Motivation: पिता लगाते हैं चाय की दुकान, बेटा बना ICAI CA 2022 का टॉपर, जानें वैभव माहेश्वरी की सक्सेस स्टोरी
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Motivation: पिता लगाते हैं चाय की दुकान, बेटा बना ICAI CA 2022 का टॉपर, जानें वैभव माहेश्वरी की सक्सेस स्टोरी

Vaibhav Maheshwari: जयपुर राजस्थान के वैभव माहेश्वरी ने ICAI CA Final Exam में ऑल इंडिया 10वीं रैंक पाई. यहां साझा कर रहे हैं उनकी कहानी. इस सक्सेस स्टोरी (Success Story) को पढ़कर आप भी कुछ बेहतर करने के लिए खुद को मोटिवेट कर पाएंगे. 

Motivation: पिता लगाते हैं चाय की दुकान, बेटा बना ICAI CA 2022 का टॉपर, जानें वैभव माहेश्वरी की सक्सेस स्टोरी

ICAI CA 2022 Topper Vaibhav Maheshwari Success Story: इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने नवंबर 2022 के फाइनल रिजल्ट ( ICAI CA Final Exam Result) की एनाउंसमेंट बीते मंगलवार को कर दी. कैंडिडेट्स बड़ी बेसब्री से रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे. इस बार आईसीएआई एग्जाम में टॉप-50 कैंडिडेट्स में राजस्थान के जयपुर के 7 स्टूडेंट्स ने अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे. इन स्टूडेंट्स में वैभव माहेश्वरी ने ऑल इंडिया 10वीं रैंक पाई.

आज हम आपके लिए वैभव माहेश्वरी (Vaibhav Maheshwari) की सफलता की कहानी (Safalta Ki Kahani) लेकर आए हैं. वैभव ने परीक्षा को लेकर अपनी तैयारी और पढ़ाई के दौरान अपने रूटीन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें शेयर की हैं. 

खुद को इस तरह रखते थे फ्रेश
स्टडी करने का सबका अपना तरीका होता है. बहुत से स्टूडेंट्स एग्जाम और स्टडी के दौरान अलग-अलग तरीके से अपनी स्ट्रेटजी बनाते हैं. हालांकि, वैभव का तरीका बेहज अलग था. वैभव माहेश्वरी ने बताया कि वह दिन में 9 से 10 घंटे स्टडी करते थे. उन्होंने कभी भी पढ़ाई का स्ट्रेस नहीं लिया.

बकौल वैभव अगर उन्हें कभी फ्रस्ट्रेशन होता था तो वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि इंस्टाग्राम आदि का इस्तेमाल करते थे. इसके अलावा वेब सीरीज देखकर वह अपनी बोरियत को दूर करते थे, ताकि स्टडी के दौरान फ्रेशनेस फील कर सके. इसके बाद भी मूड ठीक नहीं होता था तो फैमिली के साथ आउटिंग के लिए निकल जाते थे. 

फिजिकली भी खुद को रखा फिट 
पढ़-पढ़कर ज्यादातर स्टूडेंट्स अपनी एक जगह बना लेते हैं और घर के उसी हिस्से में नजर आते हैं, लेकिन वैभव का मामला थोड़ा अलग था. वे एग्जाम के दौरान खुद को फिट रखने के लिए फुटबॉल और क्रिकेट खेलते थे. 

पिता की चाय-कचौरी की है दुकान
वैभव ने बताया कि उनके परिवार की फाइनेंशियल कंडीशन ऐसी कोई स्ट्रॉन्ग नहीं थी, उनके पिता का मानसरोवर में एक छोटा सा रेस्टारेंट है, जिसमें वह चाय और कचौरी बेचते हैं. वैभव के बड़े भाई वरुण ने 2 साल पहले सीए बनकर परिवार की स्थिति को काफी हद तक मजबूत किया है. अब आगे की जिम्मेदारी वैभव अपने कंधे पर लेना चाहते हैं.

अब बेशक वे ऐसा बहुत अच्छे तरीके से कर भी पाएंगे. वैभव कहते हैं कि उनके भाई ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया, जिसके कारण वह यहां तक पहुंच पाए. वैभव चाहते हैं कि अब उनके पिता अपने काम से रिटायरमेंट लेकर आराम करें. वैभव अपने परिवार की अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करना चाहते हैं.  

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