इकोनॉमी को लेकर क्या होगा रवैया? कमरतोड़ महंगाई और गिरती GDP के बीच RBI पर टिकी नजर
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इकोनॉमी को लेकर क्या होगा रवैया? कमरतोड़ महंगाई और गिरती GDP के बीच RBI पर टिकी नजर

RBI Policy: इस समिति में गवर्नर समेत कुल छह सदस्य हैं. आरबीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि दास शुक्रवार सुबह 10 बजे एमपीसी की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे.

इकोनॉमी को लेकर क्या होगा रवैया? कमरतोड़ महंगाई और गिरती GDP के बीच RBI पर टिकी नजर

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान करेगा. बुधवार को शुरू हुई तीन-दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान नीतिगत ब्याज दर पर फैसला किया जाएगा. यह बैठक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी और कमजोर जीडीपी आंकड़ों के बीच हो रही है. 

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केंद्रीय बैंक अल्पकालिक उधारी दर (रेपो) को स्थिर बनाए रखने का फैसला कर सकता है. हालांकि, मिले-जुले आर्थिक रुझानों को देखते हुए एमपीसी नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बदलाव करने का फैसला कर सकती है. एमपीसी मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई है जिसके प्रमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास हैं. 

इस समिति में गवर्नर समेत कुल छह सदस्य हैं. आरबीआई ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि दास शुक्रवार सुबह 10 बजे एमपीसी की समीक्षा बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे. यह दास के मौजूदा कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक है. उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. 

22 महीने से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 से ही रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे.

वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत था, जो आरबीआई के 4.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक था. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपने नोट में कहा कि आरबीआई के वृद्धि अनुमान में गिरावट और महंगाई दर के अनुमान में बढ़त होने की उम्मीद है. इस कारण रेपो रेट में कटौती की कोई संभावना नहीं है.

क्या कह रहे विशेषज्ञ?

बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, आरबीआई का लक्ष्य आर्थिक प्रगति से समझौता किए बिना महंगाई पर नियंत्रण करना है. ब्रोकरेज ने कहा कि भारत की जीडीपी मजबूत बनी हुई है. ऐसे में विकास और महंगाई के बीच नीतिगत संतुलन महत्वपूर्ण होगा और एक 'न्यूट्रल' रुख एक संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करेगा.

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