Atal Bihari Vajpayee vs Balraj Madhok: अटल बिहारी वाजपेयी दक्षिणपंथी पार्टी के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष होने के बाद भी नरम रुख रखते थे. कुछ लोग उन्हें 'थोड़ा कांग्रेसी विचारधारा' वाला नेता भी कहते थे. ऐसे ही एक दिग्गज नेता थे बलराज मधोक. भारतीय जनसंघ के उस दिग्गज नेता ने वाजपेयी को कांग्रेसी भी कह दिया था.
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BJP Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में एक बात खूब कही जाती है कि विपक्ष में भी उनके दोस्त हुआ करते थे. हां, आजकल जिस तरह से 'बॉर्डर लाइन' तय कर दी जाती है, पहले ऐसा नहीं था. दिग्गज नेता वेंकैया नायडू ने वाजपेयी के निधन पर लिखा था कि अटल जी सच्चे अजातशत्रु थे यानी उनका कोई दुश्मन नहीं था. उन्होंने केवल दोस्त बनाए थे. खैर, जनसंघ के दौर में उनके अपने ही अटल को 'कांग्रेसी' कहकर आलोचना करते थे. हां, वह थे पीओके में जन्मे दिग्गज नेता बलराज मधोक. आज की पीढ़ी शायद उनका नाम भी नहीं जानती होगी. 2016 में 96 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
जी हां, ये किस्सा 1961 के दौर का है. उस समय पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे. नई दिल्ली से लोकसभा का उपचुनाव मधोक जीत गए थे. संसद में वह जोर-जोर से नेहरू की आलोचना कर रहे थे. जनसंघ के युवा नेता अटल बिहारी वाजपेयी उनके पास आए. अटल ने कहा था कि आप नेहरू को इस तरह भला-बुरा कहेंगे तो कोई चुनाव नहीं जीत पाएंगे.
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मधोक और अटल की तनातनी
उसी समय से मधोक और अटल में तनातनी शुरू हो गई थी. मधोक ने कई बार कहा था, 'वाजपेयी असल में कांग्रेसी हैं'. दरअसल, अटल भले ही नेहरू की आलोचना करते हों लेकिन नेहरू उनमें अपार संभावनाएं देखते थे. वह अटल की भाषण शैली को पसंद करते थे. ऐसे में लोग मानते थे कि अटल और नेहरू में अच्छे संबंध हैं.
मधोक को पार्टी से निकाला
बलराज मधोक 1966-67 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष बने थे. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का कद बढ़ा तो वह पीछे रह गए. 1973 में उन्हें पार्टी से ही निष्कासित कर दिया गया. जनसंघ का पहला घोषणापत्र मधोक ने ही लिखा था.
अटल को कमजोर पीएम कहते थे मधोक
जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गए तब 2001 में मधोक ने वाजपेयी को देश का सबसे कमजोर पीएम बताया था. उन्होंने कहा था कि अटल को पीएम का पद छोड़ देना चाहिए और उनकी जगह लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और जसवंत सिंह अच्छे प्रधानमंत्री साबित हो सकते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि बलराज मधोक भारत में हिंदुत्व की राजनीति के असली संस्थापक थे. 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ पार्टी की स्थापना की लेकिन मुखर्जी का जल्द ही निधन हो गया. इसके बाद मधोक ही हिंदुत्व की पॉलिटिक्स के सिरमौर बन गए. 1967 में मधोक के अध्यक्ष रहते भारतीय जनसंघ ने 35 लोकसभा सीटें जीती थीं. लालकृष्ण आडवाणी को जनसंघ में लाने का श्रेय बलराज मधोक को ही दिया जाता है.