Louis Braille: वर्ल्ड ब्रेल डे हर साल 4 जनवरी को ब्रेल के जनक लुई ब्रेल के जन्मदिन पर मनाया जाता है. यह दिन ब्लाइंड दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ने और लिखने में मदद करने में लुई ब्रेल के योगदान को पहचानता है.
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World Braille Day Louis Braille: दुनिया भर के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) इस दिन का उपयोग नेत्रहीनों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता पैदा करने और नेत्रहीनों के लिए आर्थिक और सामाजिक अवसर पैदा करने के लिए व्यवसायों और सरकारों को प्रोत्साहित करने के लिए करते हैं. एनजीओ और अक्षमता संगठन प्रतियोगिताओं और सार्वजनिक पहुंच प्रोग्राम का आयोजन करते हैं. वर्ल्ड ब्रेल डे आधिकारिक छुट्टी नहीं है और इस दिन कोई सरकारी छुट्टी नहीं होती है.
ब्रेल एक ऐसा कोड है जिसमें अक्षरों समतल सरफेस के बजाए उभरा हुआ बनाया जाता है. जिसे छूने से पहचाना जा सकता है. लुइस ब्रेल नाम के एक फ्रांसीसी व्यक्ति, जो बहुत कम उम्र में एक दुर्घटना में अंधे हो गए थे, ने इसका आविष्कार किया था.
ब्रेल द्वारा कम्यूनिकेशन के इस रूप का आविष्कार करने से पहले, नेत्रहीन लोग हाउ सिस्टम का उपयोग करके पढ़ते और लिखते थे, जो मोटे कागज या चमड़े पर लैटिन अक्षरों को उकेरता था. यह एक जटिल सिस्टम था जिसमें बहुत ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत थी और लोगों को केवल पढ़ने की इजाजत थी, लिखने की नहीं. इससे निराश होकर 15 साल की उम्र में ब्रेल ने ब्रेल कोड का आविष्कार किया.
जबकि अब ब्रेल के कई अलग-अलग वर्जन हैं, लुई ब्रेल के कोड को छोटे आयताकार ब्लॉकों में व्यवस्थित किया गया था, जिन्हें 3 x 2 पैटर्न में उभरे हुए डॉट्स वाले सेल कहा जाता है. हर सेल एक अक्षर, संख्या या विराम चिह्न को रिप्रजेंट करता है. चूंकि ब्रेल एक कोड है, इसलिए सभी भाषाओं और गणित, संगीत और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे कुछ सब्जेक्ट को भी ब्रेल में पढ़ा और लिखा जा सकता है.
लुईल ब्रेल की बात करें तो उनका जन्म 4 जनवरी 1809 को पेरिस के पास कूपव्रे में हुआ था. लुई ब्रेल के पिता हार्नेस की दुकान करते है. लुई जब 3 साल के थे तब वह दुकान में औजारों से खेल रहे थे तभी एक औजार उनकी सीधी आंख में लग गया और उनकी आंखों की रोशनी चली गई. ब्रेल का आविष्कार करने वाले लुई ब्रेल एक म्यूजिशियन भी थे. 1819 में उन्होंने पेरिस के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ब्लाइंड चिलड्रेन में एडमिशन लिया. वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद सन 1826 से वहीं टीचर बन गए.
ऐसे बना लिखने का नया मैथड
स्कूल में वह चार्ल्स बारबियर द्वारा पेश की गई एक नई प्रणाली से इंप्रेस हो गए. इसमें एक कार्डबोर्ड पर एक फोनेटिक साउंड मैसेज को डॉट्स के माध्यम से उकेरा गया था. जब ब्रेल 15 साल के हुए तब उन्होंने भी ऐसा ही तरीका अपनाया. इसके बाद उन्होंने एक ऐसा सिस्टम बनाया. इसमें 6 डॉट कोड होते हैं. उन्हें म्यूजिक नोट्स पर ढाला. लुई ब्रेल ने साल 1829 में अपने टाइप सिस्टम पर एक किताब पब्लिश की. 1837 में उन्होंने एक पॉपुलर हिस्ट्री स्कूलबुक का तीन-वॉल्यूम ब्रेल वर्जन पब्लिश किया.
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