Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह का वो किस्सा जब सीएम रहते हुए घटा दी थी मंत्रियों की सैलरी
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Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह का वो किस्सा जब सीएम रहते हुए घटा दी थी मंत्रियों की सैलरी

Former Prime Minister Chaudhari Charan Singh: चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई, 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन 14 जनवरी, 1980 तक ही देश के प्रधानमंत्री रहे. 

Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh: चौधरी चरण सिंह का वो किस्सा जब सीएम रहते हुए घटा दी थी मंत्रियों की सैलरी

Bharat Ratna Chaudhari Charan Singh: देश के पांचवें प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. वो किसानों के नेता थे. इसलिए उनके जन्मदिन को 'किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. वो एक ऐसे प्रधानमंत्री थे जो कभी संसद भवन ही नहीं गए थे. 

  • भारत रत्न चौधरी चरण सिंह एक लेखक भी थे और अंग्रेजी पर उनकी अच्छी पकड़ थी. उन्होंने 'अबॉलिशन ऑफ जमींदारी', 'लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप' और 'इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस' किताबें लिखीं.

  • 1923 में चरण सिंह ने साइंस में ग्रेजुएशन किया और दो साल बाद सन 1925 में उन्होंने आर्ट्स में पोस्टग्रेजुएशन की परीक्षा पास की.

  • उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की और फिर लॉ एग्जाम पास करने के बाद सन 1928 में गाजियाबाद में वक़ालत शुरू कर दी. वे 1929 में मेरठ आ गए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए.

  • सन् 1940 में गांधीजी द्वारा किये गए 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में भी चरण सिंह को गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद वे अक्टूबर 1941 में रिहा किए गए थे. 

  • चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 - 29 मई 1987) वह भारत के किसान राजनेता एवं पांचवें प्रधानमंत्री थे. उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला.

  • वह अचानक उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के सोवियत-पद्धति पर आधारित आर्थिक सुधारों का विरोध किया था. उन्होंने विरोध के पक्ष में तर्क दिया था कि  सहकारी-पद्धति की खेती भारत देश में सफल नहीं हो सकती है.

  • चौधरी चरण सिंह साल 1937 में सिर्फ 34 साल की उम्र में बागपत की छपरौली सीट से विधायक चुने गए थे. किसानों के प्रति समर्पित चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की रक्षा की खातिर एक बिल भी पेश किया था. यह बिल ऐसा था कि बाद में बाकी राज्यों ने इस बिल को हूबहू अपनाया था.

  • मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने भूमि जोत अधिनियम 1960 लाने में अहम भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में भूमि जोत की सीमा को कम करके इसे एक समान बनाना था. यह उनकी पहल पर ही था कि यूपी में मंत्रियों की सैलरी और अन्य विशेषाधिकार में कमी की गई.

     

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