Rajya Sabha Elections: राज्यसभा की 10 सीटें खाली, 7 राज्यों में से 5 में भाजपा हावी, दो सूबे में NDA को कड़ी टक्कर देगा विपक्ष
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Rajya Sabha Elections: राज्यसभा की 10 सीटें खाली, 7 राज्यों में से 5 में भाजपा हावी, दो सूबे में NDA को कड़ी टक्कर देगा विपक्ष

Rajya Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आने और केंद्र में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार के गठन के बाद देश के सात राज्यों की 10 खाली सीटों पर राज्यसभा चुनाव की घंटी बज चुकी है. इनमें से दो राज्यों में सत्तारुढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.

Rajya Sabha Elections: राज्यसभा की 10 सीटें खाली, 7 राज्यों में से 5 में भाजपा हावी, दो सूबे में NDA को कड़ी टक्कर देगा विपक्ष

NDA VS INDIA Bloc: राज्यसभा सचिवालय द्वारा सात राज्यों की 10 सीटों पर रिक्तियों को अधिसूचित कर दिया गया है. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने और केंद्र में मोदी सरकार 3.0 के कार्यभार संभाल लेने के बाद एक बार फिर सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों का मुकाबला देखने की उम्मीद बढ़ गई है. राज्यसभा की इन 10 सीटों पर संसद सदस्य हाल ही में खत्म हुए आम चुनावों में लोकसभा के लिए चुन लिए गए थे.

सात में से पांच राज्यों में भाजपा की पूरी संभावना

राज्यसभा चुनाव का सामना करने वाले सात में से पांच राज्यों में उच्च सदन की खाली सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के ही लौटने की पूरी संभावना है. वहीं, महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए और विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन सियासी लड़ाई के एक और नए दौर के लिए तैयार है. हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक इन 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है.

इन सात राज्यों में राज्यसभा की दस सीटों पर चुनाव

राज्यसभा के खाली सीटों में से असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट हैं. इन दस सीटों में से सात पर भाजपा, दो पर कांग्रेस और एक पर राजद का कब्जा था. कांग्रेस और राजद दोनों इंडी गठबंधन के प्रमुख सहयोगी हैं. निचले सदन यानी लोकसभा के लिए चुने गए भाजपा के राज्यसभा सांसदों में तीन सर्बानंद सोनोवाल (असम), ज्योतिरादित्य सिंधिया (मध्य प्रदेश), और पीयूष गोयल (महाराष्ट्र) केंद्रीय मंत्री हैं. 

महाराष्ट्र और हरियाणा में दिखेगा सियासी कशमकश

भाजपा के पास असम की दोनों राज्यसभा सीटों और त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में एक-एक सीट बरकरार रखने के लिए विधानसभाओं में पर्याप्त संख्या बल मौजूद है. बिहार विधानसभा में एनडीए और विपक्षी गठबंधनों की पर्याप्त संख्या को देखते हुए, भाजपा और राजद दोनों एक-एक सीट हासिल करने में सक्षम होंगे. विधानसभा में पूर्ण बहुमत को देखते हुए, भाजपा राजस्थान में उच्च सदन की सीट आराम से जीत लेगी. हालांकि, महाराष्ट्र और हरियाणा की खाली सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा को विपक्षी गठबंधन की ओर से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा का मौजूदा हाल

हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा की मौजूदा ताकत अब घटकर 87 हो गई है. भाजपा के पास 41 सदस्य हैं. वहीं, मुलाना विधायक वरुण चौधरी के अंबाला से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद कांग्रेस के पास 29 सदस्य हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने जिस जेजेपी से नाता तोड़ा था, उसके पास 10 विधायक हैं. जबकि पांच निर्दलीय विधायक और इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) तथा हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) से एक-एक विधायक हैं.

निर्दलीय विधायकों के समर्थन से भाजपा ताकतवर

बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का पिछले महीने निधन हो गया था. एक निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह ने भाजपा में शामिल होने और उसके टिकट पर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार जय प्रकाश से हार गए थे. इस तरह हरियाणा में, निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और एक एचएलपी विधायक गोपाल कांडा के समर्थन के कारण भाजपा की ताकत 43 हो जाती है.

हरियाणा में कागज पर विपक्ष के 44 विधायक

हरियाणा विधानसभा में बाकी 44 विधायक कम से कम कागजों पर विपक्षी खेमे में नजर आते हैं. इनमें कांग्रेस के 29 और जेजेपी के 10 विधायक शामिल हैं. बाकी चार निर्दलीय विधायकों में से सोमबीर सांगवान (दादरी), रणधीर सिंह गोलेन (पुंडरी) और धर्मपाल गोंदर (नीलोखेड़ी) सहित तीन विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है. महम से एक और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भाजपा और कांग्रेस दोनों में किसी को समर्थन नहीं दिया है. इनेलो के अभय चौटाला ने भी अभी तक किसी भी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है.

कांग्रेस को सभी विपक्षी विधायकों के समर्थन की उम्मीद 

कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिल जाए तो वह हरियाणा में भाजपा को हरा सकती है. हालांकि, इसकी संभावना कम ही लग रही है. जेजेपी के कम से कम छह विधायक दुष्यंत से नाराज हैं. इनमें से दो विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास सुरजाखेड़ा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की है. वहीं, जेजेपी ने स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को पत्र लिखकर इन दोनों विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की है.

हरियाणा में एकमात्र खाली राज्यसभा सीट का गणित

इसलिए, कांग्रेस हरियाणा में एकमात्र खाली राज्यसभा सीट हासिल करने के लिए जरूरी संख्या जुटाने में सक्षम नहीं हो सकती, जब तक कि पूरा विपक्ष उसके पीछे न आ जाए. जून 2022 में हरियाणा की दो सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या थी, लेकिन उसके तत्कालीन उम्मीदवार अजय माकन क्रॉस-वोटिंग के कारण पीछे रह गए. 

दूसरी ओर, भाजपा का दावा है कि उसे अब 45 विधायकों (41-भाजपा, 1-निर्दलीय, 1-एचएलपी और 2-जेजेपी) का समर्थन प्राप्त है. हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि जेजेपी के विधायक अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ नहीं जा सकते हैं, लेकिन "बागी" जेजेपी विधायक भाजपा को अपना समर्थन देने का वादा करते समय इस दावे से इनकार करते हैं.

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महाराष्ट्र में भी भाजपा के लिए मुकाबला कठिन 

महाराष्ट्र में भी भाजपा के लिए मुकाबला कठिन होने जा रहा है क्योंकि उसके दोनों एनडीए सहयोगियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने केंद्र में नई एनडीए सरकार में कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है. सात लोकसभा सीटें जीतने वाली शिवसेना नाखुश है. क्योंकि कम सीटों के साथ बाकी एनडीए सहयोगियों को कैबिनेट में जगह मिली है. इनमें 5 सीटों के साथ एलजेपी (आरवी), दो सीटों के साथ जेडी (एस), और एचएएम (एस) शामिल हैं.

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भाजपा के दोनों सहयोगी दलों में दिखी नाराजगी

मोदी कैबिनेट में एनसीपी को एक सीट राज्य मंत्री (एमओएस) पद की पेशकश की गई थी, जिसे स्वीकार नहीं किया गया. क्योंकि एनसीपी कैबिनेट पद चाहती थी. शिवसेना को एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला है. महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन खेमे में कांग्रेस, शरद पवार का एनसीपी (एसपी) गुट और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं. जिन कांग्रेस नेताओं के लोकसभा चुनाव के कारण राज्यसभा में दो सीटें खाली हो गईं, उनमें के सी वेणुगोपाल (राजस्थान) और दीपेंद्र हुड्डा (हरियाणा) शामिल हैं

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