Indian Economy: पश्चिमी मीडिया को रास नहीं आ रही भारत की प्रगति, स्पेनिश मीडिया ने लगाई सपेरे की फोटो; उबल पड़े भारतीय
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Indian Economy: पश्चिमी मीडिया को रास नहीं आ रही भारत की प्रगति, स्पेनिश मीडिया ने लगाई सपेरे की फोटो; उबल पड़े भारतीय

Indian Economy in Spanish Newspaper: दुनिया से उपनिवेशवाद के दौर को खत्म हुए 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं. इसके बावजूद पश्चिमी देशों के मन से श्रेष्ठता की भावना अब तक गई नहीं है. अब एक स्पेनिश अखबार ने भारत की संस्कृति का मजाक उड़ाया है.

Indian Economy: पश्चिमी मीडिया को रास नहीं आ रही भारत की प्रगति, स्पेनिश मीडिया ने लगाई सपेरे की फोटो; उबल पड़े भारतीय

Spanish Newspaper  on Indian Economy: भारत धीरे-धीरे दुनिया की बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है. ब्रिटेन को पछाड़कर वह अब दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और 2028 तक जापान को पछाड़कर उसके नंबर-3 पर पहुंच जाने की उम्मीद है. लेकिन लगता है कि पश्चिमी देशों और वहां की मीडिया से भारत की यह प्रगति देखी नहीं जा रही है. स्पेन के एक अखबार ने भारत की आर्थिक प्रगति पर शर्मनाक कार्टून लगाया है, जिस पर भारतीयों ने जबरदस्त नाराजगी जताई है. 

अखबार ने छापा विवादास्पद कार्टून

रिपोर्ट के मुताबिक स्पेन के एक ला वैनगार्डिया (La Vanguardia) ने अपने पहले पेज पर भारत के आर्थिक विकास को लेकर कार्टून बनाया है. इस कार्टून में ग्राफ के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर की ओर जाने के बारे में बताया गया है. साथ ही लिखा है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था का फिलहाल ये हाल है.’ अखबार ने भारत का मजाक उड़ाने के लिए ग्राफ के नीचे बीन बजाते सपेरे की फोटो लगाई है. स्पेनिश न्यूजपेपर की इस करतूत ने भारतीयों का गुस्सा भड़का दिया है. लोग ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर अखबार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. 

बीजेपी सांसद ने जताई नाराजगी

बेंगलुरु सेंट्रल से बीजेपी के लोकसभा सांसद पीसी मोहन (PC Mohan) ने भी इस मुद्दे पर ट्विटर पर अपनी नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था का समय' स्पेनिश वीकली न्यूजपेपर की टॉप स्टोरी है. भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को जहां दुनियाभर पहचान मिल रही है, वहीं आजादी के दशकों के बाद भी हमारी छवि को सपेरों के रूप में दिखाना सरासर मूर्खता है. विदेशी मानसिकता से उपनिवेशवाद को खत्म करना एक मुश्किल काम है.'

कॉरपोरेट सेक्टर ने निकाला गुस्सा

ज़ेरोधा कंपनी के फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ ( Zerodha Chief Executive Officer Nithin Kamath) ने भी इस मुद्दे पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘यह देखकर अच्छा लग रहा है कि दुनिया हमारी इकॉनमी को नोटिस कर रही है. लेकिन जिस तरह से इस ग्राफ में सपेरे को दिखाया गया है, वो हमारे देश का एक अपमान है. इसे रोकने के लिए क्या करना पड़ेगा है. शायद वैश्विक भारतीय उत्पाद?

नेटिजंस ने अखबार की लगा दी क्लास

ट्विटर पर अन्य नेटिजंस भी इस मुद्दे पर पश्चिमी उपनिवेशवादी सोच के खिलाफ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, 'इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, हम ऊपर उठे हैं और आगे भी उठते रहेंगे.' एक अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, 'पश्चिमी लोगों को भारतीय संस्कृति का ज्ञान बहुत सीमित है. बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था और सतत विकास पश्चिमी लोगों को रूढ़ियों से परे देखने के लिए प्रेरित करेगा. तब तक इस जोक का आनंद लें.' वहीं एक यूजर ने लिखा, 'कितने बेशर्म हैं. वे जो कुछ भी प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहे हैं, भारत विकसित होगा और पश्चिमी कटाक्ष के बावजूद आगे बढ़ता रहेगा.' 

दुनिया में बज रहा भारत की प्रगति का डंका

बता दें कि पूरी दुनिया में इस वक्त भारत की तेज प्रगति की चर्चा हो रही है. विश्व बैंक ने अनुमान जताया कि अगले दुनिया के कई देशों में वैश्विक मंदी आ सकती है, जिसका असर सभी मुल्कों पर अलग-अलग पड़ेगा. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्पीड इन दिनों अच्छी बनी हुई है और मंदी में इसके प्रभावित होने की ज्यादा आशंका नहीं है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री ने गुरुवार को भारत की तारीफ करते हुए कहा था कि उसमें 5 ट्रिलियन नहीं बल्कि 10 ट्रिलियन अरब डॉलर वाली इकोनॉमी बनने की क्षमता है और अगर कुछ सुधार किए जाएं तो अगले वर्षों में इस लक्ष्य को पाया जा सकता है.

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