Katihar Lok Sabha Election 2024: कटिहार में सीमांचल के मुद्दे हावी, क्या है चुनावी इतिहास और सियासी गणित
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Katihar Lok Sabha Election 2024: कटिहार में सीमांचल के मुद्दे हावी, क्या है चुनावी इतिहास और सियासी गणित

Katihar Lok Sabha Chunav 2024 News: बिहार के सीमांचल क्षेत्र की चार लोकसभा सीटों में कटिहार काफी अहम है. मुस्लिम बहुल कटिहार लोकसभा सीट पहले कांग्रेस का गढ़ रही थी. हालांकि, बीते ढाई दशक में एक बार को छोड़कर लगातार इस सीट एनडीए का दबदबा है. 

Katihar Lok Sabha Election 2024: कटिहार में सीमांचल के मुद्दे हावी, क्या है चुनावी इतिहास और सियासी गणित

Katihar Lok Sabha Election 2024: बिहार के सीमांचल की अहम लोकसभा सीट कटिहार में देश के दूसरे आम चुनाव 1957 के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. कटिहार इससे पहले पूर्णियां जिले का हिस्सा था. कटिहार लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा सीट कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी शामिल हैं. पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित कटिहार लोकसभा सीट की पौराणिकता देखें तो भगवान श्रीकृष्ण का यहां आगमन हुआ था. वहीं, ऐतिहासिकता देखें तो कुरसेला स्थित त्रिमोहानी संगम में 12 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी का अस्थि कलश विसर्जित किया गया था. अंग, मगध, मुगल और अंग्रेज शासन में रहने के कारण यहां कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मौजूद हैं.

ब्रिटिश शासन के खिलाफ मशहूर कटिहार आंदोलन की जमीन

ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में यहां मशहूर कटिहार आंदोलन हो चुका है. पांच नदियों के किनारे बसे कटिहार में लहलहाते खेत, आम के बगान, मखाना के पत्ते से पटा पोखर दिखता है. रेल और सड़क मार्ग से दूसरे राज्यों से जुड़े होने की वजह से कटिहार का व्यापारिक आधार मजबूत रहा है. इसके बावजूद उद्योगविहीन कटिहार अपने मेहनकश किसान और मजदूरों को लेकर जाना जाता है. कटिहार की पहचान रहे जूट उद्योग ठप पड़ गए हैं. जूट मिल कब का बंद हो चुका है. इसके दबारा खोले जाने की मांग को अब कोई नहीं सुनता. दूसरी ओर, कटिहार की जमीन राजनीतिक रूप से काफी उर्वर बताई जाती है.

कटिहार सीट की डेमोग्राफी और राजनीतिक- सामाजिक समीकरण

सियासी समीकरण की बात करें तो कटिहार लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में भाजपा और कांग्रेस के पास दो-दो और जदयू और भाकपा (माले) के पास एक-एक सीट है. लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, कटिहार लोकसभा क्षेत्र में 9 लाख 39 हजार 260 मतदाता पुरुष हैं. 8 लाख 65 हजार 305 महिला वोटर हैं और 102 थर्ड जेंडर के वोटर हैं. जातीय जनगणना पर 41 फीसदी मुस्लिम, 11 फीसदी यादव, 8 फीसदी सवर्ण, 16 फीसदी वैश्य, 18 फीसदी पिछड़ा और अत्यंत पिछड़ा वर्ग और 6 फीसदी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं. जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में करीब साढ़े 52 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. करीब 1 लाख 40 हजार लोग खेती पर निर्भर करते हैं. 

कटिहार लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास और सियासी उतार-चढ़ाव

कटिहार लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास देखें तो मतदाताओं ने अब तक 16 सांसद चुने हैं, लेकिन करीब चार दशक से यहां की सियासत में तारिक अनवर छाए रहे हैं.  कभी कांग्रेस का गढ़ रहे कटिहार लोकसभा क्षेत्र से फिलहाल जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी यहां से सांसद हैं.  ढाई दशक से इस सीट पर एनडीए का ही दबदबा रहा है. भाजपा के निखिल चौधरी लगातार तीन बार कटिहार के सांसद रहे हैं. कटिहार में 1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह चुनाव जीते थे. 1962 में यह सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के खाते में गई. 1967 में एक बार फिर से यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और सीताराम केसरी जीतकर लोकसभा पहुंचे. आपातकाल के बाद 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी को जीत मिली. 

1980 के बाद तारिक अनवर सबसे बड़ा चेहरा, इस बार क्या है समीकरण

इसके बाद 1980 में कांग्रेस उम्मीदवार तारिक अनवर पहली बार जीत कर लोकसभा पहुंचे थे. तारिक अनवर को पांच बार (चार बार कांग्रेस व एक बार एनसीपी) कटिहार का सांसद चुने जाने का मौका मिला है. कांग्रेस उम्मीदवार तारिक अनवर के साथ किसी न किसी प्रत्याशी का 11 बार सीधा मुकाबला हुआ है. 28 जनवरी, 2024 को नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के साथ ही लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी समीकरण बदल गया है. सीट समझौते में जदयू और भाजपा अभी तय करेगी कि कटिहार सीट पर किस पार्टी का कौन उम्मीदवार होगा. कटिहार लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. इसलिए, इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस से तारिक अनवर या शकील अहमद खान और भाकपा माले से महबूब आलम के उम्मीदवार होने की संभावना है. 

कटिहार लोकसभा क्षेत्र में अब तक चुने गए सांसदों की सूची- 

1957 अवधेश कुमार सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1958 भोलानाथ विश्वास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962 प्रिय गुप्ता, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1967 सीताराम केसरी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977 युवराज, जनता पार्टी
1980 तारिक अनवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1984 तारिक अनवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989 युवराज, जनता दल
1991 मो. यूनुस सलीम, जनता दल
1996 तारिक अनवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1998 तारिक अनवर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1999 निखिल कुमार चौधरी, भाजपा
2004 निखिल कुमार चौधरी, भाजपा
2009 निखिल कुमार चौधरी, भाजपा
2014 तारिक अनवर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
2019 दुलालचंद गोस्वामी, जदयू

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