Indian Government Plan for Rice: सब्जियों से लेकर खाने-पीने तक सभी सामान की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. इस बीच चावल की कीमतों पर कंट्रोल लगाने के लिए सरकार ने एक निर्णय लिया है.
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Rice Price Update: चावल को लेकर सरकार की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. जैसा कि सभी जानते हैं इस समय देशभर में महंगाई तेजी से बढ़ रही है. सब्जियों से लेकर खाने-पीने तक सभी सामान की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. इस बीच चावल की कीमतों पर कंट्रोल लगाने के लिए सरकार ने एक निर्णय लिया है. सरकार ने चालू खरीफ सत्र में 521.27 लाख टन चावल खरीदने का लक्ष्य रखा है.
दोनों मौसम में होती है बुवाई
सरकार ने पिछले साल की खरीफ फसल मौसम से 496 लाख टन चावल खरीदा है. धान खरीफ (ग्रीष्मकालीन बुवाई) और रबी (सर्दियों की बुवाई) दोनों मौसमों में उगाया जाता है.
खाद्य सचिव ने दी जानकारी
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने अक्टूबर-सितंबर तक चलने वाले आगामी खरीफ विपणन सत्र (KMS) 2023-24 में खरीफ फसल की खरीद व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए 21 अगस्त को राज्य खाद्य सचिवों और भारतीय खाद्य निगम (FCI) की एक बैठक की अध्यक्षता की.
खाद्य मंत्रालय ने जारी किया बयान
खाद्य मंत्रालय ने एक सरकारी बयान में कहा है कि खरीफ विपणन सत्र 2023-24 (खरीफ फसल) के दौरान खरीद के लिए 521.27 लाख टन चावल खरीदने का अनुमान रखा गया है, जबकि पिछले वर्ष 518 लाख टन के खरीद अनुमान रखा गया था. इसके मुकाबले खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के दौरान 496 लाख टन चावल की खरीद की गई थी.
किस राज्य में कितनी होगी खरीदारी
खरीफ विपणन सत्र 2023-24 के दौरान, पंजाब में चावल की खरीद 122 लाख टन, छत्तीसगढ़ (61 लाख टन), तेलंगाना (50 लाख टन), ओडिशा (44.28 लाख टन), उत्तर प्रदेश (44 लाख टन), हरियाणा (40 लाख टन), मध्य प्रदेश (34 लाख टन), बिहार (30 लाख टन), आंध्र प्रदेश (25 लाख टन), पश्चिम बंगाल (24 लाख टन) और तमिलनाडु (15 लाख टन) होने का अनुमान है.
मोटा अनाज खरीदने की हुई शुरुआत
खरीफ विपणन सत्र 2023-24 के दौरान राज्यों द्वारा खरीद के लिए 33.09 लाख टन मोटे अनाज (श्री अन्न) की मात्रा का अनुमान लगाया गया है, जबकि खरीफ विपणन सत्र 2022-23 (खरीफ और रबी) के दौरान 7.37 लाख टन की वास्तविक खरीद की गई थी. इस खरीफ विपणन सत्र 2023-24 से शुरू होकर तीन साल तक रागी के एमएसपी पर राज्यों द्वारा कोदो, सावा, चना समेत छह लघु मोटे अनाज खरीदने की भी शुरुआत की गई है.
इनपुट - भाषा एजेंसी