History Of Indian Currency: बीते शुक्रवार को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन से वापस ले लिया है, लेकिन इससे पहले भी इंडियन करेंसी में बहुत बड़े अमाउंट के नोटों की एंट्री हो चुकी है. आज जानेंगे उन नोटों के बारे में...
जब 2000 का नोट लोगों के सामने आया था, तब यह ज्यादातर लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था, क्योंकि आज के लोगों ने इस नोट को सबसे बड़े नोट के रूप में देखा था.
आपको शायद ही इस बात पर यकीन हो, लेकिन यह सच है. जी हां, एक जमाने में इंडिया में 1 लाख रुपये का नोट भी करेंसी में शामिल किया गया था, लेकिन इसे देखना तो दूर ज्यादातर लोगों ने इस बारे में कभी सुना भी नहीं होगा. आरबीआई की ओर से उपलब्ध जानकारी के मुताबिक साल 1954 में 5 हजार रुपये का नोट भी लागू किया गया था.
आरबीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में साल 1938 और 1954 में 10,000 रुपये के नोट भी प्रिंट किए गए थे. साल 1946 में हुई नोटबंदी के तहत 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था.
इसके बाद साल 1954 में 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को फिर एक बार मार्केट में उतारा गया था. फिर साल 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार में इन नोटों का विमुद्रीकरण हुआ और उसके बाद इन नोटों को बंद कर दिया गया.
जानकारी के मुताबिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 'आजाद हिंद सरकार' के जमाने में 1 लाख रुपये का नोट चलन में आया था, जिस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी थी. बता दें कि इस नोट को आजाद हिंद बैंक ने जारी किया था, जिसका गठन नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा किया था. आजाद हिंद बैंक बर्मा के रंगून में स्थित थी, जिसे बैंक ऑफ इंडिपेंडेंस भी कहा जाता था. इस बैंक को विशेष तौर पर आजादी के लिए डोनेशन कलेक्ट करने के लिए बनाया गया था. इस बैंक को विश्व के 10 देशों का समर्थन प्राप्त था.
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