IAS Samyak Jain Success Story: सम्यक कहते हैं कि मैं वास्तव में अपने माता-पिता का आभारी हूं, खासकर मेरी मां का जो यूपीएससी की इस यात्रा के दौरान मेरे साथ थीं.
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IAS Samyak Jain Success Story: देश की सबसे प्रमुख और कठिन परीक्षाओं में से एक है यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा. यह परीक्षा कई प्रतिष्ठित पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों को चुनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हर साल आयोजित की जाती है. हर साल लाखों उम्मीदवार यह परीक्षा देते हैं. लेकिन, एक हजार से भी कम उम्मीदवार ही इस परीक्षा के तीनों चरणों को पास कर ऑफिसर का पद हासिल कर पाते हैं. आज हम एक ऐसे ही उम्मीदवार सम्यक जैन के बारे में जानेंगे, जो दिव्यांग श्रेणी के सदस्य हैं. सम्यक ने नेत्रहीन होने के बावजूद यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्रैक कर डाली थी और इसमें ऑल इंडिया 7वीं रैंक हासिल की थी.
दिल्ली के रहने वाले सम्यक ने अपने दूसरे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास की थी. परीक्षा के दौरान उनकी मां ने उनका पेपर लिखा था. सम्यक बताते हैं कि "मैं इस परिणाम से खुश हूं. मुझे नहीं पता था कि मुझे इतनी हाई रैंकिंग मिलेगी." परिणाम घोषित होने के बाद उन्होंने कहा, "मैं वास्तव में अपने माता-पिता का आभारी हूं, खासकर मेरी मां का जो इस यात्रा के दौरान मेरे साथ थीं.
आईएएस सम्यक जैन ने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली में रहते हुए इंग्लिश में बीए की डिग्री हासिल की. उनका अगला पड़ाव भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) था, जहां उन्होंने अंग्रेजी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में, सम्यक ने बाद में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. यूपीएससी में उन्होंने ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन करना ही चुना.
सम्यक के माता-पिता दोनों एयर इंडिया में कार्यरत हैं. चूंकि उनके पिता पेरिस में तैनात हैं, इसलिए वह अपनी मां के साथ रहते हैं. सम्यक खुद को भाग्यशाली मानते है कि उसके माता-पिता और दोस्त उन्हें काफी सपोर्ट करते हैं. 20 साल की उम्र में सम्यक की आंखों की रोशनी कम होने लगी और आखिरकार उन्होंने सब कुछ देखने की क्षमता खो दी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और दिल्ली के आईआईएमसी में अपनी शिक्षा जारी रखी.
सम्यक ने कहा कि उस समय उनके जेएनयू परिसर में कई लोग सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे थे. इसके बाद उन्हें परीक्षा का उद्देश्य समझ आया और उन्होंने इसके लिए पढ़ाई शुरू कर दी.
उनकी मां ने प्रीलिम्स परीक्षा के लिए टेस्ट पेपर लिखा था, जबकि उनके एक दोस्त ने फाइनल परीक्षा के लिए पेपर लिखा. कई लोगों को निस्संदेह सम्यक की कठिन परिस्थिति में भी आगे बढ़ने और अपने जुनून का पालन करने की कहानी में प्रोत्साहन मिलेगा.