Republic Day 2025 Tricolor: आजादी के बाद 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को भारत का राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया. तब से लेकर अब तक तिरंगे का डिजाइन में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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Republic Day 2025 Tricolor Design: भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा देश की आजादी, गौरव और एकता का प्रतीक है. इस तिरंगे को आज के रूप में देखकर शायद ही कोई कल्पना कर सकता है कि यह किस लंबे सफर से गुजरकर यहां तक पहुंचा है.
कितनी बार बदला गया तिरंगे का डिजाइन?
भारत के तिरंगे का डिजाइन आजादी से पहले कई बार बदला गया था. हर बदलाव देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को दर्शाता था. आइए जानते हैं तिरंगे के इतिहास के बारे में विस्तार से:
1906: पहला तिरंगा: भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 1906 में बंगाल में फहराया गया था. इसमें हरा, पीला और लाल रंग की पट्टियां थीं. इसमें कमल का फूल और चांद-सूरज भी थे. इसके साथ ही इसमें वंदे मातरम् भी लिखा था.
1907 में दूसरा तिरंगा: 1907 में ही दूसरा झंडा आया. इसे मैडम भीकाजी कामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों ने पेरिस में फहराया था. इस झंडे में लाल की जगह केसरिया रंग और आठ कमल के फूलों की जगह 8 सितारे बने थे.
1917 में एनी बेसेंट और तिलक ने नया फहराया झंडा: साल 1917 में होम रूल मूवमेंट के दौरान एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने एक और झंडा फहराया. इस झंडे में चार बारी-बारी से लाल और हरे रंग की पट्टियां थीं और सप्तऋषि के आकार में सात सितारे थे. ऊपरी दाएं कोने में एक सफेद अर्धचंद्र और सितारा था, जबकि बाएं कोने में यूनियन जैक था.
1921: चरखे का आगमन: 1921 में महात्मा गांधी ने तिरंगे में चरखा जोड़ा. चरखा स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक था और यह दर्शाता था कि भारत अब आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है.
1931 में फिर बदला तिरंगा: 1931 में तिरंगे में फिर बदलाव हुआ. इस बार के तिरंगे में केसरिया, सफेद और हरा रंग था. बीच में सफेद पट्टी पर चरखा था. यह वह तिरंगा था जिसे आजादी के बाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया.
1947 में संविधान सभा ने वर्तमान झंडा अपनाया: साल 1931 में पिंगली वेकैंया के झंडे में बदलाव किया और लाल रंग की जगह झंडे में केसरिया रंग ने ले ली. इसके साथ ही झंडे में कई बार बदलाव होने के बाद जुलाई 1947 में संविधान सभा ने औपचारिक रूप से स्वतंत्र भारत का नया झंडा अपना लिया. पिंगली वेकैया के 1931 के झंडे में बदलाव किया गया, जिसमें चरखे की जगह चक्र को शामिल किया गया. इसी झंडे का नाम तिरंगा रखा गया.