शिक्षकों को परेशान कर रहा भगवद गीता पर दिल्ली विश्वविद्यालय का अनिवार्य पाठ्यक्रम, जानें पूरा मामला
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शिक्षकों को परेशान कर रहा भगवद गीता पर दिल्ली विश्वविद्यालय का अनिवार्य पाठ्यक्रम, जानें पूरा मामला

Delhi University: कुछ वर्गों ने यह आरोप लगाए कि पिछले आठ महीनों में नियुक्त और वर्तमान में प्रोबेशन पर रहे 95 टीचर्स ने परमानेंट पोजिशन की आकांक्षा के कारण दबाव में इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन किया है.

शिक्षकों को परेशान कर रहा भगवद गीता पर दिल्ली विश्वविद्यालय का अनिवार्य पाठ्यक्रम, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: रामानुजन कॉलेज, जिसे पहले देशबंधु कॉलेज के नाम से जाना जाता था, उसने अपने टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए भगवद गीता पर सर्टिफिकेट कम रिफ्रेशर कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन और अटेंडेंस अनिवार्य कर दी है. वहीं, इस फैसले की कई टीचर्स ने आलोचना की, तो कुछ ने इसे 'जबरदस्ती' वाला कदम बताया.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीचिंग लर्निंग सेंटर द्वारा आयोजित किया जाने वाला यह कोर्स 20 दिनों तक, 9 जनवरी 2024 तक ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में, शाम 4.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक चलने वाला है.

टीचिंग स्टाफ को एक ईमेल में, कॉलेज के प्रिंसिपल एसपी अग्रवाल ने लिखा: "यह कोर्स कॉलेज में इंडियन नॉलेज सिस्टम सेंटर की स्थापना के अनुरूप है. इसे देखते हुए, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पहले ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से खुद को संवेदनशील बनाएं."

इसके अलावा कॉलेज की योजना यह भी है कि वेदों (Vedas) के लिए भी इसी तरह का एक कार्यक्रम आयोजित किया जाए.

हालांकि, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) ने इस अनिवार्य पाठ्यक्रम को वापस लेने का आह्वान करते हुए तर्क दिया कि यह टीचिंग लर्निंग सेंटर के उद्देश्य के विपरीत है, जिसका काम "स्वतंत्र, आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच" को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि इस कदम से "सांप्रदायिक मान्यताओं" का प्रसार होगा.

डीटीएफ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ को आधिकारिक कर्तव्यों से परे शाम 6.30 बजे तक काम में लगाए रखने के लिए अवैध रूप से मजबूर करना और छात्रों की चल रही सेमेस्टर परीक्षाओं के संचालन का अतिरिक्त बोझ उन पर डालना अस्वीकार्य है."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक शिक्षक ने बताया: "ईमेल में इस्तेमाल की गई भाषा लगभग हमें कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन करने के लिए मजबूर करने और धमकी देने जैसी थी. मैं एक लैंग्वेज टीचर हूं, इसलिए मैं किसी विषय-संबंधित पाठ्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पसंद करूंगा.''

हालांकि, प्रिंसिपल अग्रवाल ने इस पहल का बचाव करते हुए कहा, "मुश्किल से 30 प्रतिशत शिक्षक इस कोर्स में भाग ले रहे हैं. इस कोर्स के माध्यम से, मैं प्रॉब्लम सॉल्विंग में गीता की प्रासंगिकता को स्थापित करना चाहता हूं और इंडियन नॉलेज सिस्टम के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना चाहता हूं.

कुछ वर्गों ने यह भी आरोप लगाए कि पिछले आठ महीनों में नियुक्त और वर्तमान में प्रोबेशन पर रहे 95 टीचर्स ने परमानेंट पोजिशन की आकांक्षा के कारण दबाव में कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन किया है.

एक शिक्षक ने दावा किया, "मैंने केवल प्रमोशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, क्योंकि हमें बताया गया था कि सर्टिफिकेट कोर्स एक रिफ्रेशर कोर्स के बराबर है, जिसे एसोसिएट प्रोफेसर (Associate Professor) बनने के लिए अनिवार्य रूप से करना होगा."

सर्टिफिकेट कोर्स की फीस 950 रुपये निर्धारित की गई है. इससे अब तक 4 लाख रुपये से अधिक की आय हो चुकी है और अब तक पूरे भारत में 474 टीचर्स ने इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.

यह दावा करते हुए कि यह "पैसा कमाने की रणनीति" है, एक शिक्षक ने कहा, "हमारे अपने कॉलेज के शिक्षकों को रजिस्ट्रेशन करने के लिए मजबूर क्यों किया गया, विशेष रूप से नॉन-टीचिंग स्टाफ को, जिनके लिए यह फीस उनकी पहुंच से बाहर हो सकती है?" वहीं, अन्य लोगों ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षकों को शायद ऐसे कोर्स में रुचि नहीं होगी.

हालांकि, आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए रामानुजन कॉलेज के चेयरपर्सन जिगर चंपकलाल इनामदार ने कहा, "प्रिंसिपल का इरादा नवनियुक्त शिक्षकों (Newly Recruited Teachers) को प्रोत्साहित करना था. उद्घाटन के दौरान, मैंने खुले तौर पर घोषणा की कि यह सभी के लिए अनिवार्य नहीं है; शिक्षक शामिल न होने के लिए स्वतंत्र हैं."

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