Amitabh Rekha: जरूरी नहीं कि कोई एक्टर किसी फिल्म को साइन करे तो उसमें अवश्य ही काम करेगा. कई बातें बीच में आती हैं. पर्दे पर खूंखार खलनायक के रूप में प्रसिद्ध रंजीत ने जब निर्देशक के रूप में पहली फिल्म की योजना बनाई तो उसमें रेखा को हीरोइन बनाया. मगर जल्द ही रेखा ने फिल्म छोड़ दी. जानिए पूरा मामला...
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Ranjeet Film: फिल्म इंडस्ट्री में अमिताभ और रेखा से जुड़े किस्सों की कमी नहीं है. दोनों की नजदीकियों की कहानियां न केवल उस दौर में सुर्खियां बटोरती थीं, बल्कि आज भी उनकी बातों में लोगों की खूब दिलचस्पी है. हालांकि इन बातों के लेकर बॉलीवुड की सबसे चर्चित जोड़ियों में शुमार अमिताभ-रेखा ने कभी खुल कर बातें नहीं की. ऐसा ही एक किस्सा है, फिल्म कारनामा (1990) से जुड़ा. यह एकमात्र फिल्म है, जिसे बॉलीवुड के चर्चित खलनायक ने डायरेक्ट किया. वही फिल्म के प्रोड्यूसर भी थे. फिल्म का बड़ा हिस्सा मुंबई के नजदीक रंजीत के फार्महाउस पर शूट हुआ था. फिल्म की शूटिंग 1986 में शुरू हुई थी और चार साल बाद यह फिल्म रिलीज हो सकी. विनोद खन्ना जब अमेरिका में ओशो आश्रम से लौटे थे, तब इसकी शूटिंग हुई थी. फिल्म में विनोद के साथ किमी काटकर, फराह नाज, अमरीश पुरी, इफ्तिखार, निरूपा रॉय जैसे एक्टर थे.
सूरज और चेतक की कहानी
कारनामा की कहानी सूरज (विनोद खन्ना) और उसके प्यार घोड़ चेतक की थी. चेतक इतना तेज भागत है कि वह सट्टा बाजार चलाने वाले करोड़पति विलेन के लिए खतरा बन जाता है. फिल्म में सबसे पहले रंजीत ने धर्मेंद्र से बात की थी, परंतु नहीं आए. साथ में थीं हीरोइन, रेखा. तब फिल्म का नाम रखा गया था, किसके लिए. लेकिन फिल्म के लिए साइन होने के बावजूद रेखा समय नहीं निकाल पा रही थीं. लेकिन जब रेखा ने फिल्म के लिए समय निकाला तो रंजीत के सामने शर्त रख दी. रेखा ने कहा कि वह फिल्म के लिए सुबह शूटिंग करेंगी और शाम से पहले खत्म कर देंगी, ताकि शाम अमिताभ बच्चन के साथ बिता सकें. रंजीत को यह मंजूर नहीं था. आखिर रेखा ने फिल्म का साइनिंग अमाउंट लौटा दिया और फिल्म से हट गईं. इसके बाद निराश होकर रंजीत ने फिल्म डिब्बे में बंद कर दी.
फिर नई शुरुआत
कुछ समय बाद रंजीत ने फिल्म की पूरी कास्ट बदल दी और इसे नए सिरे से शुरू किया. वह विनोद खन्ना के साथ सुनील दत्त और शशि कपूर को अहम भूमिकाओं में लेना चाहते थे, परंतु बात नहीं बनी. अंततः उन्होंने उपलब्ध एक्टरों के साथ शूटिंग शुरू की. फिल्म की शूटिंग दो-तीन साल तक चली और चार साल में बनकर यह रिलीज हो पाई. मगर रंजीत के लिए अनुभव अच्छा नहीं रहा. फिल्म फ्लॉप हो गई. इसके बाद उन्होंने केवल एक फिल्म का निर्माण-निर्देशक और किया, जिसका नाम थाः गजब तमाशा (1992). वह फिल्म भी फ्लॉप साबित हुई.
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