Reliance Power Share Price: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर की तरफ से नीरज पारख (Neeraj Parakh) को सीईओ नियुक्त किया गया है. नीरज पिछले 20 साल से भी ज्यादा समय से रिलायंस ग्रुप के साथ जुड़े हुए हैं.
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Who is Neeraj Parakh: अनिल अंबानी अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. छोटे अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर (Reliance Power) की तरफ से एक्सचेंज फाइलिंग में दी गई जानकारी में बताया गया कि नीरज पारख (Neeraj Parakh) को सीईओ नियुक्त किया है. कंपनी की तरफ से यह नियुक्ति 20 जनवरी से तीन साल के लिए प्रभावी है. एक्सचेंज फाइलिंग में बताया गया कि कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ के रूप में पारख को तीन साल के लिए नियुक्त किया गया है.
एजुकेशन और करियर
नीरज पारख 21 साल पहले अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस इंफ्रा की सेंट्रल टेक्निकल सर्विसेज टीम में एडिशनल मैनेजर के रूप में शामिल हुए. पारख ने इस दौरान कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं. पारख ने रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा में प्लानिंग, प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग, टेक्निकल सर्विस और प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद नीरज ने कंपनी के सेंट्रल प्रोक्यूरमेंट और इनडायरेक्ट टैक्सेशन से जुड़े कामों को संभाला. इस दौरान उन्हें अलग-अलग तरह के कई काम करने का मौका मिला.
29 साल में से 20 साल रिलायंस के साथ
नीरज पारख के पास 29 साल का अनुभव है, जिसमें से 20 साल उन्होंने रिलायंस ग्रुप के साथ काम किया है. इस दौरान पारख हायर लेवल पर कई प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे. उन्होंने यमुनानगर, हिसार, रोसा, सासन, बूटीबोरी, दामोदर वैली कॉर्पोरेशन और सोलर पीवी और सौर सीएसपी जैसे रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट में जिम्मेदारी निभाई. एक्सचेंज फाइलिंग में बताया गया कि ये प्रोजेक्ट 50,000 करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडीचर पर 10 गीगावाट से ज्यादा के बिजली उत्पादन में योगदान देते हैं.'
पावर सेक्टर की गहरी समझ
पारख ने 1993 में वाईसीसीई नागपुर से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग की डिग्री और 1996 में मुंबई के वेलिंगकर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) किया है. नीरज पारख ने टेक्नोलॉजी सिलेक्शन, वेंडर लोकलाइजेशन, रेग्युलेटरी कॉम्पलियेंस और क्रॉस फंक्शनल लीडरशिप में अहम भूमिका निभाई है. इससे उनकी पावर सेक्टर में गहरी समझ हो गई. उन्होंने पावर प्लांट और खनन से जुड़े प्रोजेक्ट के लिये खरीदारी को लोकल लेवल पर करने में कामयाबी हासिल की. इससे कंपनी की विदेशों से इम्पोर्ट पर निर्भरता काफी कम हो गई. उन्होंने लोकल वेंडर्स का मजबूत नेटवर्क बनाया जिससे कंपनी खुद ही अपने संचालन को चला सके और लंबे समय तक टिकाऊ बनी रहे.