Deflation in China: चीन की कोशिश ब्याज दरें घटाकर बैंकों को ज्यादा कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करना है. ताकि अधिक लोग कम ब्याज दरों पर ऋण ले सकें और अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके.
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Recession in China Economy: चीन की अर्थव्यवस्था इस वक्त बुरे दौर से गुजर रही है. तमाम मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डिमांड में कमी के कारण चीन को अपने प्रोडक्ट की कीमतों में कटौती करनी पड़ रही है. इस बीच सोमवार को चीन के सेंट्रल बैंक ने कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था में आई मंदी से निपटने के लिए ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की. पिछले तीन महीनों में यह दूसरी बार है जब चीनी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की है.
पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने एक बयान जारी कर कहा कि एक साल की प्राइम रेट को 3.55 फीसदी से घटाकर 3.45 फीसदी कर दिया गया है. एक साल की प्राइम दर का उपयोग कॉर्पोरेट ऋण के लिए किया जाता है. वहीं, पांच साल की एलपीआर को घटाकर 4.2 फीसदी कर दिया गया है. इसका उपयोग सुरक्षित ऋण देने के लिए किया जाता है.
चीनी केंद्रीय बैंक की इस कटौती के बाद ब्याज दर ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंच गई है. इससे पहले जून में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने एक साल के लोन प्राइम रेट को 10 बेसिस प्वाइंट घटाकर 3.55 फीसदी कर दिया था. वहीं, पांच साल की प्राइम रेट को 4.3 फीसदी से घटाकर 4.2 फीसदी कर दिया गया.
चीन की कोशिश ब्याज दरें घटाकर बैंकों को ज्यादा कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करना है. ताकि अधिक लोग कम ब्याज दरों पर ऋण ले सकें और अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके.
इसके अलावा चीन के इस कदम को दूसरे देशों से निवेश आकर्षित करने के कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है. क्योंकि पश्चिमी देश महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. ऐसे में चीन ब्याज दरें घटाकर अर्थव्यवस्था को धीमा करने की कोशिश कर रहा है.
कोरोना के कारण लगे लंबे लॉकडाउन से चीनी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ. इससे चीन की विकास दर में बड़ी गिरावट आयी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)