बिना कोचिंग दो बार क्रैक की UPSC परीक्षा, हासिल की ऑल इंडिया 5वीं रैंक, बनीं IAS अफसर
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बिना कोचिंग दो बार क्रैक की UPSC परीक्षा, हासिल की ऑल इंडिया 5वीं रैंक, बनीं IAS अफसर

IAS Mamta Yadav: आईएएस ममता यादव ने भारत की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दो बार क्रैक की है. उन्होंने इस परीक्षा में ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल की थी और वह अपने गांव की पहली आईएएस अफसर हैं.

बिना कोचिंग दो बार क्रैक की UPSC परीक्षा, हासिल की ऑल इंडिया 5वीं रैंक, बनीं IAS अफसर

IAS Mamta Yadav UPSC Success Story: भारत की सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को क्रैक करना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. इस परीक्षा को लाखों लोगों में से केवल मुट्ठीभर उम्मीदवार ही पास कर पाते हैं. आज हम आपको उन्हीं मुट्ठीभर उम्मीदवारों में से एक आईएएस ममता यादव के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के भारत की सबसे कठिन परीक्षा को दो बार क्रैक कर दिखाया था और साथ ही साथ वह अपने गांव की पहली आईएएस ऑफिसर बनी थीं.

हरियाणा के बसई के एक गांव से आने वाली ममता की परवरिश काफी साधारण परिवार में हुई थी. उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे और उनकी मां होममेकर थीं. वहीं, ममता बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थी और उनमें सीखने की भी ललक थी.

उनकी शैक्षणिक यात्रा उन्हें दिल्ली के जीके में बलवंत राय मेहता स्कूल के गलियारों से होते हुए हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री तक ले गई. ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जॉब करने का ऑप्शन चुनने के बजाय, यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देने का निर्णय लिया.

दृढ़ संकल्प और असंख्य प्रतिभाओं के साथ उन्होंने अपनी यूपीएससी की यात्रा शुरू कर दी और चार अंततः साल 2019 में 556वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल की. हालांकि, ममता का आईएएस बनने का सपना इस रैंक के साथ पूरा नहीं हो सका. इसलिए उन्होंने दोबारा यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला किया और इस बाद उन्होंने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया और खुद को निरंतर पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया.

ममता को उनकी इस मेहनत का फल भी तुरंत मिल गया. वह अगले साल यानी 2020 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल करने में कामयाब हुईं. बता दें कि उन्होंने यह सफलता सेल्फ स्टडी के दम पर हासिल की थी. उन्होंने एनसीईआरटी (NCERT) की किताबों के माध्यम से अपने बेसिक कॉन्सेप्ट महारत हासिल की.

शुरू में अपनी पढ़ाई के लिए आठ घंटे अलॉट करते हुए, ममता ने धीरे-धीरे अपने पढ़ाई के सेशन को थोड़े-थोड़े अंतराल के साथ 10 से 12 घंटे तक बढ़ा दिया. ममता अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता के अटूट समर्थन को देती हैं, जो हर जीत और संकट में उनके साथ खड़े रहे.

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