Red Sea Crisis: लाल सागर की 'खुराफात' से एक्‍सपोर्ट पर असर, माल ढुलाई और इंश्‍योरेंस लागत में इजाफा
Advertisement

Red Sea Crisis: लाल सागर की 'खुराफात' से एक्‍सपोर्ट पर असर, माल ढुलाई और इंश्‍योरेंस लागत में इजाफा

यूरोप-अमेरिका के पूर्वी तट और लातिन अमेरिका में एक्‍सपोर्ट को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हमलों के कारण माल ढुलाई वाले जहाजों ने लाल सागर से आवाजाही कम कर दी है.

Red Sea Crisis: लाल सागर की 'खुराफात' से एक्‍सपोर्ट पर असर, माल ढुलाई और इंश्‍योरेंस लागत में इजाफा

Red Sea Issue: लाल सागर में हूती विद्रोहियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा. प‍िछले द‍िनों खबर आई थी क‍ि लाल सागर में चल रही समस्‍या का भारत के समुद्री व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लेक‍िन सच यह है क‍ि लाल सागर में परेशानी बढ़ने से भारत के एक्‍सपोर्ट पर असर पड़ना शुरू हो गया है. हूती विद्रोहियों के कारण जहाजों को अमेरिका और यूरोप तक पहुंचने के लिए लंबा रास्‍ता तय करना पड़ रहा है. एक अधिकारी ने बताया क‍ि लाल सागर और भूमध्य सागर को हिंद महासागर से जोड़ने वाला अहम जलमार्ग बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास का हालात हूती आतंक‍ियों के हमलों के कारण बिगड़ गई.

14 दिन का ज्‍यादा समय लग रहा
उन्‍होंने बताया इन हमलों के कारण, जहाज ‘केप ऑफ गुड होप’ से निकल रहे हैं, इससे 14 दिन का ज्‍यादा समय लग रहा है. इसका असर माल ढुलाई और इंश्‍योरेंस कॉस्‍ट पर भी पड़ रहा है. वाणिज्य मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय बैठक में संबंधित अंशधारकों के सामने आने वाले समस्याओं पर चर्चा की गई. बैठक में व्यापारी, पोत परिवहन से जुड़ी इकाई, कंटेनर कंपनी समेत अन्य अंशधारक मौजूद थे. अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने हमें बताया कि माल ढुलाई लागत बढ़ गई है. उन्हें अब लंबा रास्ता तय करना पड़ता है और इसके कारण समय बढ़ गया है. इसमें 14 दिन ज्यादा हो गए हैं.'

एक्‍सपोर्ट को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा
यूरोप-अमेरिका के पूर्वी तट और लातिन अमेरिका में एक्‍सपोर्ट को लेकर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हमलों के कारण माल ढुलाई वाले जहाजों ने लाल सागर से आवाजाही कम कर दी है. ये जहाज अफ्रीकी महाद्वीप को घेरते हुए ‘केप ऑफ गुड होप’ के जर‍िये लंबे रास्ते से गुजर रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ‘जहाजों की अन‍िश्‍च‍ितता को लेकर इंश्‍योरेंस कॉस्‍ट भी बढ़ गई है. कुछ खेप लंबे रास्ते से गुजर चुकी हैं. कुछ जहाजों के साथ सरकार रक्षक दल साथ में भेज रही है.’

लाल सागर के रास्‍ते का फायदा
लाल सागर का रास्‍ता भारत के साथ ही दूसरे देशों के ल‍िए भी काफी मुफीद है. बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य, स्वेज नहर और लाल सागर का व्यापार मार्ग केप ऑफ गुड होप रूट के मुकाबले छोटा और तेज रफ्तार वाला है. इस कारण यह माल ढुलाई जहाजों के द्वारा पसंद क‍िया जाता है. यह जल मार्ग ग्लोबल इकॉनमी के लिए काफी अहम है. लाल सागर आगे स्वेज नहर में मिलता है, इसके जर‍िये यूरोप और एशिया जुड़ रहा है. लाल सागर का जलमार्ग प्रभाव‍ित होने से शिपिंग कंपनियों को यूरोप-एशिया के बीच कारोबार के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है. इससे समय ज्‍यादा लगने के साथ ही इंश्‍योरेंस कॉस्‍ट भी बढ़ गई है.

Trending news