Civil Judge Story: लॉ स्टूडेंट्स को ट्यूशन देकर यासीन ने रिवीजन के साथ ही अपनी इनकम का भी बंदोबस्त किया. इससे उन्हें तैयारी में मदद तो मिली, लेकिन केरल ज्यूडिशियल सर्विसेज एग्जाम का पहला अटेम्प्ट क्लियर नहीं कर पाए. फिर भी अपने अपने सपने को साकार करने में लगे रहे...
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Yaseen Shan Muhammad Success Story: कहते हैं, मेहनत और लगन के दम पर बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी छोटी लगने लगती हैं. यह बात केरल के यासीन शान मुहम्मद की कहानी पर पूरी तरह फिट बैठती है. एक समय डिलीवरी बॉय का काम करने वाले यासीन ने केरल ज्यूडिशियल सर्विसेज परीक्षा 2024 में दूसरा स्थान हासिल करके सिविल जज बनने का सपना पूरा किया. यह सफर संघर्ष, प्रेरणा और दृढ़ संकल्प से भरा रहा.
शुरुआती संघर्ष: मां के बलिदान का सहारा
यासीन शान मुहम्मद का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ. उनकी मां ने 6वीं में स्कूल छोड़ दिया और 14 साल की उम्र में शादी कर ली, लेकिन 19 साल की उम्र में तलाक ले लिया. यासीन का जन्म तब हुआ जब उनकी मां महज 15 साल की थीं. उनके पिता से कभी संपर्क नहीं हुआ. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी, लेकिन उनकी मां ने मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण किया.
बचपन से ही आर्थिक जिम्मेदारियां
यासीन ने बचपन से ही अखबार और दूध वितरित करने का काम शुरू कर दिया. इसके अलावा उन्होंने निर्माण स्थलों पर भी मजदूरी की. पढ़ाई के प्रति उनकी लगन के चलते उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया और एक साल तक नौकरी की. इसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में ग्रेजुएशन किया और फिर लॉ करने का फैसला लिया.
डिलीवरी बॉय से लेकर वकील बनने तक का सफर
लॉ की पढ़ाई के दौरान यासीन ने बच्चों को पढ़ाया और डिलीवरी बॉय का काम किया. कोविड के समय उनका काम बंद हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. 2023 में उन्होंने वकील के रूप में पंजीकरण कराया और कोर्ट में सीनियर वकील के अंडर काम करना शुरू किया. उनके साथियों ने उन्हें ज्यूडिशियल सर्विसेज परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया.
मेहनत और सफलता की ओर बढ़ते कदम
यासीन ने अपने लॉ के ज्ञान को बढ़ाने के लिए छात्रों को ट्यूशन दिया. इससे उन्हें तैयारी के लिए अतिरिक्त मदद और आय दोनों मिली. पहले प्रयास में वह मुख्य परीक्षा पास नहीं कर सके, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने दूसरा स्थान हासिल कर लिया.
युवाओं के लिए प्रेरणा
यासीन शान मुहम्मद की कहानी संघर्ष, मेहनत और कभी हार न मानने का सबसे बड़ा उदाहरण है. उनकी सफलता यह संदेश देती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आप मेहनत और लगन से डटे रहते हैं, तो आपकी मंजिल आपके कदमों में होगी.