Petrol Diesel Crisis : राजस्थान के बाद यूपी, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में भी पेट्रोल-डीजल की कमी देखने को मिल रही है. यहां के कुछ पेट्रोल पंपों पर तेल लेने वालों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं. हिन्दुस्तान पेट्रोलियम ने इस कमी का कारण ट्वीट करके बताया है.
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Petrol Diesel Crisis : कई बड़े राज्य पेट्रोल-डीजल के संकट का सामना कर रहे हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटके के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी लोग पेट्रोल-डीजल की किल्लत देखी जा रही है. मांग में अचानक उछाल आने के कारण इन राज्यों के पेट्रोल पंप तेल की कमी का सामना कर रहे हैं. देश में कोरोना महामारी के मामलों में कमी आने के बाद औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने से तेल की किल्लत देखी जा रही है.
देश में कच्चे तेल की कमी नहीं
जानकारों का कहना है कि दुनियाभर में ऐसे हालात बन रहे हैं. भारत में रिफाइनरी की क्षमता से ज्यादा पेट्रोल-डीजल की मांग होने से स्थितियां बिगड़ रही हैं. आने वाले समय में हालात सामान्य होने की उम्मीद है. जानकारों के अनुसार देश में किसी तरह कच्चे तेल की कमी नहीं है, समस्या उसे रिफाइन कर पेट्रोल-डीजल में बदलकर पेट्रोल पंपों पर आपूर्ति करने में है.
उम्मीद से ज्यादा मांग देखने को मिल रही
तेल की कमी पर सरकारी क्षेत्र की बड़ी तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL) ने ट्वीट करके बताया कि रीटेल आउटलेट्स पर पिछले कई दिनों में उम्मीद से ज्यादा मांग देखने को मिल रही है. पिछले साल अप्रैल-मई के मुकाबले समान अवधि में राजस्थान और मध्य प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की मांग में 40 प्रतिशत से ज्यादा की ग्रोथ देखी गई.
प्राइवेट कंपनियों ने घटाई तेल की आपूर्ति
HPCL ने अपने ट्वीट में यह भी जानकारी दी कि निजी तेल मार्केटिंग कंपनियों की तरफ से की जा रही कम सप्लाई का असर पर सरकारी तेल कंपनियों पर दिखाई दे रहा है. आपको बता दें निजी क्षेत्र के पेट्रोल पंपों ने घाटे को कम करने के लिए परिचालन घटाया है. सरकार ने कहा कि ईंधन की अधिक मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति पर्याप्त है, लेकिन सरकारी पेट्रोल पंपों पर भीड़ ने ग्राहकों की वेटिंग को बढ़ा दिया है.
डीजल पर 20 से 25 रुपये लीटर का घाटा
इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) जैसी कंपनियों ने कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाई हैं. उन्हें पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 20 से 25 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा हैं. इतना घाटा उठाना नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शैल जैसे निजी खुदरा विक्रेताओं की क्षमता से बाहर है.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'देश में पेट्रोल और डीजल का उत्पादन किसी भी मांग में वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त से अधिक है. इस अभूतपूर्व वृद्धि ने स्थानीय स्तर पर कुछ अस्थायी लॉजिस्टिक परेशानी पैदा की हैं.'
(इनपुट एजेंसी से भी)