी आदमी अपनी शराब पीने की आदत से तंग आकर अपने तीन बच्चों को पार्क में छोड़ गया. फिर उसने आत्महत्या कर ली. शाम को राइटर प्रयाग राज से मिलने पर देसाई ने कहा कि क्यों हम कहानी यूं कर लें कि पिता सुसाइड नहीं करता है और लौटकर बच्चों को लेने के लिए वापस पार्क में आता है, लेकिन उसके बच्चे वहां नहीं मिलते. राज ने कहानी में पॉइंट जोड़ा कि यदि बच्चों को तीन अलग-अलग धर्म के लोग ले जाएं तो कैसा हो? इस तरह फिल्म का आइडिया डेवलप हुआ. अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, विनोद खन्ना, नीतू सिंह, परवीन बॉबी, शबाना आजमी, प्राण, निरूपा रॉय और जीवन जैसे कलाकारों को लेकर फिल्म बनाई गई.

पत्नी ने कहा यह फिल्म प्रोड्यूस करो
मनमोहन देसाई इस फिल्म को सिर्फ डायरेक्ट करना चाहते थे. भाई सुभाष देसाई के साथ 1959 में वह बेदर्द जमाना क्या जाने प्रोड्यूस कर चुके थे. इसके बाद उनकी फिल्म निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन वाइफ ने उन पर दबाव डाला कि अमर अकबर एंथोको खुद प्रोड्यूस करो. फिल्म परदे पर आई तो सुपर डुपर हिट रही और इसने देसाई को खूब धन कमा कर दिया.

इमरजेंसी के कारण फिल्म लेट
देश में इमरजेंसी लगने के कारण फिल्म 1975 में रिलीज होने की बजाय 1977 में रिलीज हुई. विनोद खन्ना के अपोजिट किसी हीरोइन का कोई रोल नहीं था क्योंकि फिल्म में विनोद खन्ना का कैरेक्टर सीरियस टाइप का था तो मनमोहन नहीं चाहते थे कि उनके ओपोजिट कोई हीरोइन हो. लेकिन विनोद ने मनमोहन से कहा कि जब अमिताभ और ऋषि कपूर के साथ हीरोइने हैं तो उनके साथ भी कोई न कोई हीरोइन होनी चाहिए. विनोद के बहुत आग्रह करने पर उनके अपोजिट शबाना आजमी को लिया गया. फिल्म के संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के किसी म्यूजिक टीचर के नाम से प्रेरित होकर अमिताभ का नाम फिल्म में एंथोनी गोंजाल्विस रखा गया. परवीन बाबी का रोल पहले जीनत अमान को ऑफर किया गया था मगर डेट्स नहीं होने की वजह से उन्होंने यह फिल्म करने से मना कर दिया. अकेले मुंबई में फिल्म ने 9 सिल्वर जुबली मनाकर इतिहास रचा. मनमोहन देसाई और अमिताभ की साथ में यह पहली फिल्म थी. बाद में इस हिट जोड़ी ने नसीब, कुली, मर्द, अल्लाह रक्खा और तूफान जैसी कई हिट फिल्में दी.

ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर 

Trending news