सर्जिकल स्ट्राइक: ये हैं भारत के वो 'खास हथियार', जिनके आगे अटक गई थी आतंकियों की सांसें
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सर्जिकल स्ट्राइक: ये हैं भारत के वो 'खास हथियार', जिनके आगे अटक गई थी आतंकियों की सांसें

सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी बहादुरी और खतरे से भरी हुई है. आधी रात को भारतीय सेना के जवान किस तरह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में दाखिल होकर उन्हें नस्तेनाबूत करके लौटे थे.

दो साल पहले 29 सितंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी.

दो साल पहले यानी 29 सितंबर 2016 में भारतीय सेना के जवानों ने सरहद पार जाकर पाकिस्तान के आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. पाकिस्तान के खिलाफ सेना के इस बड़े एक्शन को दो साल पूरे हो चुके हैं. सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी बहादुरी और खतरे से भरी हुई है. आधी रात को भारतीय सेना के जवान किस तरह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में दाखिल होकर उन्हें नस्तेनाबूत करके लौटे थे. भारतीय सेना के इस मिशन में स्पेशलाइज्ड वेपन (खास तरह के हथियार) का इस्तेमाल किया गया था. इन हथियारों को अब देश की जनता के लिए इंडिया गेट पर रखा गया है. आइये आपको बताते हैं कि कौन से थे वो हथियार...

आधी रात को भारतीय सेना के जवान ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में उतरे. पहले से तय था कि कहां-कहां उतरना है. ये कमांडो पैराशूट रेजिमेंट-4 और पैराशूट रेजिमेंट-9 के थे. पैराशूट रेजिमेंट इंडियन आर्मी की वो रेजिमेंट है, जिसके फौजी हेलिकॉप्टर से उतरकर लड़ाई करने में माहिर होते हैं.

ये हथियार और हेलिकॉप्टर किए गए थे इस्तेमाल

M-4
वजन: लगभग 3.25 किलो
लम्बाई: 33 इंच
बैरल की लम्बाई: 14.5 इंच
कैलिबर: 5.56×45 मिलिमीटर
मैक्सिमम रेट ऑफ फायर: 950/प्रति मिनट
मजल वेलोसिटी: 2900 फीट/सेकंड
रेंज: 600 मीटर
कीमत: 2 लाख 31 हजार 775 रुपए

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M-4 गन की खासियत: M4 कार्बाइन कमांडो मिलिट्री स्पेसिफिकेशन को ध्यान में रखकर बनाया गया हथियार है, जिसे यूएस डिफेंस फोर्स इस्तेमाल करती है. हलके वजन की मैगजीन से लोड होने वाली शोल्डर फायरिंग गन है. इस शोल्डर गन की खासियत यह है कि इसके ऊपरी हिस्से में M203 ग्रेनेड लॉन्चर भी लगाया जा सकता है. यह गन सेमी-ऑटोमेटिक है. M-4 को राइफल सेगमेंट की क्वीन कहा जाता है. यह M16A2 असॉल्ट राइफल का शॉर्टर और लाइटर वेरियंट है. M4 एक एयर कूल्ड मैगजीन फेड कार्बाइन है.

VIDEO: अमावस की काली रात, 48 घंटे का इंतजार और सर्जिकल स्‍ट्राइक के टारगेट 1, 2, 3, 4...

टेवर गन
वजन: लगभग 3.5 किलो
लम्बाई: करीब 700 मिलीमीटर
बैरल की लम्बाई: 460 मिलीमीटर
कैलिबर: 5.56×45 मिलीमीटर
फायरिंग रेट: एक मिनट में 650 राउंड
मजल वेलोसिटी: 910 मीटर/सेकंड
फायरिंग रेंज: 550 मीटर
कीमत: 1 लाख 27 हजार 677 रुपए

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टेवर गन की खासियत: भारतीय सेना के हथियारों के बेड़े में यह सबसे स्मूथ है. यह गन 550 मीटर तक अचूक निशाना लगाती है और हर मिनट में 650 फायर कर सकती है. मात्र 3.5 किमी वजन वाली इस गन से तुरंत अटैक किया जा सकता है. खास बात यह है कि इसका इस्तेमाल मोशन में भी किया जा सकता है. इसमें पिस्टन सिस्टम का इस्तेमाल होता है. इसको डायरेक्ट इम्पिंजमेंट से बेहतर माना जाता है. इसकी सबसे अच्छी बात ये है कि बिना रुके इससे हजारों राउंड लगातार फायर किए जा सकते हैं. इसके चार मोड हैं: सेफ, सेमी आटोमेटिक, बर्स्ट और फुल ऑटो. इसमें मैगजीन को फायरिंग वाले हाथ से ही रिलीज किया जा सकता है. सिर्फ अंगूठे का इस्तेमाल करके फायर किया जा सकता है. हालांकि, इसका ट्रिगर चलाना काफी मशक्कत वाला काम है. इसे इजराइल ने डिजाइन किया है. 2002 में इंडिया ने इजराइल से इसे खरीदा था.

ध्रुव हेलिकॉप्टर
क्रू: एक या दो पायलट
कैपेसिटी: 12-14 लोग
लम्बाई: 15.87 मीटर
ऊंचाई: 4.98 मीटर
5500 किलोग्राम वजन ले जाने में सक्षम
स्पीड: 290 किलोमीटर/घंटा
कॉम्बेट रेडियस: 320 किलोमीटर
ऊंचाई: 6096 मीटर तक
कीमत: 40 करोड़

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ध्रुव हेलिकॉप्टर की खासियत: सर्जिकल स्ट्राइक में इसी हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया था. देश में बने इस हेलिकॉप्टर को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है. इन हेलिकॉप्टर्स को सेना के अलावा नेवी और एयरफोर्स को भी दिया गया है. 1984 में पहली बार ध्रुव का कॉन्सेप्ट रखा गया था. हालांकि, इसकी पहली उड़ान 1992 में की गई थी. सेना के इस्तेमाल के लिए इसे 2002 में सौंपा गया था. क्योंकि पोखरण एटम बम टेस्ट के बाद भारत पर प्रतिबन्ध लग गए थे. पैसों की भी दिक्कत हो गयी थी. ध्रुव हेलिकॉप्टर का टेल बूम बहुत ऊंचा है, इसलिए लोडिंग में आसानी रहती है. तुरंत चढ़ाओ, उतारो. इसके अलावा ये 12-14 मिसाइल, रॉकेट रखने के लिए पॉड्स भी ले जा सकता है.

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