Israel: इजराइल इन दिनों चर्चा में है. दुनियाभर की नजरें में हमास और इजराइल वार पर टिकी हैं. आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि क्यों यहूदियों के देश का नाम इजराइल रखा गया.
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Israel: इजरायल पिछले कई दिनों से दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. हमास ने इजरायल पर अचानक मिसाइलों की बरसात कर दी, जिसके बाद इजरायल ने जंग का ऐलान कर दिया. इस जंग में अब तक हजारों लोग अपनी जानें गवां चुके हैं.
इजरायल यहूदियों का मुल्क है, जिनके यहां बसने के बाद से ही यहां की शांति भंग हो गई और तब से लेकर अब तक कई बार युद्ध हो चुके हैं. चारों ओर से मुस्लिम देशों से घिरे इजरायल इनके लिए कट्टर दुश्मन है. ऐसे में आज हम जानेंगे कि इजरायल कौन थे और यहूदियों ने अपने देश का नाम इजरायल ही क्यों रखा?
बहुत पुराना धर्म है यहूदी
यहूदी धर्म करीब 4,000 साल पुराना बताया जाता है और यह विश्व के सबसे पुराने धर्मों से से एक बताया जाता है. मान्यता है कि इसी से ईसाई धर्म का उदय हुआ है.
इजरायल के नाम पड़ा यहूदियों के देश का नाम
इजरायल का नाम एक पैगंबर के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यहूदी अपने ईश्वर के रूप में मानते हैं. कहा जाता है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम ने यहूदी धर्म की शुरुआत हुई थी. पैंगबर इब्राहिम के एक वंशज का नाम इजरायल था, जिनके नाम पर यहूदियों ने अपने देश का नाम रखा. इजराइल का दूसरा नाम हजरत याकूब था.
मान्यताओं के मुताबिक पैंगबर इब्राहिम के वंशज इजरायल के 12 बेटे हुए, जिन्होंने 12 अलग-अलग कबीले स्थापित किए. इजराइल के सबसे प्रमुख बेटे का नाम यहूदा था, जिसे जुडाह के नाम से भी जाना जाता था. यहूदा को मानने वाले लोग ही यहूदी कहलाए, जिन्हें अंग्रेजी में ज्यूडिश कहते हैं. जानकारी के मुताबिक हजरत इब्राहिम को यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों समुदाय के लोग अपना सबसे बड़ा पैगंबर मानते हैं.
वहीं, यहूदी हजरत मूसा को अपना अंतिम पैगंबर बताते हैं, उन्हें यहूदियों का व्यवस्थाकार भी बताया जाता है. हालांकि, यहूदी लोग धर्मांतरण में विश्वास नहीं रखते हैं, इसीलिए उनकी संख्या काफी कम रह गई है.