पहली बार रुपया 73/$ के पार, जानिए ये गिरावट कैसे आपके लिए है बड़ा 'खतरा'
Advertisement
trendingNow1453665

पहली बार रुपया 73/$ के पार, जानिए ये गिरावट कैसे आपके लिए है बड़ा 'खतरा'

कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के पीछे ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध हैं, जो लागू होने वाले हैं.

कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की वजह से रुपये में गिरावट आई है.

नई दिल्ली: डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का दौर जारी है. मंगलवार को बाजार बंद रहने के बाद बुधवार को रुपया इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव अब 73.35 पर पहुंच गया है. यह रुपये का अबतक का सबसे निचला स्तर है, यानी रुपया पहली बार 73 पार गया है. रुपये में इस गिरावट की मुख्य वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमत को माना जा रहा है. कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के पीछे ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध हैं, जो लागू होने वाले हैं. लेकिन, रुपये की गिरावट सिर्फ कारोबार या इकोनॉमी के लिहाज से ही खतरनाक नहीं है. बल्कि रुपया आम आदमी के लिए भी बड़ा खतरा है. आइये जानते हैं कैसे...

सबसे खराब प्रदर्शन वाली करेंसी
पिछले कुछ दिनों से रुपया गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है. एशिया में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी बन चुका है. बता दें कि गिरते रुपये का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है. बुधवार को दिन की शुरुआत में सेंसेक्स करीब 200 अंक नीचे गिरकर 36300 पर पहुंच गया. वहीं, निफ्टी 61 अंकों की गिरावट के साथ 10943 पर रहा.

एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
इतिहास में पहली बार रुपए सबसे निचले स्तर पर है. इस साल रुपया अबतक 12 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऑयल इम्पोर्टर्स और विदेशी बैंकों की तरफ से सरकारी बैंकों द्वारा बिक्री से रुपया गिर गया.

fallback

रुपया और होगा कमजोर
नोमुरा के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 75 का स्तर छू सकता है, जिससे क्रूड खरीदना और महंगा होगा. डॉलर की बढ़ती डिमांड, राजनीतिक अनिश्चितता और यूएस फेड द्वारा दरें बढ़ाए जाने के संकेत से रुपए में और कमजोरी आ सकती है.

आपकी जेब पर पड़ेगा असर

1. पेट्रोल-डीजल हो सकता है महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपए के 73 के स्तर पार पहुंचने का असर क्रूड के इंपोर्ट पर पड़ेगा. इंपोर्ट्स को तेल की ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इसकी वजह से तेल कंपनियां रोजाना होने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आयात करता है. ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इंपोर्ट महंगा होगा तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं.

एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा बना रुपया, यह रही इसकी वजह: HSBC

2. बढ़ सकती है महंगाई
देश में खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है. ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेगा. वहीं, एडिबल ऑयल भी महंगे होगे.

fallback

3. जरूरत की होगी महंगाई
अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे इन प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने की संभावना है.

4. ऑटो की बढ़ेंगी कीमतें
ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है. रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं. 

किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा
रुपए के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने का सबसे ज्यादा फायदा आईटी, फॉर्मा के साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर को होगा. इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है. ऐसे में डॉलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के साथ यूएस मार्केट में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को होगा. इसके अलावा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का फायदा मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं.

Trending news