Jammu Kashmir Election: ना हिंसा न प्रदर्शन.. सिर्फ और सिर्फ मतदान, जम्मू-कश्मीर ने रच दिया इतिहास
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Jammu Kashmir Election: ना हिंसा न प्रदर्शन.. सिर्फ और सिर्फ मतदान, जम्मू-कश्मीर ने रच दिया इतिहास

Jammu Kashmir Election News: जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव इतिहासिक रहे. ना बहिष्कार ना प्रदर्शन और ना हिंसा हुई.मतदान के टूटे पिछले सारे रिकॉर्ड.

Jammu Kashmir Election: ना हिंसा न प्रदर्शन.. सिर्फ और सिर्फ मतदान, जम्मू-कश्मीर ने रच दिया इतिहास

Jammu Kashmir Election 2024: दस साल के लंबे अंतराल के बाद जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव तीन चरणों में आयोजित किया गया. तीनों चरणों में कुल मतदान प्रतिशत 63.45 दर्ज किया गया, जबकि पहले चरण में मतदान प्रतिशत 61.38 प्रतिशत, दूसरे चरण में 57.31 प्रतिशत और तीसरे और अंतिम चरण में 68.72 प्रतिशत रहा.

चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को 'ऐतिहासिक' बताया, जिसमें ना तो पुनर्मतदान हुआ और मतदान 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से बेहतर रहा. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव भी था. जिसने इतिहास रच दिया.

एलजी मनोज सिन्हा की तक़रीर “ जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का महा प्रदर्शन हुआ है तीसरे चरण का मतदान कल जम्मू कश्मीर में सम्पन्न हुआ मई में लोकसभा चुनाव हुए थे तीन महीने के बेतर विधानसभा के चुनाव शांतिपूर्ण निष्पक्ष डैंग से हुए और आज यह भारत में ही नहीं पूरे विश्व में चर्चा का विषे बना हुआ है 1.40 करोड़ लोगों ने संविधान के मूलियों में आस्था प्रकट की है और इस खूबसूरत जम्मू कश्मीर को देश के विकास में अपने योगदान का संकल्प अपने मतदान के माध्यम से दिया है.”

चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही पूरा केंद्र शासित प्रदेश उत्सवी माहौल में तब्दील हो गया है. केंद्र शासित प्रदेश के हर कोने में हर राजनीतिक दल ने प्रचार किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक, सभी बड़े नेता विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी पार्टियों के लिए प्रचार करते नजर आए. उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, रवींद्र रैना, तारिक हमीद कर्रा और इल्तिजा मुफ्ती यूटी के हर हिस्से में आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे थे.

हर राजनेता के साथ-साथ स्थानीय लोग भी 8 अक्टूबर का इंतजार कर रहे हैं, जिस दिन नतीजे घोषित किए जाएंगे. चूंकि चुनावों में लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई, इसलिए अब उत्सुकता इस बात को लेकर है कि कौन जीतेगा. इस चुनाव में 44 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे. लोगों के पास चुनने के लिए राजनेताओं का एक बड़ा गुलदस्ता था. जम्मू और कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार था कि इतनी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भाग लिया. और मतदान में भारी संखिया में हिसा लेकर लोगों ने भी इतिहास रच दिया.

स्थानीय मतदाता की बाइट “ वोट हमारे लिए बोहत ज़रूरी है और इसे हम बदलाव ला सकते है और एक अछा प्रतियाशी चुनकर अपना काल सवार सकते है.”

इस चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण उम्मीदवारों में से एक जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हैं, जिनके लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है. उमर दो सीटों - बडगाम और गंदेरबल से चुनाव लड़ रहे हैं. उमर अब्दुल्ला हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में बारामुल्ला निर्वाचन क्षेत्र से हार गए हैं, जिससे उनके राजनीतिक करियर पर सवालिया निशान लग गया है. इंजीनियर रशीद से सीट हारने से उमर का आत्मविश्वास डगमगा गया है और यही वजह है कि उन्हें गंदेरबल और बडगाम दोनों सीटों से चुनाव लड़ना पड़ रहा है, जिन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ माना जाता है.

इस विधानसभा चुनाव में अन्य प्रमुख नाम इल्तिजा मुफ्ती हैं, जो महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं जो पीडीपी के गढ़ बिजबेहरा से अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं. इल्तिजा पर भी राजनीति में मुफ्ती विरासत को आगे बड़ाने का भारी दबाव है. अन्य नामों में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन, भाजपा के रवींद्र रैना, निर्दलीय मुजफ्फर हुसैन बेग, कांग्रेस के गुलाम अहमद मीर, कांग्रेस के रमन भल्ला और तारा चंद शामिल हैं.

हाल के महीनों में जम्मू क्षेत्र में लगातार हमलों और घात लगाकर किए गए हमलों को देखते हुए, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के लिए सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय थी. नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब के इलाकों को हाई अलर्ट पर रखा गया था और क्षेत्र के हर मतदान केंद्र के आसपास तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी. विधानसभा चुनाव के तीनों चरणों में एक भी हिंसा दर्ज नहीं की गई. चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त 300 कंपनियां तैनात की गई थीं.

इस बार चुनाव और परिणाम इतने अप्रत्याशित हैं कि कोई नहीं जानता कि जब ईवीएम बॉक्स खुलेंगे और गिनती शुरू होगी तो कौन जश्न मनाएगा. क्या यह कांग्रेस या भाजपा जैसी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी होगी या एनसी या पीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टी होगी, कोई भी ऐसा नहीं है जो इस बार जीत और हार की भविष्यवाणी कर सके.अब ताज किसी के भी सर हो लेकिन लोकतंत्र की जीत पहले ही दर्ज होचुकी है.

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