Go First Bankruptcy: गो फर्स्ट की तरफ से नवंबर तक अपनी योजना की रूपरेखा तैयार की गई है. इसका मकसद सैन्य चार्टर उड़ानों और फिर कमर्शियल फ्लाइट के साथ परिचालन फिर से शुरू करना है.
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Go First Crisis: वित्तीय संकट से घिरी एयरलाइन गोफर्स्ट का संचालन फिर से शुरू होने की उम्मीद की जा रही है. वाडिया ग्रुप के मालिकाना हक वाली गोफर्स्ट पिछले कुछ दिनों से दिवालिया कार्यवाही से गुजर रही है. एयरलाइन ने डीजीसीए (DGCA) से अगले पांच महीने के लिए 22 विमानों के साथ उड़ान फिर से शुरू करने की मंजूरी मांगी है. गो फर्स्ट की तरफ से नवंबर तक अपनी योजना की रूपरेखा तैयार की गई है. इसका मकसद सैन्य चार्टर उड़ानों और फिर कमर्शियल फ्लाइट के साथ परिचालन फिर से शुरू करना है.
22 विमानों का संचालन करने के लिए पर्याप्त स्टॉफ
एक रिपोर्ट के अनुसार एयरलाइन मैनेजमेंट ने डीजीसीए (DGCA) को बताया कि उसके पास 340 पायलट, 680 केबिन क्रू और 530 इंजीनियर हैं. इतना स्टॉफ 22 विमानों का संचालन करने के लिए पर्याप्त हैं. एयरलाइन ने अपनी कमर्शियल योजना में उल्लेख किया है कि उसे रोजाना ऑपरेशन संचालित करने के लिए 12 करोड़ रुपये की जरूरत है. अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही एयरलाइन में 250 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
200 करोड़ रुपये की जरूरत बताई
मई महीने में ही दिवालियापन की याचिका दायर करने वाले एयरलाइन प्रबंधन ने उड़ान को फिर से शुरू करने के लिए 200 करोड़ रुपये की जरूरत बताई है. गो फर्स्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि केंद्र की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत 400 करोड़ रुपये के फंड और अनड्रान क्रेडिट के लिए वह मान्य है. गोफर्स्ट की फ्लाइट फिर से शुरू होती हैं तो आने वाले समय में फ्लाइट के किराये में कमी आने की उम्मीद है.
गो फर्स्ट की तरफ से 200 करोड़ रुपये की अंतरिम फंडिंग के लिए लेंडर्स से भी बातचीत चल रही है. इस पैसा का इस्तेमाल अप्रैल और मई महीने का वेतन देने और वेंडर्स का भुगतान करने के लिए किया जाएगा. गो फर्स्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि उड़ानों का संचालन शुरू होने के बाद एक निश्चित कैश फ्लो की जरूरत होगी. एयरलाइन जुलाई महीने से लीज रेंट और मेंटीनेंस रिजर्व का भुगतान करने की योजना पर काम कर रही है.