Girisha Chaudhary UPSC: गिरिशा ने अपनी नौकरी छोड़ने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की. 2018 में उनके पहले अटेंप्ट में वे 20 नंबर से प्रीलिम्स कटऑफ से चूक गईं.
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Success Story: यूपीएससी परीक्षा पास करके देश के टॉप अधिकारी बनने की ख्वाहिश कई लोगों की होती है, लेकिन हकीकत यह है कि इस बेहद प्रतिस्पर्धी परीक्षा में सफलता की कभी गारंटी नहीं होती. इस अनिश्चितता के बावजूद यूपीएससी की जर्नी में प्रतिबद्ध रहना एक बहुत बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को पार करने वाली हरियाणा के गिरीशा चौधरी हैं, जिन्होंने 2023 यूपीएससी परीक्षा में 263वीं रैंक हासिल की है.
गिरीशा का परिवार 1947 के विभाजन के दौरान पाकिस्तान से भारत आया था. उनके दादा ने पटवारी के रूप में रिटायर होने से पहले मजदूरी, रिक्शा चलाने और आइसक्रीम बेचने समेत कई तरह के काम किए. गिरीशा के पिता पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर थे और उनकी मां भी एक बैंक में काम करती थीं. कड़ी मेहनत और फ्लेक्सिबिलिटी की पारिवारिक विरासत को जारी रखने के लिए प्रेरित होकर, गिरीशा ने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण हासिल करने का लक्ष्य रखा. हालांकि, कॉलेज शुरू करने से पहले, उन्हें यूपीएससी परीक्षा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और शुरू में वे पत्रकार बनना चाहती थीं.
पत्रकार बनने का सपना हरियाणा के करनाल में जन्मी गिरिशा (जैसा कि उन्हें कभी-कभी बुलाया जाता है) ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गृहनगर में ही पूरी की. वह एक एवरेज स्टूडेंट थीं, लेकिन 12वीं क्लास के दौरान एक अनाथालय की यात्रा ने उसे गहराई से प्रभावित किया. बच्चों की दुर्दशा से प्रभावित होकर, उसने उनकी आवाज को बुलंद करने के लिए पत्रकार बनने का सपना देखा. अपने जुनून के बावजूद, गिरिशा को इस करियर ऑप्शन के लिए बहुत कम सपोर्ट मिला, इसलिए उसने एक रेगुलर कॉलेज में कंप्यूटर साइंस में बी.टेक प्रोग्राम में दाखिला लिया.
ग्रेजुएशन के बाद, गिरिशा को EY में अच्छी सैलरी वाली नौकरी मिल गई. आरामदायक लाइफस्टाइल के बावजूद, उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है. बहुत सोच-विचार के बाद, उन्होंने यूपीएससी करने का फैसला किया. उनके फैसले की आलोचना हुई, लेकिन गिरिशा दृढ़ निश्चयी रहीं.
शुरुआती संघर्ष और असफलताएं
गिरिशा ने अपनी नौकरी छोड़ने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की. 2018 में उनके पहले अटेंप्ट में वे 20 नंबर से प्रीलिम्स कटऑफ से चूक गईं. 2019 में, उन्होंने फिर से प्रयास किया और केवल 1.5 नंबर से चूक गईं. 2020 में अपने तीसरे अटेंप्ट से, चिंता ने उन पर असर डालना शुरू कर दिया. परीक्षा से पहले एक रात की नींद न आने से उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ और वे एक बार फिर असफल हो गईं, अपने पहले तीन अटेंप्ट में वे प्रीलिम्स को भी पास नहीं कर पाईं.
पैनिक अटैक और असफलताएं
2021 में, गिरिशा ने परीक्षा पास करने के लिए खुद को फिर से समर्पित कर दिया. हालांकि, दबाव बढ़ता गया और प्रीलिम्स से एक दिन पहले पैनिक अटैक आया. बेहोशी की हालत में पूरी रात बिताने के बाद, उसने परीक्षा में बैठने की हिम्मत जुटाई लेकिन दुर्भाग्य से एक बार फिर असफल हो गईं.
दृढ़ता का फल मिलता है
2022 में अपने पांचवें प्रयास में, गिरिशा ने अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटी-एंग्जायटी दवा की मदद से शांति से परीक्षा दी. इस बार, उन्हें आश्चर्य हुआ कि प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली. उन्होंने लाइब्रेरी में लंबे समय तक कड़ी मेहनत की और पढ़ाई की. हालांकि मैंस परीक्षा पास कर ली, लेकिन इंटरव्यू में वह 11 नंबर से चूक गईं और फाइनल मैरिट में जगह बनाने से चूक गईं.
फाइनल अटेंप्ट में सफलता
2023 में, गिरिशा ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की परीक्षा दी और अपने पहले अटेंप्ट में ही मुख्य परीक्षा पास कर ली. यह यूपीएससी परीक्षा में उसका आखिरी मौका था, और उसने आखिरकार सभी तीन फेज- प्रारंभिक, मुख्य और इंटरव्यू को पास कर लिया - 263 रैंक हासिल की और यूपीएससी टॉपर्स लिस्ट में स्थान हासिल किया.
गिरिशा की जर्नी लगातार आने वाली असफलताओं का सामना करने में दृढ़ता और फ्लेक्सिबिलिटी की पावर का उदाहरण है. कई असफलताओं, चिंता और भारी दबाव के बावजूद, उन्होंने यूपीएससी में सफलता पाने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा, यह साबित करते हुए कि सफलता तभी मिल सकती है जब कोई हार न माने.
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