दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने रोजाना 6 घंटे पढ़ाई कर क्रैक की UPSC परीक्षा, अब बनेंगे ऑफिसर
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दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने रोजाना 6 घंटे पढ़ाई कर क्रैक की UPSC परीक्षा, अब बनेंगे ऑफिसर

Ram Bhajan UPSC Success Story: राम भजन रोजाना कम से कम 6 घंटे पढ़ाई किया करते थे. वह एक महीने की छुट्टी के लिए पहले ही आवेदन कर देते थे, जब परीक्षा की तारीख नजदीक होती थी.

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल ने रोजाना 6 घंटे पढ़ाई कर क्रैक की UPSC परीक्षा, अब बनेंगे ऑफिसर

Ram Bhajan UPSC Success Story: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तरफ से पिछले महीने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नतीजे घोषित किए गए थे. जिसमें कुल 933 उम्मीदवारों ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी. अब इन्ही उम्मीदवारों में से कुछ IAS, कुछ IPS, तो कुछ IFS व IRS ऑफिसर बनेंगे. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे उम्मीदवार की सफलता के बारे में बताएंगे, जो दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं, लेकिन उन्होंने इस बार की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर दी और अब वह ऑफिसर बनेंगे.

दरअसल, बता दें कि हम बात कर रहे हैं राम भजन कुमार की, जो दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल हैं और साइबर सेल थाने में तैनात हैं. 34 वर्षीय राम भजन ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 667वीं रैंक हासिल की है. बता दें कि यह उनका 8वां अटेंप्ट था. इतना ही नहीं, वह अपनी रैंक सुधारने के लिए 28 मई को हुई  यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा 2023 में भी शामिल हुए थे. बता दें कि वह राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं. राम भजन 2009 में एक कांस्टेबल के रूप में फोर्स में शामिल हुए थे.

राम भजन रोजाना कम से कम 6 घंटे पढ़ाई किया करते थे. वह एक महीने की छुट्टी के लिए पहले ही आवेदन कर देते थे, जब परीक्षा की तारीख नजदीक होती थी और उस दौरान रोजाना लगभग 16 घंटे तैयारी किया करते थे.

राम भजन ने बताया कि वह अपने विभाग के एक व्यक्ति से काफी प्रेरित थे. उनका नाम फिरोज आलम था, जो दिल्ली पुलिस में एक कांस्टेबल थे और 2019 में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद वह एसीपी बन गए.

उन्होंने कहा, "आलम सर द्वारा यह रैंक हासिल करने के बाद, मुझे कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने मेरे और अन्य कई यूपीएससी उम्मीदवारों को प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया है. वह आज तक हमें निरंतर सपोर्ट करते आए हैं."

राम भजन कहते हैं कि, "यह एक सपने के सच होने जैसा है. यह मेरा आठवां प्रयास था. चूंकि मैं ओबीसी कैटेगरी से हूं, इसलिए मैं 9 प्रयासों के लिए योग्य हूं और यह मेरा सेकेंड लास्ट अटेंप्ट था." जब उनसे पूछा गया कि पिछले कुछ वर्षों में असफलताओं के बावजूद उन्हें किस चीज ने आगे बढ़ाया, तो इस पर उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी ने उन्हें लगातार प्रोत्साहित किया और उनकी ताकत बनी रहीं.

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