Supriya Pathak Film: बाजार हिंदी की उन शानदार फिल्मों में है, जिसके गाने नई पीढ़ी के युवा भी बहुत शौक से सुनते हैं. फिल्म को लगभग चालीस साल हो चुके हैं लेकिन सिने-प्रेमियों के दिल यह फिल्म अब भी ताजा है. मगर जब सागर सरहदी ने इसे बनाने का फैसला किया था तो उनकी जेब खाली थी.
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Bollywood Classics: 1982 में आई बाजार आज क्लासिक फिल्मों में गिनी जाती है. सागर सरहदी ने इस फिल्म को निर्देशित किया था. यह उनकी डेब्यू फिल्म थी. स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख तथा सुप्रिया पाठक फिल्म के मुख्य कलाकार थे. यह फिल्म काफी गरीबी और तंगहाली में बनी. सागर सरहदी के पास एक अच्छी कहानी थी. लेकिन उनके पास इस फिल्म को बनाने के लिए पैसे नहीं थे. उनकी जेब में जब मात्र 500 रुपये थे, तब वह इस फिल्म को बनाने को बनाने का सपना देख रहे थे. लेकिन फिल्म की कहानी इतनी अच्छी थी कि शशि कपूर से लेकर यश चोपड़ा तक सागर सरहदी की मदद करने के लिए आगे आए.
अखबार से मिली कहानी
फिल्म की कहानी में समाज के एक ऐसे मुद्दे को उठाया गया था जो कहीं न कहीं अपना अस्तित्व रखता है. फिल्म हैदराबाद में स्थित थी. यह नज्मा नाम की ऐसी लड़की की कहानी थी, जिसके पेरेंट्स सिर्फ पैसों की खातिर उसे बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन वह अख्तर हुसैन नाम के आदमी के साथ घर छोड़कर निकल आती है क्योंकि वह बिकने को तैयार नहीं है. अख्तर भी उसे धोखे में ही रखता है कि एक दिन वह नज्मा से शादी कर लेगा. सागर सरहदी को फिल्म का यह आइडिया एक न्यूजपेपर आर्टिकल से आया था. जिसमें यह बताया गया था कि अगर कोई चाहे तो पैसों से दुल्हन खरीद सकता हैं और बाद में मर्जी हो तो उसे छोड़ भी सकता है. सागर सरहदी को फिल्म के लिए यह आइडिया काफी पसंद आया. लेकिन कोई भी प्रोड्यूसर इस फिल्म में पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं था.
करें फ्लाइट का इंतजाम
आखिरकार सागर सरहदी को विजय तलवार मिले जो फिल्म प्रोड्यूस करने के लिए तैयार हो गए. लेकिन उनके पास भी पर्याप्त पैसे नहीं थे कि फिल्म बन जाती. तब शशि कपूर आगे आए. उन्होंने सागर सरहदी को फिल्म के इक्विपमेंट्स दिलाने में मदद की. शशि कपूर ने सागर सरहदी से कहा कि जब तुम्हारे पास पैसे हों तो लौटा देना वरना कोई बात नही. यश चोपड़ा ने सागर सरहदी को रॉ नेगेटिव्स दिलाने में मदद की. फिल्म की शूटिंग हैदराबाद में होनी थी. सागर सरहदी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह सुप्रिया पाठक के लिए फ्लाइट के टिकट का इंतजाम कर पाते. इसलिए उन्होंने सुप्रिया पाठक से कहा कि प्लीज पॉसिबल हो तो आप खुद अपना टिकिट खरीद लीजिए और शूट पर पहुंच जाइए. सुप्रिया पाठक ने भी उनके साथ सहयोग किया और खुद अपने पैसों से हैदराबाद पहुंची. लेकिन जब फिल्म हिट हुई और सागर के पास पैसे आ गए तो उन्होंने सुप्रिया पाठक को उनकी फीस के साथ-साथ टिकट के भी पैसे दिए.
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