AI Baby: अब साइंटिस्ट कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले शिशुओं यानी एआई बेबी के जन्म की तैयारी कर रहे हैं. आज हम जानेंगे कि एआई बेबी क्या है. इससे जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां यहां पढ़ें जो आपको चौका देंगी.
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AI Technology For Pregnancy: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से विस्तार को लेकर दुनियाभर में लोग बहुत निराश थे, क्योंकि यही माना जा रहा था कि एआई लोगों की नौकरी के अवसर बहुत हद तक कम कर देगा. इसके अलावा कई ऐसे और भी कारण थे, जिसके कारण चिंता जाहिर की जा रही थी. हालांकि, एआई तकनीक की शुरुआत के साथ ही खई क्षेत्रों में विकास के नए रास्ते खुल रहे हैं. नामुमकिन सा लगने वाला काम करना भी अब संभव हो गया है.
इस तकनीक के विकास के साथ ही अब हर क्षेत्र में एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में अमेरिका इस तकनीक की मदद से कुछ बेहतर करने जा रहा. अब अमेरिका में एआई बेबी जन्म लेने वाले हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ये AI बेबी क्या है और कैसे इनका जन्म होगा तो आइए जानते हैं इस आर्टिकल में सबकुछ जो जानना आपके लिए जरूरी है...
जी हां, अमेरिका के वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेबी (AI Baby) को जन्म देने की योजना बना रहा है. इस समय गर्भावस्था के मामलों में एआई तकनीक का उपयोग यूरोप, एशिया, दक्षिण अमेरिका में हो रहा है.
इसे बड़े स्तर पर शुरू करने जा रहा अमेरिका
अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बच्चे यानी कि AI बेबी पैदा होंगे. इस लेटेस्ट और एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए भ्रूण के विकास के दौरान हर छोटी बड़ी जानकारी हासिल की जा सकेगी, जैसे कि भ्रूण (Fetus) का सक्सेस रेट क्या है, आनुवंशिक रोगों का संचार होने की संभावना आदि.
सबसे जरूरी और खास बात इस तकनीक के जरिए ऐसी जानकारी जुटाई जा सकेगी, जिसे इंसानी आंखों से देख पाना संभव नहीं हो सकता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब यूएस में इस तकनीक के जरिए एआई बेबी पैदा किए जा सकेंगे, जिसकी तैयारी पूरी हो चुकी है.
बेबी के जन्म में ऐसे होगा एआई का इस्तेमाल
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक का इस्तेमाल आईवीएफ प्रक्रिया में किया जाएगा. आईवीएफ के बारे में तो सभी को पता हैं कि यह एक तरह का फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है. आईवीएफ प्रोसेस ऐसे कपल के लिए उपयोगी साबित होता है, जो किसी बीमारी या शारीरिक कमी के कारण बच्चा पैदा करने में असमर्थ होते हैं. ऐसे में यह प्रक्रिया बांझपन के इलाज में किसी वरदान से कम नहीं, जिसमें एक्सपर्ट की देखरेख में बाहर ही फीटस को विकसित करके मां के गर्भ में स्थापित किया जाता है.
जानें क्या है AI बेबी
अब आईवीएफ ट्रीटमेंट के जरिए विकसित किए जाने वाले फीटस की जांच एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी, जो भ्रूण के बारे में सभी जरूरी जानकारियां प्रदान करेगा. इस टेक्नोलॉजी के जरिए जन्म लेने वाले बच्चे "AI बेबी" कहलाएंगे.
IVF Process में AI का प्रभाव कितना होगा?
रिपोर्ट की माने तो आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान एआई तकनीक के इस्तेमाल से इस इलाज की सफलता दर को सुधारा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि एआई एल्गोरिदम का उपयोग करके आईवीएफ की सफलता दर को 30 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. यूरोप, एशिया और दक्षिण अमेरिका में प्रयोग हो रही इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका में व्यापक स्तर पर शुरू करने जा रहा है.
AI तकनीक के पीछे ये है वजह
दरअसल, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान भ्रूण का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है, जिस पर पूरे ट्रीटमेंट की सफलता टिकी होती है. अब तक यह काम इंसानी डॉक्टर्स करते आए हैं, लेकिन अब AI तकनीक के जरिए इसका मूल्यांकन किया जा सकेगा.
समय से हो सकेगी गंभीर रोगों की रोकथाम
माइक्रोस्कोप के जरिए देखने पर सभी फीटस एक समान लगते हैं. कौन सा भ्रूण बेहतर होगा और कौन सा नहीं, यह फैसला ले पाना डॉक्टर्स के लिए भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों की मदद के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होगी.
जानकारी के मुताबिक इस तकनीक की टेस्टिंग के दौरान एक्सपर्ट्स को सफलता प्राप्त हुई है. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि बच्चों में होने वाले अनुवांशिक रोगों की रोकथाम हो सकगी यानी कि जन्मजात या भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों का खतरा बहुत हद तक टाला जा सकेगा.