बचपन से देखा था उड़ने का ख्वाब, पूरा करने में लगा दी जान; जानें Astronaut कल्पना चावला से जुड़ी ये अनसुनी बातें
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बचपन से देखा था उड़ने का ख्वाब, पूरा करने में लगा दी जान; जानें Astronaut कल्पना चावला से जुड़ी ये अनसुनी बातें

Kalpana Chawla: भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला देश का गौरव हैं. इस क्षेत्र में उनकेयोगदान के लिए उन्हें कई अवॉर्ड और सम्मान दिए गए. आज जानेंगे उनके इस सफर के बारे में अहम बातें. 

बचपन से देखा था उड़ने का ख्वाब, पूरा करने में लगा दी जान; जानें Astronaut कल्पना चावला से जुड़ी ये अनसुनी बातें

Astronaut Kalpana Chawla: कल्पना चावला भारत की पहली महिला थी, जिन्होंने स्पेस में जाकर इतिहास रच दिया. भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना ने बचपन से ही आसमान में उड़ने का सपना देखा था और उन्होंने अपने सपने को पूरा करने में कोई कसन बाकी नहीं रखी.

अपने सपने को पूरा करके कल्पना ने न सिर्फ भारत का गौरव बढ़ाया, बल्कि इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया. पूरा विश्व आज भी कल्पना को उनके योगदान के लिए याद करता है. आज हम आपको एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला (Kalpana Chawla) के जीवन के कुछ अहम पहलुओं के बारे में बता रहे हैं.

हमेशा रहती थीं पढ़ाई में टॉप
भारतीय मूल की अमेरिकी महिला कल्पना चावला को एक नहीं बल्कि दो-दो बार स्पेस में जाने का मौका मिला था.  हरियाणा के करनाल में उनका जन्म 17 मार्च 1962 में बनारसी लाल और संजयोती चावला के घर हुआ था. बचपन से ही पढ़ने में होशियार कल्पना हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहीं. उनके पेरेंट्स उन्हें टीचर बनाना चाहते थे, लेकिन कल्पना ने बचपन में ही अंतरिक्ष यात्री बनने का ख्वाब देख लिया था.

ग्रेजुएशन करने के बाद कल्पना ने मास्टर्स की पढ़ाई के लिए अमेरिका को चुना. जानकारी के मुताबिक साल 1984 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कल्पना ने मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद 1988 में पीएचडी भी कंप्लीट कर लिया था. साल 1988 में कल्पना ने नासा के लिए काम करने की शुरुआत कर दी थी. इसी बीच साल 1994 में उन्हें स्पेस मिशन के लिए चन लिया लिया गया. अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुने जाने के साथ ही उनका बचपन का ख्वाब भी पूरा होने को था.

एक नहीं दो बार की स्पेस की यात्रा
 कल्पना चावला ने एक नहीं, बल्कि दो बार अंतरिक्ष की सैर की थी. पहली बार साल 1997 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. यह उड़ान 19 नवंबर से 5 दिसंबर तक चली थी. इसके बाद साल 2003 में कोलंबिया शटल से कल्पना ने अपनी दूसरी उड़ान भरी. 16 दिनों तक चलने वाला यह मिशन 1 फरवरी को संपन्न होना था, लेकिन दूसरी बार वह जिंदा नहीं लौट सकीं. उनके स्पेसशिप के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण कल्पना समेत अन्य 6 यात्रियों की मौत हो गई. 

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