चीन और पाकिस्तान यूं तो सगे बनते हैं, लेकिन जब बात पैसों की हो तो दोनों में बन नहीं पा रही है. कर्ज में डूबा पाकिस्तान चीन के सामने हाथ जोड़े खड़ा है. पाकिस्तान चीन से मोहलत मांग रहा है, लेकिन चीन की सरकार बीते तीन दिनों से जस से मस नहीं हो रही है.
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China Pakistan: चीन और पाकिस्तान यूं तो सगे बनते हैं, लेकिन जब बात पैसों की हो तो दोनों में बन नहीं पा रही है. कर्ज में डूबा पाकिस्तान चीन के सामने हाथ जोड़े खड़ा है. पाकिस्तान चीन से मोहलत मांग रहा है, लेकिन चीन की सरकार बीते तीन दिनों से जस से मस नहीं हो रही है. पाकिस्तान ने गुरुवार को औपचारिक रूप से चीन से अपने कर्ज को पुनर्निर्धारित करने का अनुरोध किया है. इस्लामाबाद की ओर से ये अनुरोध ऐसे समय हुआ है जब सीपीईसी बिजली परियोजनाओं का बकाया 401 अरब रुपए पर पहुंच गया है.
पाकिस्तान मांग रहा मोहलत
महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़े बकाया ऋणों को पुनर्निर्धारित करने के लिए पाकिस्तान के दो मंत्री बीजिंग में डेरा डाले हुए हैं. नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के वित्त और राजस्व मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और ऊर्जा (बिजली प्रभाग) मंत्री सरदार अवैस अहमद खान लघारी पिछले तीन दिनों से बीजिंग में हैं. शनिवार को यहां मीडिया खबरों में यह जानकारी दी गई. दोनों मंत्री एक के बाद एक प्राधिकरण और एजेंसी से मिल रहे हैं, जिनमें पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) के गवर्नर पान गोंगशेंग और नेशनल एसोसिएशन ऑफ फाइनेंशियल मार्केट इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (एनएएफएमआईआई) के उप महासचिव काओ युआनयुआन शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि चिंता यह है कि चीन शुरू में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं था, जो ऊर्जा ऋण से संबंधित वार्ता पर पाकिस्तान के साथ उनकी असहमति का संकेत है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने कहा कि पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से चीन से अपने ऋणों को पुनर्निर्धारित करने का अनुरोध किया. इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) बिजली परियोजनाओं के लिए बकाया राशि पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 44 प्रतिशत बढ़कर 401 अरब पाकिस्तानी रुपये हो गई. बिजली मंत्रालय के दस्तावेजों के अनुसार जून 2024 तक चीन के बिजली संयंत्रों का बकाया 401 अरब पाकिस्तानी रुपये रुपये हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 122 अरब रुपये या 44 प्रतिशत अधिक है. मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार पाकिस्तानी ने ऊर्जा ऋण चुकाने के लिए आठ साल का विस्तार मांगा है.